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गुजरात चुनाव: पाटीदारों के प्रभाव क्षेत्र में नहीं घोषित हुए कैंडिडेट

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गुजरात चुनाव: पाटीदारों के प्रभाव क्षेत्र में नहीं घोषित हुए कैंडिडेट

 

 

गुजरात चुनाव में बीजेपी ने 70 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर दी है. नो रिपीट थ्योरी के बीच आंदोलन का दबाव ही कह लीजिए 49 विधायक को रिपीट किया गया है. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए 5 नेताओं की लॉटरी लगी है. वे पुरानी सीटों से ही बेजेपी से चुनाव लड़ेंगे. वहीं, पाटीदार फेक्टर का इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 70 सीटों में 15 पाटीदारों को टिकटें दी गई हैं.

पाटीदार आंदोलन का असर मोरबी और राजकोट जिले में ज्यादा दिखा है. ऐसे में सौराष्ट्र में उन जिलों की टिकटों पर उम्मीदवार घोषित नहीं किए गए हैं. रणनीति यह है कि यदि हार्दिक का कांग्रेस से गठजोड़ हो जाता है और उन सीटों पर हार्दिक के साथियों को उतारा जाता है तो बीजेपी को अपनी रणनीति बदलनी पड़ेगी. ऐसे में बीजेपी चाह रही है कि इन सीटों पर कांग्रेस पहले अपने पत्ते खोले. पहले चरण के चुनाव के लिए नामांकन भरने की आखिरी तारीख 21 है. ऐसी स्थिति में देखना होगा कि बाकी सीटों पर कौन पहले अपने उम्मीदवार घोषित करता है.

उप मुख्यमंत्री नितीन पटेल ने कहा, गुजरात बीजेपी ने 70 उम्मीदवारों की पहली सूची जारी की. दोनों ही चरण के उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं. इसमें 49 सिटिंग विधायक हैं, जबकि 15 नए चेहरों को शामिल किया गया है. बीजेपी का दावा है कि घोषित की गई सीटों पर किसी भी तरह के विवाद की कोई गुंजाइश नहीं है. उम्मीदवारों की सुची पर गौर किया जाए तो पहले चरण के 42 उम्मीदवार घोषित किए गए हैं. जबकि दूसर से चरण के 28 उम्मीदवारों के नाम घोषित किए गए हैं.

नितीन पटेल ने कहा, सावली के केतन ईनामदार बीजेपी से चुनाव लड़ेंगे जो 2012 में निर्दलीय चुनाव लड़कर जीते थे. जबकि बतौर आईपीएस अधिकारी अपना इस्तीफा देने वाले पीसी बरंडा को भिलोडा से प्रत्याशी घोषित किया गया है. कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हुए राम सिंह परमार को ठासरा, मानसिंह चौहान को बालासिनोर, सीके राउजी को गोधरा, राघवजी पटेल को जामनगर और जामनगर ग्राम्य से धर्मेंद्र जाडेजा को भी दिया गया है.लिस्ट में विजय रुपाणी को राजकोट, नितीन पटेल को महेसाना, प्रदेश अध्यक्ष जीतु वाधानी को भावनगर से टिकट दिया गया है. इससे पहले उम्मीदवारों ने सीटें बदलने की मांग की थी, लेकिन पार्टी आलाकमान ने उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ाने की ठानी. माना जा रहा है कि अगर बड़े नेताओं की सीटें बदली जाती तो संदेश गलत जाता.

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