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प्रोफेसर बनना है तो पीएचडी कर लीजिये। प्रोफेसर बनना है तो पहले नेट निकालिए। यह सभी बातें तो कई बार सुनी होंगी। लेकिन बीते दिनों में UGC के चेयरमैन एम जगदीश कुमार ने कहा कि अब वह लोग भी प्रोफेसर बन सकते हैं जिनके पास फील्ड का बेहतरीन अनुभव है।

इनकी नियुक्ति ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस’ के नाम पर होगी। ऐसा करने से बच्चों को फील्ड के विषय में उम्दा जानकारी मिलेगी और वह प्रायोगिक काम अधिक कर पाएंगे। जिससे भविष्य में जब वह अपना कोर्स पूर्ण करके निकलेंगे तो उनके लिए रोजगार के द्वार खुले रहेंगे और बच्चों को अपने भविष्य में कुछ बेहतर कर पाने की दिशा प्राप्त होगी। 

कौन बिना पीएचडी बनेगा प्रोफेसर: 

UGC के चेयरमैन एम जगदीश कुमार के मुताबिक जिन लोगों को इंडस्ट्री का बेहतरीन अनुभव है। फील्ड की परिधि को जो समझते हैं और एक लम्बा समय जिन लोगों ने इंडस्ट्री को दिया है। उन लोगों की नियक्ति ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के पद पर की जाएगी।

यह लोग इंजीनियरिंग, साइंस, टेक्‍नोलॉजी, आंत्रेपेन्‍योरशिप, मैनेजमेंट, सीए, कॉमर्स, सोशल साइंस, मीडिया, लिट्रेचर, फाइन आर्ट्स, सिविल सर्विस, आर्म्‍ड फोर्सेज आदि जैसे उम्दा कोर्स के विषय में जानकारी रखते होंगे और बच्चों को मार्केट के हिसाब से तैयार करने में निपुण होंगे। 

 ‘प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के पद पर उन लोगों की नियुक्ति होगी जो लोग अपनी एक विशेष फिल्ड का बेहतर ज्ञान और अनुभव रखते हों और बच्चों को इंडस्ट्री के मुताबिक तैयार करने में दक्ष हों। 

 प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस” के पद पर उन लोगों का चयन होगा जो अपनी फिल्ड में उच्च पद पर हो और उनको उस पद का करीब 15 वर्ष का अनुभव हो। 

व्यक्ति के पास विषय विशेष का ज्ञान और क्वालिफिकेशन होनी आवश्यक है। 

व्यक्ति का चयन कुछ विषय नियम और शर्तों के आधार पर होगा। 

प्रोफेसर ऑफ प्रैक्टिस की भर्ती यूनिवर्सिटी या कॉलेज में रेगुलर फैकल्‍टी मेंबर्स की तय पोस्‍ट से अलग होंगी। इसके साथ ही जो लोग पहले से काम कर रहे हैं या बच्चों को पढ़ा रहे हैं उनको इस पद के लिए नहीं नियुक्त किया जाएगा। 

इस पद पर कौन काम करेगा इसके लिए नॉमिनेशंस इनवाइट वाइस-चांसलर या डायरेक्‍टर एक्‍सपर्ट्स करेंगे। सेलेक्‍शन कमेटी में 2 सीनियर प्रोफेसर और 1 एक्‍सटर्नल मेंबर होगा जो इन नॉमिनेशंस को शॉर्टलिस्‍ट करेगा। इसके बाद फाइनल सेलेक्‍शन होगा।