Home राष्ट्रीय सिविल सेवा परीक्षा: सफलता का दबाव या जीवन का अंत?

सिविल सेवा परीक्षा: सफलता का दबाव या जीवन का अंत?

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सिविल सेवा परीक्षा: सफलता का दबाव या जीवन का अंत?
सिविल सेवा परीक्षा: सफलता का दबाव या जीवन का अंत?

एक 28 वर्षीय युवा, जो महाराष्ट्र के ठाणे जिले में सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहा था, ने आत्महत्या कर ली। इस घटना ने एक बार फिर से सिविल सेवा परीक्षा की तीव्र प्रतिस्पर्धा और उससे जुड़े दबाव के खतरों को उजागर किया है।

परीक्षा का दबाव और मानसिक स्वास्थ्य

यह घटना दर्शाती है कि सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी, खासकर लगातार असफलताओं के बाद, युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर कितना विनाशकारी असर डाल सकती है। कई छात्र इस परीक्षा को अपनी जिंदगी की सफलता मान लेते हैं, जिसके कारण उन पर असफलता की स्थिति में अत्यधिक दबाव बनता है। यह दबाव न सिर्फ़ खुद छात्र पर ही नहीं पड़ता बल्कि उनके परिवार, दोस्तों और समाज पर भी पड़ता है।

दबाव के कारण

सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी एक कठिन प्रक्रिया है, जिसमें वर्षों का समय और समर्पण लगता है। इस दौरान छात्रों पर विभिन्न प्रकार के दबाव होते हैं:

  • परिवार की उम्मीदें: परिवार, दोस्त और समाज की ओर से बहुत अधिक अपेक्षाएँ होती हैं, जिसके कारण छात्र खुद को साबित करने का दबाव महसूस करते हैं।
  • परीक्षा की कठिनाई: यूपीएससी परीक्षा भारत में सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है, जिसका पासिंग रेट बहुत कम है।
  • प्रतिस्पर्धा: हर साल लाखों लोग इस परीक्षा में शामिल होते हैं, जिसके कारण प्रतिस्पर्धा बहुत तीव्र होती है।
  • सामाजिक मान्यता: सिविल सेवा परीक्षा को भारत में उच्च प्रतिष्ठा और सामाजिक मान्यता प्राप्त है, जिससे छात्रों में सफल होने का अत्यधिक दबाव बना रहता है।

आत्महत्या से निपटने के लिए क्या करें

जब युवा आत्महत्या जैसी चरम स्थिति में पहुँच जाते हैं तो यह बेहद दुखद होता है। ऐसे में आत्महत्या से बचने और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए निम्नलिखित कदम उठाए जा सकते हैं:

  • मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान: शिक्षा प्रणाली को मानसिक स्वास्थ्य के महत्व पर ज़ोर देना चाहिए और छात्रों को आत्महत्या और मानसिक बीमारियों से निपटने के बारे में जागरूक करना चाहिए।
  • परामर्श सेवाएँ: स्कूलों, कॉलेजों और परीक्षा केंद्रों पर परामर्श सेवाओं का विस्तार किया जाना चाहिए ताकि छात्र अपनी मानसिक स्थिति को लेकर बात कर सकें।
  • दबाव कम करने के लिए परिवार का सहयोग: परिवार को अपने बच्चों को मानसिक दबाव के बारे में समझाना चाहिए और उनकी भावनाओं को समझकर उनकी मदद करनी चाहिए।
  • सफलता और असफलता को सही परिप्रेक्ष्य में देखना: परीक्षा को जिंदगी का सब कुछ नहीं मानना चाहिए। छात्रों को यह समझना चाहिए कि सफलता या असफलता से ज़्यादा महत्वपूर्ण उनका आत्मविश्वास और उनके भविष्य के लिए प्रयास करना है।
  • शौक और गतिविधियाँ: छात्रों को पढ़ाई के अलावा अन्य शौक और गतिविधियों में शामिल होना चाहिए ताकि वे तनाव को कम कर सकें।
  • आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन: आत्महत्या से ग्रस्त लोगों के लिए हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराना चाहिए ताकि वे जरूरत के समय मदद ले सकें।

यूपीएससी परीक्षा का महत्व

यूपीएससी परीक्षा एक प्रतिष्ठित परीक्षा है जो भारत की लोक सेवाओं में भर्ती के लिए आयोजित की जाती है। इस परीक्षा में सफलता से समाज को कई फायदे होते हैं:

  • योग्य लोगों का चयन: इस परीक्षा के माध्यम से समाज के लिए योग्य और प्रतिभाशाली व्यक्तियों का चयन किया जाता है, जो लोक सेवाओं में अपनी सेवाएँ देते हैं।
  • नीतिगत फैसले लेने में योग्यता: यूपीएससी परीक्षा की कठोर तैयारी छात्रों को नीतिगत फैसले लेने, समस्याओं का विश्लेषण करने और रचनात्मक समाधान खोजने की क्षमता प्रदान करती है।
  • समस्याओं का समाधान: यूपीएससी से उत्तीर्ण अधिकारी जनता के लिए नीतिगत फैसले लेकर समाज की समस्याओं के समाधान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

Take Away Points

  • सिविल सेवा परीक्षा के दौरान युवाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
  • सफलता और असफलता के दबाव को कम करना चाहिए और छात्रों को उनके मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
  • आत्महत्या से बचने के लिए, परिवार और समाज का सहयोग जरूरी है।
  • समाज को सिविल सेवा परीक्षा को एक चुनौती के रूप में देखने के लिए जागरूक करना चाहिए, एक जीवन-मरण का सवाल नहीं।
  • परामर्श सेवाओं और आत्महत्या रोकथाम हेल्पलाइन की उपलब्धता सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है।

अंत में, यह याद रखना जरूरी है कि सफलता जीवन का एकमात्र उद्देश्य नहीं है। अपनी मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना उतना ही महत्वपूर्ण है, अगर नहीं तो ज्यादा ही महत्वपूर्ण है।

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