SC कार्ति चिदंबरम के खिलाफ CBI के दस्तावेज़ों का अध्ययन करेगा
पूर्व केन्द्रीय मंत्री पी चिदंबरम के पुत्र
कार्ति चिदंबरम के खिलाफ आईएनएक्स मीडिया लिमिटेड को विदेश से धन प्राप्त करने के लिए एफआईपीबी की मंजूरी में कथित अनियमितताओं के मामले में जांच को लेकर केन्द्रीय जांच ब्यूरो की ओर से पेश गोपनीय रिपोर्ट का अवलोकन करने का सोमवार को निश्चय किया.
प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चन्द्रचूड की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने कहा कि वो कार्ति चिदंबरम और अन्य की आशंकाओं को दूर करते हुए जांच एजेंसी के सीलबंद लिफाफे में पेश दस्तावेज़ों का खुले न्यायालय में अवलोकन करेगी.
पीठ ने जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वो नौ नवंबर को या इससे पहले ये दस्तावेज़ पेश करें. शीर्ष अदालत इन दस्तावेज़ को देखने के लिए उस समय सहमत हो गयी जब मेहता ने कहा कि यदि न्यायालय इनका अवलोकन करके कोई राय नहीं बनाता है तो ये न्याय का उपहास होगा.
मेहता ने कहा, ‘क्या जांच एजेंसी को न्यायालय की ओर से कोई राय बनाने से पहले इन साक्ष्यों पर गौर करने का अनुरोध करना होगा? मेरा अनुरोध है कि कृपया कोई भी राय बनाने से पहले इन दस्तावेज़ों पर गौर कर लें.’ जांच एजेंसी ने 15 मई को एक प्राथमिकी दर्ज़ की जिसमें आरोप लगाया गया है कि 2007 में जब कार्ति के पिता केन्द्रीय वित्त मंत्री थे, उस समय आईएनएक्स मीडिया लिमिटेड को विदेश से 305 करोड़ रुपए की धनराशि प्राप्त करने के लिए विदेशी संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी में अनियमितताएं हुई हैं.मामले की सुनवाई शुरू होते ही कार्ति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायालय से अनुरोध किया कि लुक आउट सर्कुलर के मामले में कोई भी आदेश पारित किया जाए क्योंकि ये मामला तीन महीने से भी अधिक समय से लटका हुआ है. उन्होंने कहा कि कार्ति को ब्रिटेन के एक विश्वविद्यालय में 10 नवंबर को ‘पाकिस्तान में कानून का शासन’ विषय पर व्याख्यान देने जाना है परंतु इस मामले की वजह से उनका पासपोर्ट जब्त कर लिया गया है.
मेहता ने इस दलील का विरोध किया और कहा कि ये समझ से परे है कि ‘पाकिस्तान में कानून का शासन’ विषय पर व्याख्यान कैसे महत्वपूर्ण होगा. उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि कार्ति को जांच लंबित होने के दौरान विदेश यात्रा की अनुमति नहीं दी जा सकती है.
मेहता ने कार्ति का हलफनामा पढ़ते हुए कहा कि सीबीआई ‘इतनी गैरज़िम्मेदार’ नहीं हो सकती कि वो अपने साक्ष्य के रूप में मीडिया की ख़बरों को शामिल करे. उन्होंने आरोप लगाया कि इन्द्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी के माध्यम से आईएनएक्स मीडिया और एडवान्टेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड के बीच लेन देने के साक्ष्य हैं.
सिब्बल ने इसका विरोध करते हुए कहा कि न्यायालय को इस रिपोर्ट का अवलोकन नहीं करना चाहिए क्योंकि ये न्यायाधीशों को अपनी राय बनाने का अवसर प्रदान करेगा.
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