Ayodhya Ram temple: 22 जनवरी का दिन भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। क्योंकि इस दिन अयोध्या में (Ayodhya Ram temple) राम लला के प्राण प्रतिष्ठा (Ram Mandir consecration) का भव्य कार्यक्रम है। राम लला की प्राण प्रतष्ठिता कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण कई दिग्गज हस्तियों समेत विदेश तक भेजा गया है। पीएम मोदी समेत कई बड़े नेता राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होंगे। वही विपक्ष के नेताओं ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया है। वैसे तो विपक्ष के कई नेता राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं लेकिन कांग्रेस के इनकार पर जमकर राजनीति हो रही है। जानकारों का दावा है कांग्रेस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का निमंत्रण अस्वीकार करके अपनी पीठ पर वार किया है। इससे यूपी में कांग्रेस का कद गिरेगा। वही कई लोग कांग्रेस के इस फैसले को उनकी राजनीतिक रणनीति बता रहे हैं।
क्या है राम मंदिर की रणनीति:
कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे, अधीर रंजन, सोनिया गांधी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होने का निमंत्रण दिया गया था। कांग्रेस नेताओं ने कार्यक्रम में शामिल होने से इनकार किया और कहा- प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम अब एक राजनीतिक कार्यक्रम बन गया है। यह कार्यक्रम धार्मिक कम बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम अधिक लग रहा है। राम से हमारी आस्था है लेकिन किसी अन्य पार्टी के राजनीतिक कार्यक्रम में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है।
वही राजनीतिक विशेषज्ञ का कहना है कि कांग्रेस का राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल न होने का मुख्य कारण उनका वोट बैंक और इंडिया गठबंधन है। कांग्रेस जानती है कि उत्तर भारत में कांग्रेस की स्थिति बेहतर नहीं है। दक्षिण में कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। अगर कांग्रेस अयोध्या के आयोजित राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल होती है तो यूपी में उनकी स्थिति सुधरे या न सुधरे लेकिन दक्षिण में उनकी स्थिति बिगड़ सकती है और इण्डिया गठबंधन के जो कुछ दल राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम से अंतुष्ट हैं उनसे बैर बढ़ेगा।
कांग्रेस का दावा यह भी है कि राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम हिन्दू आस्था से अधिक पीएम की छवि बनाने की कवायद में है। वहां धार्मिक कार्यक्रम से अधिक राजनीतिक कार्यक्रम का ताना बाना बुना जा रहा है। वही अगर कांग्रेस के निर्णय पर गौर करें तो इससे स्पष्ट है कांग्रेस विरोधियों के साथ मंच साझा कर अपने वोट बैंक को प्रभावित नहीं करना चाहती है। कांग्रेस जानती है यदि वह कार्यक्रम का हिस्सा बनती है तो उससे उसका वोट बैंक प्रभावित होगा।
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