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झारखंड: डायन प्रथा का साया, एक परिवार के तीन सदस्यों की निर्मम हत्या

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झारखंड: डायन प्रथा का साया, एक परिवार के तीन सदस्यों की निर्मम हत्या
झारखंड: डायन प्रथा का साया, एक परिवार के तीन सदस्यों की निर्मम हत्या

झारखंड के पश्चिम सिंहभूम जिले में एक ही परिवार के तीन सदस्यों की हत्या डायन बिसाही के आरोप में किए जाने का मामला सामने आया है। यह घटना स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल पैदा कर चुकी है। इस घटना से झारखंड में डायन प्रथा के प्रचलन के खतरनाक पहलुओं पर सवाल उठ रहे हैं।

घटना का सारांश

बंदगांव प्रखंड के टेबो थाना क्षेत्र के चम्पाबा पंचायत के सियांकेल गांव में डुग्लू पूर्ति (57 वर्ष), उनकी पत्नी सुकबरो पूर्ति (48 वर्ष) और बेटी डस्किर पूर्ति (24 वर्ष) की हत्या कर दी गई। घटना गुरुवार रात की बताई जा रही है। मृतक दंपति के भतीजे हरी प्रकाश पूर्ति ने आरोप लगाया है कि उनके चाचा-चाची और चचेरी बहन की डायन बिसाही के आरोप में हत्या की गई होगी।

हत्या के तरीके और शवों की स्थिति

अज्ञात हमलावरों ने तीनों को उनके घर से खींचकर बाहर निकाला और उनके सिर और गर्दन पर धारदार हथियार से वार कर दिया। हत्या के बाद शवों को जंगल के चुरिनकोचा पहाड़ी में ले जाकर फेंक दिया गया था। मृतक डुग्लू पूर्ति की छोटी बेटी ददकी पूर्ति को इस घटना की जानकारी लग गयी जिसके बाद उसने और अपने भतीजे ने पुलिस को सूचना दी। शव बरामद होने पर तीनों पूरी तरह नग्न पाए गए। शव के सिर और गर्दन पर गंभीर चोटें थीं।

पुलिस की जांच

पुलिस मामले की जांच कर रही है। हालांकि पुलिस ने डायन बिसाही के आरोपों से फिलहाल इनकार कर दिया है और कहा है कि हत्या के पीछे के कारणों के सभी पहलुओं की जांच की जा रही है। पुलिस का दावा है कि जल्द ही हत्याकांड का खुलासा कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

डायन बिसाही प्रथा

डाकन या डायन प्रथा राजस्थान जैसे कई क्षेत्रों में एक समय काफी प्रचलित थी। यह प्रथा, स्त्रियों पर जादू-टोना, शिशुओं की मौत और अन्य नकारात्मक घटनाओं का आरोप लगाकर उन पर अत्याचार करने की दुष्टतापूर्ण संस्कृति थी। सैकड़ों महिलाओं को इस अंधविश्वास के कारण बर्बरतापूर्ण मौतों का शिकार होना पड़ा। भले ही इस प्रथा को कानून बनाकर खत्म कर दिया गया है लेकिन देश के कई हिस्सों में आज भी डायन प्रथा के मामले सामने आते रहते हैं।

डायन प्रथा के अत्याचारों के पीछे कारण

डायन प्रथा, ज्यादातर महिलाओं पर अत्याचार करने की प्राचीन विचारधारा के परिणाम है। यह आरोप लगाने के पीछे कुछ मुख्य कारण होते हैं जैसे:

1. सामाजिक परोपकार

समझा  जाता  है   कि   पुरुष प्रधान   समाज   में    पुरुषों  के   प्रभुत्व   को  मजबूत  करने  और    नारी शक्ति   को दबाने   के लिए   डायन   का   आरोप  लगाया जाता था।

2. स्वार्थ

यह प्रथा   कई  बार  समूह के  प्रभावशाली  लोगों  के   द्वारा   अपनी    जमीन  और   संपत्ति  पर   कब्जा  करने   के   लिए  उपयोग   की   जाती थी।

3. शिक्षा और ज्ञान का अभाव

 अज्ञानता और अंधविश्वास    इस प्रथा के    बढ़ने   के   मुख्य    कारण   हैं।  

4. कानून की कामयाबी

  कानून  बनने    के  बावजूद     ग्रामीण   क्षेत्रों   में    कानूनों    का    नियम   न   होना    भी   इस    प्रथा    को   पनपने  का    अवसर   देता   है। 

इस मामले से संबंधित चिंताएँ

  • यह मामला झारखंड में डायन बिसाही प्रथा के पुनरुत्थान का संकट दर्शाता है।

  • यह घटना गाँव में नारी अत्याचार का बदलता स्वरूप दर्शाता है।

  • समाज में बढ़ते अंधविश्वास और अज्ञानता का प्रमाण है।

take-away points:

  • डायन प्रथा एक कुप्रथा है और यह अपराध है।

  • इस प्रथा को रोकने के लिए समाज में जागरूकता पैदा करना ज़रूरी है।

  • सामाजिक सुधारों का विकास और नारी शिक्षा को बढ़ावा देना ज़रूरी है।

  • गाँवों में कानूनों का प्रभावी ढंग से नियम करना ज़रूरी है।

  • आज भी कई गाँवों में महिलाओं को आरोप लगाए जाते हैं। इन मामलों में पुलिस और अदालतों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है।

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