कोर्ट– महिलाएं जब अपने पति से अलग होती है तो वह पति से गुजारा भत्ता मांगती है। लेकिन अब इस परिपेक्ष्य में मद्रास हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा है कि यदि कोई महिला अपनी मर्जी से अपने पति को तलाक देती है और उससे अलग रहना चाहती है। तो वह अपने पति से गुजारा भत्ता नहीं मांग सकती है।
जानकारी के लिये बता दें हाईकोर्ट के जज भारथा चक्रवर्ती ने महिला की रिवीजन पटीशन को खारिज करते हुए कहा कि वो मेंटीनेंस की हकदार नहीं है। महिला ने फैमिली कोर्ट के आदेश के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी और अपने पति से सालाना 1 लाख के मेंटीनेंस की मांग की थी।
इसके अलावा उसने याचिका में अपने 35 साल के बीमार बेटे का जिक्र किया था और उसकी बीमारी के इलाज के लिए 5.80 करोड़ रुपये की डिमांड की थी। महिला की यह याचिक फैमिली कोर्ट में खारिज कर दी गई थी जिसके बाद महिला ने हाई कोर्ट की ओर रुख किया था।
वही इस मामले में पति की याचिका दायर थी जिसमें उसे 80 हजार रुपये प्रतिमाह देने के लिए कहा गया था। यह रकम बेटे के इलाज के लिये दी जानी थी। पति ने अपील की थी कि हाई कोर्ट यह रकम 20 हजार कर दे।
इन दोनों पति पत्नी का 2005 में हिंदू मैरिज एक्ट के सेक्शन 13बी के तहत तलाक हुआ था। उस समय पत्नी ने यह कहकर मेंटीनेंस लेने से इनकार किया था की उसका पति बेटे की देखभाल कर ले। लेकिन अब जब हाई कोर्ट में महिला ने मुआवजा मांगा है तो उसने अपना पक्ष बताते हुए कहा है कि पति बेटे की ठीक तरीके से देखभाल नही कर रहा है।
जिस कारण अब उसे मेंटीनेंस की आवश्यकता है और बेटे के इलाज के लिए पैसे की। क्योंकि वह अपने बेटे का इलाज अमेरिका जाकर करवाना चाहती है। कोर्ट ने कहा है कि मुझे नही लगता पति की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी है कि वह इतनी रकम दे पाए।
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