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भारतीय नौजवानों को तकलीफ देती “बेरोजगारी “

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बेरोजगारी एक ऐसा सच्च जो नौजवानों को धीरे-धीरे अपनी चपेट में ले रहा हैं, हम 21वी सदी में जी रहे है जहाँ सारे आधुनिक और नयी तकनीक मौजूद है । हर साल तकरीबन 40-50 लाख नौजवान किसी न किसी सरकारी उच्चतम श्रेणी परीक्षा में बैठते है और सफल होने की भरपूर कोशिश करते है, परंतु यह भी एक सच्च है की सारे नौजवान बच्चे परीक्षा में सफल हो जाये ऐसा बहुत कम बार होता है, काफी बच्चे सफलता की सीढ़ी नहीं चढ़ पाते है ।

यह 2020 का साल भारत नहीं पूरे विश्व भर के लिए एक अभिशाप बन के उभरा है, covid 19 जैसी घातक बीमारी से लड़ते हुए कई देशों की अर्थव्यवस्था डगमगा सी गयी है, अमेरिका और चीन जैसे दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में से एक आज आर्थिक तंगी से गुज़र रहे है और इसी तरह भारत भी काफी तकलीफों से गुज़र रहा हैं, पिछले 1-2 सालों से हमारी अर्थव्यवस्था में भरी गिरावट आयी है खासकर 2020 में जब पूरा विश्व इस भयंकर महामारी से झूंझ रहा है तो भारत की भी अर्थव्यवस्था काफी नीचे हो गयी है, एक अनुमान के मुताबिक भारत की जीडीपी यानी ( घरेलू उत्पादक ) की दर 5 से नीचे हो गयी है । इसका असर नौकरियों पे सीधे तौर पर देखा गया और भारत सरकार और कुछ प्राइवेट संस्थाओं के आँकड़ो के मुताबिक तकरीबन 7-8 करोड़ नौजवानों ने अपनी नौकरियाँ खो दी चाहें वो सरकारी हो या प्राइवेट सब तरफ एक मंदी का दौर चालु है, यहाँ तक की भारत के कुछ क्षेत्रों से ख़बर मिली है कि बैंको और कुछ सरकारी संस्थाओं में वक़्त से पहले रिटायरमेंट करवा दी है और कहीं जगह 50% कर्मचारियों को अनुमति मिली है जिसकी वजह से बाकि 50% कर्मचारियों को वेतन तक नहीं मिला ।

यह वो आँखड़े है जो भयभीत करते है परंतु स्थिति इससे काफी ज्यादा चिंताजनक है 12 करोड़ से ऊपर लोगों की इस साल नौकरियाँ चली गयी और छोटे व्यापारियों को भी काफी भारी नुक्सान उठाना पढ़ा, सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में रेस्टोरेंट्स, टूरिस्ट क्षेत्र, सेल्स, रियल एस्टेट और बहुत सारे क्षेत्रों को काफी नुकसान हुआ है । लेकिन इन सबके बीच नौजवानों को 2020 में बेरोजगारी काफी तकलीफ दी है, कई सालों से परीक्षाओं का इंतज़ार करने के बाद lockdown लग जाना, पेपर लीक, या परीक्षा स्थगित होने से उनका मनोबल टूट गया हैं, आज जब भारत विकसित देशों में गिना जाता है तो भारत के करोड़ो नौजवान आज भी सड़क पे नौकरियाँ ढूंढ रहे है, हमारी भारत सरकार ने काफी काम किये बेरोजगारी भत्ता दिया, नौकरियों के लिए संगठन गठित किया, lockdown में करोड़ो रुपये खर्च करके फैक्ट्री, मॉल्स, मेट्रो, और कई जगह नौकरियाँ प्राइवेट और सरकारी नौकरियाँ निकाली परंतु इसका ज़मीनी स्तर में कोई वाज़िब अंजाम नहीं दिखा, नौजवान आज भी बेरोजगार है, खर्च किए हुए सरकारी पैसे कहाँ गए किसी को नहीं पता, संगठन बनने के बाद भी कोई नौकरी नहीं मिली, फैक्ट्री और व्यापार ठप है और कई संस्थाओं के पास जवाब नहीं है कि कब सब सही होगा ।

मैं हमारी भारत सरकार की इज़्ज़त करता हूँ, पर एक ज़िम्मेदार नागरिक और नौजवान होने के नाते यह भी मानता हूँ कि नौकरियाँ नहीं है इसवक्त, नौजवान बेरोजगारी के अँधेरे में डूब रहे है और आज भी इस उम्मीद में है कि सवेरा होगा और फिर सब ठीक होगा, परीक्षा लेने वाले और अमीर हो रहे है और परीक्षा में बैठने वाले और गरीब, सफलता की दर दिन-ब-दिन घटती जा रही है और नौजवानों का विश्वास खुद में से उठता जा रहा है, क्योंकि उम्र हर दिन बढ़ती है यह नौजवान भारत के लिए सोने की चिड़िया है यही कल जाके विदेशों में और भारत में रह के देश का नाम रोशन करेगे ।

यह ग़लती कहाँ हुई, और अब इस बेरोजगारी से कैसे लड़े ?

सबको पता है हम कोरोना महामारी से झूंझ रहे है और विश्व भर में हर जगह व्यापार और नौकरी मंदी चल रही थी, तब भारत देश को पहले से तैयारी कर लेनी चाहिए थी हमारे देश में हज़ारों संस्थाएं है जो नौकरी और आर्थिक कार्यो को देखती है परंतु सब संस्थाएं महामारी में ठप सी हो गयी और बच्चों का भविष्य अंधकार में जाने लगा । हमारे पास अभी भी काफी वक़्त है हम सब मिलकर चीज़ें सुधार सकते है ख़ासकर की भारतीय नौजवानों का भविष्य जो की उभारने की काफी जरुरत है, यह वक़्त है नयी प्राइवेट और सरकारी संस्थाओं को खोलने का कर्मचारी भर्ती का और पूरा वेतन देने का । यह बीमारी के साथ मिलकर लड़ना होगा और इसी के साथ सुरक्षित रह के जीना होगा क्योंकि कोरोना से लड़ाई हम सब की ज़िम्मेदारी है हम सब को मिलकर इसे हराना है और जीतना हैं । क्योंकि कल का सवेरा उज्जवल तभी होगा जब आज का अँधेरा समाप्त होगा ।

मैं आज यह लेख लिख कर बस इतना ही कहूँगा की भारत के नौजवान हमारी शान है, उनको कितना बुरा लगता होगा जब वो 20-25 साल की उम्र में अपने माता पिता से पैसे माँगते होंगे, शर्म आती है जो सरकारी संस्थाओं में बैठ के अपनी जेब भर रहे है नौजवानों को सड़क पे छोड़ दिया है, तरस आता है जब एक परीक्षा की सीट के लिए हज़ारों आवेदन आते है, उनका मायूस चेहरा हमसे एक ही सवाल पूछता हैं कि क्या गलती थी हमारी जो हम्हे नौकरियाँ नहीं मिल रही और बेरोजगारी देखनी पढ़ रही है ।

कृपया भारत सरकार से यह हाथ जोड़ के विनम्र विनती करता हूँ की कृपया हमारे बेरोजगार भाई बहनों का साथ दे इन्हें अच्छी नौकरियाँ मिले और यह संपूर्ण विश्व में भारत देश का नाम रोशन करे, क्योंकि यही हमारे भविष्य है और साथ ही उन घूसखोरों को भी सख्त सज़ा दे जो इस मुश्किल घड़ी में इन नौजवानों का परीक्षा कराने और नौकरी दिलाने के बहाने पैसे लूट रहे है । 

यह देश एक रंग है जिसमें सबकी एक अनोखी भूमिका है और सबसे मजबूत कड़ी है भारत के नौजवान जो बेरोजगारी के भोज से दबे जा रहे है, कृपया इनकी मदद की जाये ।

 

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