शत्रुघ्न का हमला- ‘वन मैन शो’ और ‘टू मैन आर्मी’ ना बने BJP
पटना साहिब से सांसद सिन्हा ने कहा कि भाजपा की वर्तमान नीतियों से युवा, किसान और व्यापारी असंतुष्ट हैं. उन्होंने कहा कि युवाओं, किसानों और व्यापारियों की असंतुष्टि को देखते हुए उन्हें लगता है कि पार्टी को गुजरात और हिमाचल प्रदेश चुनाव में गंभीर चुनौती का सामना करना पड़ेगा. हालांकि, उन्होंने खुद के लिए दूसरी पार्टी का विकल्प तलाशने की बात को खारिज कर दिया.
उन्होंने कहा कि वह छोड़ने के लिए भाजपा में शामिल नहीं हुए थे. लेकिन, जब वह कहते हैं कि पार्टी वन मैन शो और टू मैन आर्मी बनकर चुनौतियों को पूरा नहीं कर सकती तो इसमें वह कोई कोताही नहीं करते. वन मैन शो और टू मैन आर्मी से उनका स्पष्ट इशारा पीएम नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से था.
पूर्व केंद्रीय मंत्री सिन्हा ने कहा कि पार्टी को एकजुट रहना चाहिए और वयोवृद्ध नेताओं, जिन्होंने इस पार्टी को बनाने में कड़ी मेहनत की, उनके से आशीर्वाद से मजबूती से लड़ना चाहिए.उन्होंने कहा कि वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और अरुण शौरी जैसे नेताओं की क्या गलती है. क्यों उनको किनारा किया गया है. हम सभी एक परिवार की तरह हैं. अगर कोई गलती हुई है तो क्यों नहीं उसे सुधारने की कोशिश की जा रही है.
सिन्हा ने विफलताओं की भी ईमानदारी से विवेचना पर जोर देते हुए कहा कि पार्टी इससे इनकार नहीं कर सकती कि नोटबंदी के बाद तमाम लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी.
उन्होंने कहा कि पिछले साल लागू की गई नोटबंदी से काले धन पर मामूली असर पड़ा. इसके बाद जीएसटी भी एक जटिल टैक्स सिस्टम के रूप में सामने आया. इससे लगता है कि केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट्स को फायदा हुआ है. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत गिरने के बावजूद तेल की कीमते बढ़ रही है.
उन्होंने गुजरात में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल को भाजपा के पाले में नहीं ला पाने के लिए पार्टी नेतृत्व में अहंकार समा जाने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हार्दिक पटेल वैचारिक रूप से भाजपा के करीब थे लेकिन पार्टी ने पाटीदार आंदोलन को लेकर बुरा बर्ताव किया.
उन्होंने राजस्थान में नौकरशाहों के खिलाफ बिना अनुमति कार्रवाई नहीं करने वाले विधेयक को लेकर राज्य की वसुंधरा राजे सरकार की आलोचना की. उन्होंने कहा कि उनके पास कई ऐसे उदाहरण हैं जिससे पता चलता है कि पार्टी नेतृत्व में अहंकार आ गया है.
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