भारत ने ट्रैकोमा नामक नेत्र रोग को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करने में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह जीत, हालाँकि ट्रिची हवाई अड्डे पर विमान की तकनीकी खराबी जैसी घटनाओं की तुलना में मीडिया में कम ध्यान आकर्षित करती है, फिर भी यह उतनी ही महत्वपूर्ण है। इस सफलता ने लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दिया है और देश की अर्थव्यवस्था को भी मजबूत किया है। आइये विस्तार से जानते हैं इस महती उपलब्धि के बारे में:
ट्रैकोमा: एक गंभीर नेत्र रोग
ट्रैकोमा क्या है और इसके लक्षण क्या हैं?
ट्रैकोमा एक पुरानी संक्रामक नेत्र रोग है जो खराब स्वच्छता और स्वच्छता की कमी वाले क्षेत्रों में आम है। यह मुख्य रूप से छोटे बच्चों और महिलाओं को प्रभावित करता है जहाँ साफ पानी और स्वच्छता सुविधाओं की कमी होती है। क्लैमाइडिया ट्रैकोमैटिस नामक जीवाणु ट्रैकोमा का कारण है। इसके लक्षणों में आँखों में जलन, स्राव, पलकों में सूजन, प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता और गंभीर मामलों में धुंधली दृष्टि शामिल है। अगर इसका इलाज नहीं किया जाता है, तो बार-बार संक्रमण के कारण आँख के अंदरूनी हिस्से में निशान पड़ सकते हैं और आखिरकार अंधापन भी हो सकता है। यह रोग संक्रमित व्यक्ति की उंगलियों, दूषित तौलिये या कपड़ों या मक्खियों (मस्कै सोर्बेन्स) के माध्यम से फैलता है जो संक्रमित स्राव को छूते हैं। गरीब स्वच्छता और भीड़-भाड़ वाली रहने की स्थिति ट्रैकोमा के फैलाव को बढ़ाती हैं।
ट्रैकोमा का आर्थिक प्रभाव
ट्रैकोमा के कारण अंधापन और दृष्टिबाधा से होने वाले वार्षिक आर्थिक नुकसान का अनुमान 2.9 से 5.3 अरब डॉलर तक है, जिससे उत्पादकता में कमी आती है। यह न केवल व्यक्तिगत जीवन को प्रभावित करता है, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर भी भारी पड़ता है। इसलिए, ट्रैकोमा का उन्मूलन न केवल स्वास्थ्य का मामला है, बल्कि आर्थिक विकास का भी महत्वपूर्ण पहलू है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की भूमिका
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ट्रैकोमा को 2030 तक समाप्त करने के अपने लक्ष्य के साथ, इसे उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों (एनटीडी) में से एक के रूप में वर्गीकृत किया है। डब्ल्यूएचओ ने ट्रैकोमा के उन्मूलन के लिए SAFE रणनीति विकसित की है, जो सर्जरी (ट्राइचीसिस को ठीक करने के लिए), एंटीबायोटिक्स (संक्रमण के उपचार और नियंत्रण के लिए), चेहरे की सफाई (संक्रमण को कम करने के लिए) और पर्यावरणीय सुधार (साफ पानी और स्वच्छता तक पहुंच प्रदान करने के लिए) पर केंद्रित है।
भारत में ट्रैकोमा उन्मूलन की सफलता
SAFE रणनीति की सफलता और सरकारी प्रयास
भारत में ट्रैकोमा के प्रसार को कम करने में डब्ल्यूएचओ की SAFE रणनीति महत्वपूर्ण रही है। भारत सरकार के लगातार प्रयासों ने भी इस रोग के उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वच्छ भारत अभियान जैसे कार्यक्रमों ने स्वच्छता और स्वच्छता में सुधार के लिए योगदान दिया है, जिससे ट्रैकोमा के प्रसार को रोकने में मदद मिली है।
भारत में ट्रैकोमा का इतिहास और प्रगति
2005 में, भारत में सभी अंधापन के मामलों में से 4% ट्रैकोमा के कारण था। उल्लेखनीय रूप से, 2018 तक यह आंकड़ा घटकर 0.008% हो गया। हालांकि 0.7% की प्रचलन दर अभी भी मौजूद है, यह दर्शाता है कि ट्रैकोमा एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में अब खतरा नहीं है।
“सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उन्मूलन” का क्या अर्थ है?
“सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में उन्मूलन” का अर्थ है कि ट्रैकोमा अब एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरा नहीं है, लेकिन छिटपुट मामले अभी भी मौजूद हो सकते हैं। यह पूरी तरह से उन्मूलन से अलग है। भारत ने पोलियो, खसरा और गिनी वर्म संक्रमण के स्तर में इसे हासिल किया है, लेकिन ट्रैकोमा के लिए यह एक बड़ी उपलब्धि है।
चुनौतियाँ और आगे का रास्ता
निरंतर निगरानी और सतर्कता की आवश्यकता
हालांकि भारत ने एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर हासिल किया है, लेकिन ट्रैकोमा को पूरी तरह से खत्म करने का रास्ता लंबा है। इस रोग के लिए कोई टीका नहीं है और सक्रिय ट्रैकोमा के मामले अभी भी मौजूद हैं। इसलिए, स्वच्छता में सुधार, स्वच्छ पानी की पहुंच और निरंतर स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से रोग के संचरण चक्र को बाधित करने पर ध्यान केंद्रित करना आवश्यक है।
राष्ट्रीय कार्यक्रमों की भूमिका और भविष्य के लक्ष्य
राष्ट्रीय अंधता और दृष्टिबाधा नियंत्रण कार्यक्रम (NPCBVI) को नियमित रूप से सर्वेक्षण करने और किसी भी नए मामले का पता लगाने की आवश्यकता है ताकि रोग के पुनरुत्थान को रोका जा सके। सरकार को इस लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध रहना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि भारत के बच्चे ट्रैकोमा से मुक्त दुनिया में पल-बढ़ सकें। ट्रैकोमा के खिलाफ इस सफलता को कालाजार और तपेदिक जैसे अन्य रोगों से निपटने के लिए एक प्रेरणा के रूप में देखा जाना चाहिए।
निष्कर्ष
भारत द्वारा ट्रैकोमा को सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त करना एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह दर्शाता है कि समन्वित प्रयासों से कठिन परिस्थितियों में भी परिवर्तन लाया जा सकता है। निरंतर निगरानी, SAFE रणनीति का पालन और स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रम ट्रैकोमा को अतीत की बीमारी बनाए रखने में महत्वपूर्ण होंगे। यह सफलता सार्वजनिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के समर्पण और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है।
मुख्य बिंदु:
- भारत ने ट्रैकोमा को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में समाप्त कर दिया है।
- डब्ल्यूएचओ की SAFE रणनीति और सरकार के प्रयासों ने इस सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- ट्रैकोमा का उन्मूलन न केवल स्वास्थ्य के लिए, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी महत्वपूर्ण है।
- निरंतर निगरानी और सतर्कता भविष्य में ट्रैकोमा के पुनरुत्थान को रोकने के लिए आवश्यक है।
- यह उपलब्धि अन्य रोगों से लड़ने के लिए एक प्रेरणा के रूप में काम कर सकती है।
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