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अब महाराष्‍ट्र में किसानों पर गोलीबारी, बैकफुट पर सरकार

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अब महाराष्‍ट्र में किसानों पर गोलीबारी, बैकफुट पर सरकार

 

 

वक्त पर कर्ज़माफी देने का वादा पूरा नहीं कर पाने की वजह से पहले ही महाराष्ट्र की फडणवीस सरकार मुश्किलों में घिरी थी. लेकिन किसानों पर गोली चलवाकर सरकार ने अपने पैरों पर खुद कुल्हाड़ी मार ली है. पहली बार बीजेपी के शासन में महाराष्ट्र में समाज के उस तबके पर गोली चली हैं जिसकी बदौलत भाजपा सत्ता में आई थी. प्रदर्शन दबाने के लिए सरकार को फायरिंग का सहारा लेना पड़ा.

गन्ना किसान क्यों कर रहें हैं प्रदर्शन?

गन्ने का उचित मूल्य देने की मांग को लेकर पिछले कई दिनों से किसान आंदोलन कर रहे थे. किसान संगठन और शुगर मिल मालिकों के बीच कई दौर की बातचीत भी हुई लेकिन कोई हल नहीं निकल सका. गन्ना किसान प्रति टन गन्ना 3100 रुपये की मांग कर रहें हैं जबकि शुगर मिल मालिक सिर्फ 2100 रुपये देने के लिये राजी हैं. इसी के विरोध में अब तक गन्ना किसान जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर रहे थे.

किस वजह से चली गोलियां?किसानों के आंदोलन के बीच पुलिस ने स्वाभिमानी शेतकरी संगठन के दो बड़े किसान नेता प्रकाश बालवडकर और अमर कदम को हिरासत में ले लिया. जैसे ही ये जानकारी किसानों को मिली वे उग्र हो गये. पूरा आंदोलन हिंसक हो गया.  औरंगाबाद और अहमदनगर में आंदोलनकारी किसानों ने गन्ना ले जाने वाले गाडियों में जमकर तोड़फोड़ की और चक्काजाम किया.

पुलिस को भीड़ से निपटने लिये आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े लेकिन भीड़ काबू में नही हुई तो पुलिस ने गोलीबारी की. किसानों का आरोप है कि पुलिस की इस गोलीबारी में दो किसान गंभीर रुप से जख्मी हो गये. गोलीबारी की इस घटना के बाद किसान उग्र हो गए हैं.

सांसद और किसान नेता राजू शेट्टी ने आरोप लगाया है कि सरकार किसानों के आंदोलन को दबाने के लिये निहत्थे किसानों पर गोली चलवा रही हैं.

क्या है सरकार की दलील?

इस घटना के बाद सरकार बैकफुट पर आ गई है. सरकार ने किसानों से शांति बनाये रखने की अपील करते हुए कहा है कि किसानों को गन्ने का उचित मूल्य दिया जाएगा. फायरिंग की घटना पर सरकार का कहना है कि पुलिस ने फायरिंग नहीं की थी. ऐसे में सवाल उठता है कि फिर गोली चलाई किसने?

किसानों के उग्र आंदोलन के बाद औरंगाबाद और अहमदनगर के 7 गांवों में कर्फ्यू लगा दिया गया है. फायरिंग की घटना के बाद किसानों में जबरदस्त गुस्सा है. अगर जल्द कदम नहीं उठाये गये तो आने वाले दिनों में गन्ना किसानों का आंदोलन और आक्रमक हो सकता है.

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