स्वरा भास्कर अपने नए घर के लिए गृह प्रवेश समारोह की कुछ तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा की थीं। तस्वीरों में उन्हें एक नई शुरुआत के लिए देवताओं का आशीर्वाद लेने के लिए पूजा करते हुए देखा जा सकता है। तस्वीरें प्यारी थीं, लेकिन धर्मपरायणता के सरल और सहज प्रदर्शन से अम्बेडकरवादियों और कम्युनिस्टों का आक्रोश जाग उठा। इन लोगों ने अपने ब्राह्मण विरोधी और हिंदू विरोधी एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए मौके का लाभ उठाया।
उनकी राजनीतिक हरकतों को देखते हुए तस्वीरें काफी अजीब थीं, लेकिन फिर भी उन्हें अपनी हिंदू विरासत को पूरी तरह से न छोड़ते हुए देखना अच्छा था। यह हर रोज नहीं होता है कि आप भारत में एक लिबरल्स को अपनी हिंदू विरासत का जश्न मनाते हुए देखते हैं।
स्वरा की इन तस्वीरों पर तरह-तरह के कमेंट किए गए। भारत में ब्राम्हणवाद कभी खत्म नहीं होने का दावा करते हुए स्वरा भास्कर पर ‘ब्राह्मणवाद’ के एजेंडे को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया जा रहा है। कुछ ने उन पर जातिवाद को बढ़ाया देने का भी आरोप लगाया।
यूजर्स ने कहा कि इन सब को देख कर हम पूछने पर मजबूर हैं कि हिंदू संस्कारों, कर्मकांडों का हिंदुत्व से क्या लेना-देना है, तब जबकि इसके सहारे हिंदुत्व का मजाक उड़ाया जाता है। कोरोना महामारी से पहले ही इस तरह से चेहरे से मास्क का उतरना सही नहीं है।
इस बीच कुछ लोगों ने स्वरा भास्कर की तस्वीरों की तुलना नाजी दुष्प्रचार से भी किया। यहाँ एक मिनट के लिए उस नफरत की कल्पना करें। जीवन में एक नए अध्याय को शुरू करने से पहले देवताओं की प्रार्थना की नाजीवाद के दुष्प्रचार से तुलना की जा रही है। पवित्र त्रिशूल और स्वास्तिक की तुलना नाजीवाद से की जा रही है।
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