Home राष्ट्रीय फेज-3 मेट्रो से कम हो जातीं 140,000 कारें, घट जाता प्रदूषण

फेज-3 मेट्रो से कम हो जातीं 140,000 कारें, घट जाता प्रदूषण

35
0

फेज-3 मेट्रो से कम हो जातीं 140,000 कारें, घट जाता प्रदूषण

 

 

अगर दिल्ली मेट्रो फेस-3 का निर्माण समय से पूरा हो जाता तो सड़कों से 140,000 कारें कम हो जातीं. दिल्ली-एनसीआर में स्मॉग की वजह से इस देरी का अहसास ज्यादा हो रहा है.

दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (डीएमआरसी) ने अपने इस पिंक और मैजेंटा कॉरीडोर को पूरा करने के लिए नया लक्ष्य अप्रैल 2018 निर्धारित किया है. वास्तविक तौर पर इस प्रोजेक्ट को दिसंबर 2016 में पूरा हो जाना चाहिए था. प्रोजेक्ट का पहला चरण दिसंबर 2015 तक कार्यान्वित होने वाला था. कालिंदी कुंज और कालकाजी मंदिर स्टेशन के बीच मैजेंटा लाइन पर ट्रायल रन अगस्त 2016 में शुरू हुआ, जो सफल नहीं हो सका.

बढ़ जाती सवारी की संख्या
डीएमआरसी डेटा के मुताबिक, 2016-17 में 213 किमी लंबे नेटवर्क में मेट्रो की औसत सवारी 2.76 मिलियन है. यदि फेज-3 शुरू हो गया होता तो इसमें 160 किमी जुड़ जाता और औसत सवारी की संख्या कई गुनी बढ़ जाती.इतने होते हैं यात्री
डीएमआरसी में जूनियर इंजीनियर दीपक कुमार के मुताबिक, दिल्ली मेट्रो के एक कोच में 42-50 लोगों के बैठने की क्षमता होती है. वहीं लगभग 318 लोग खड़े हो सकते हैं. यानि कुल 360 यात्री अंदर होते हैं. वहीं, डीएमआरसी के एक प्रवक्ता ने कहा कि एक मेट्रो में 2500-3000 लोग यात्रा करते हैं.

ऐसे करें तुलना
अब हम यात्रियों की इस संख्या की कार से तुलना करें और एक कार में औसतन चार यात्री लें तो देखते हैं कि हर कोच के लिए 90 कार की जरूरत है. साथ ही एक मेट्रो ट्रेन के लिए 700 कार की जरूरत पड़ेगी. 160 किमी लंबे इस नवनिर्मित रूट पर अगर मेट्रो ट्रेन के दिनभर में 200 फेरे होते हैं तो 1.4 लाख कारों को रोड से हटाने के लिए काफी है.

पेट्रोल-डीजल गाड़ियों से पड़ता है असर
सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, भारत स्टैंडर्ड 4 कार 1.0 ग्राम/किमी कार्बन मोनोआक्साइड (CO) और 0.18 ग्राम/किमी नाइट्रस ऑक्साइड उत्सर्जित करती हैं. दोनों ही गैस श्वसन प्रणाली के लिए नुकसानदायक है. दूसरी तरफ मेट्रो राइड पूरी तरह इलेक्ट्रिकल और प्रदूषण मुक्त होती है. फेज-3 मेट्रो के चालू होने पर शहर की हवा में 140 ग्राम/किमी कार्बन मोनोआक्साइड में रोज की कमी हो जाती.

प्रदूषण में ऐसे आ सकती है कमी
सेंटर फॉर साइंस एंड इनवायरमेंट, एनर्जी ग्रुप के प्रोग्राम मैनेजर रोहोत पठानिया ने कहा, फेज-3 मेट्रो में हो रही देरी का पर्यावरण पर असर पड़ रहा है. इससे पेट्रोल और डीजल वाहनों में 1.4 लाख से 2.4 लाख तक कमी आ सकती थी. यहां से दूसरी परेशानी जो सामने आ रही है वो ये कि काम की जगह पर काफी धूल है.

मेट्रो से हुआ फायदा
दिल्ली स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स द्वारा छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली मेट्रो की वजह से पिछले दो साल में 35 फीसदी कार्बन कंटेंट में कमी देखने को मिली है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के निर्देश से दिल्ली मेट्रो ने अपने फेरों को 3131 से 3317 तक बढ़ा दिया है. इसके साथ ही पार्किंग रेट्स भी बढ़ा दिए हैं.

Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।