पैराडाइज़ जैसे दुनिया के सबसे बड़े लीक्स!
इन दस्तावेज़ों में 108 देशों के लोगों की जानकारियां हैं. 741 भारतीयों के भी इन दस्तावेज़ों में नाम दर्ज हैं. बड़े स्तर पर हुए डेटा लीक का ये कोई पहला मामला नहीं है. पहले भी पनामा पेपर्स में ऐसी ही दुनिया की नामी हस्तियों के नाम सामने आए थे. साइज़ के मुताबिक जानिए हालिया सालों में कौन से बड़े डेटा लीक हुए और कितना था उनका साइज़?
1. विकीलीक्स केबलगेट, 2010
साल 2010 में विकीलीक्स ने अफ़गान वॉर डायरी के नाम से अमेरिका के 90 हज़ार खुफिया सैन्य दस्तावेज़ों को सार्वजिक कर दिया था. इन दस्तावेज़ों में अफ़ग़ानिस्तान-पाकिस्तान में अमेरिका की सैन्य गतिविधियों की काफी जानकारियां थीं.विकीलीक्स दिसंबर 2006 में पहली बार इंटरनेट पर दिखाई दिया था. तब वेबसाइट ने दावा किया था कि उसके पास 10 लाख से भी ज़्यादा गुप्त दस्तावेज़ हैं. साइज़ की बात करें तो विकीलीक्स ने 1.7GB के महत्वपूर्ण दस्तावेज़ों को लीक किया था.
2. ऑफशोर लीक्स, 2013
साल 2013 में ICIJ (इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट) ने ऑफशोर डेटाबेस को लीक किया था. ICIJ दुनियाभर के खोजी पत्रकारों का एक समूह है, जो दुनिया के टैक्स हेवन मुल्कों में मौजूद कर चोरी करने वाली तमाम कंपनियों के दस्तावेज़ों की जांच करता है. इस लीक्स में 1.30 लाख ऑफशोर अकाउंट की जानकारियां सार्वजनिक की गईं थीं. जो कर चोरी के मामले में संदिग्ध थे. इस लीक्स को दुनिया का सबसे बड़ा कहा गया. लीक दस्तावेज़ के साइज़ की बात करें तो ये 260GB का था.
3. लक्ज़मबर्ग लीक्स, 2014
लक्स लीक्स के नाम से भी मशहूर ये दस्तावेज़ नवंबर 2014 में सामने आया था. इन दस्तावेज़ों को भी ICIJ समूह सामने लाया था. 2002 से 2010 के बीच प्राइस वाटर हाउस कूपर्स फर्म ने जिन क्लाइंट्स को फायदा पहुंचाया था, ये डेटा उसी से जुड़ा था. इसके साइज़ की बात करें तो ये लीक दस्तावेज़ 4.4 GB के थे जिन्होंने पूरी दुनिया में हंगामा मचा दिया था.
4. स्विस लीक, 2015
फरवरी साल 2015 में ICIJ समूह ने एक बार फिर गुप्त दस्तावेज़ों को सार्वजनिक कर तहलका मचा दिया था. इस खुलासे में स्विटज़रलैंड में मौजूद बैंक अकाउंट्स की जानकारी सबसे सामने कर दी गईं. 130 पत्रकारों ने मिलकर इसकी खोजबीन की. जो पेरिस, वाशिंगटन, जेनेवा और 46 अन्य मुल्कों के पत्रकार शामिल थे. जांच कर्ताओं ने बताया कि 1 लाख क्लाइंट्स और 200 कंपनियों के 180.6 अरब यूरो HSBC अकाउंट्स, जेनेवा में मौजूद है. इस लीक डाटा का साइज़ 3.3 GB था.
5. बहामास लीक्स, 2016
स्विस लीक के बाद पत्रकारों के संगठन ICIJ ने अगले साल 2016 में बहामास लीक्स के बारे में खुलासा किया. इस खुलासे में वो कंपनियां शामिल थीं, जो बाहामास में मौजूद थी. इसका खुलासा करने वाला अखबार जर्मनी का जीटॉयचे साइटुंग था. दस्तावेज़ों में सामने आया कि 1990 के शुरुआती दौर से 2016 तक बहामास में 1.75 लाख कंपनियां, ट्रस्ट और फाउंडेशन की नींव रखी गई. डाटा साइज़ की बात करें तो बहामास लीक्स का साइज़ 38GB था.
6. पनामा पेपर्स, 2016
हालिया पैराडाइज़ पेपर्स लीक्स से पहले पनामा पेपर्स लीक्स हुए थे. ये भी दुनिया के कई मुल्कों के पत्रकारों के समूह ICIJ का था. श्रृखंलाबद्ध तरीके से 2013 से लगातार ये समूह टैक्स हेवन मुल्कों में मौजूद कंपनियों के दस्तावज़ों की खोजबीन में लगा था.
पनामा दस्तावेज़ पनामियन कंपनी मोसेक फोनसेका के ज़रिए जमा किए गए थे. ये करीब 1.15 करोड़ गुप्त फाइलों का भंडार था. इन दस्तावेज़ों में कुल 2.14 लाख कंपनियों की जानकारियां थीं. इन पनामा पेपर्स में मशहूर भारतीयों सहित कई नेताओं के अवैध लेन-देन की जानकारियां थीं. पाक पीएम नवाज़ शरीफ को इसी के चलते इस्तीफा देना पड़ा था. भारतीय एजेसियों ने भी पनामा पेपर्स के जरिए 792 करोड़ के लेन-देन की जानकारी जमा की है. इस दस्तावेज़ के साइज़ की बात करें तो सबसे ज़्यादा 2.6 TB था.
7. पैराडाइज़ पेपर्स, 2017
इन पेपर्स के ज़रिए गुप्त वित्तीय दस्तावेज एक बार फिर लीक हुए हैं. इनसे दुनियाभर के अमीर और ताकतवर लोगों के गुप्त तरीकों से 19 टैक्स हेवन देशों में बड़े निवेश का पता चला है. इसको ही पैराडाइज़ पेपर्स कहा जा रहा है. लीक हुए दस्तावेजों की संख्या 1.34 करोड़ है. इनमें से अधिकतर दस्तावेज़ विदेशी निवेश से जुड़ी एक कंपनी के हैं. इसको भी ICIJ संस्था ने खोजकर निकाला. साइज़ के मामले ये लीक्स पनामा पेपर्स के बाद आते हैं. जो करीब 1.4TB के हैं.
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