राजनीति; मणिपुर हिंसा को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के मध्य विवाद जारी है। विपक्ष लगातार सदन का बहिष्कार कर रहा है और मणिपुर हिंसा पर पीएम मोदी से जवाब मांग रहा है। मणिपुर हिंसा को लेकर अमित शाह ने विपक्ष से कहा कि वह इस विषय पर सदन में बात करने को तैयार हैं लेकिन विपक्ष ने उनकी बात को नजर अंदाज किया और सदन अध्यक्ष ओम बिरला के सम्मुख सदन के नियम 198 के तहत अविश्वास प्रस्ताव लाया। अविश्वास प्रस्ताव को सदन अध्य्क्ष ने स्वीकार कर लिया लेकिन अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ कि इस विषय पर आखिर चर्चा कब होगी।
हालाकि यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अगले इस सप्ताह में विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा हो सकती है। लेकिन अविश्वास प्रस्ताव क्यों ? क्या मणिपुर की हिंसा पर इसको लाना उचित ? क्या विपक्ष इसके माध्यम से केंद्र की राजनीति में परिवर्तन लाना चाहती है।
विपक्ष लगातार प्रयास कर रहा है कि केंद्र में सत्ता परिवर्तन हो। वही सदन शुरू होने से पूर्व अचानक से सोशल मीडिया पर महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक वीडियो वायरल होता है। वीडियो वायरल होने ही हड़कंप मच जाता है। केंद्र सरकार सवालों के घेरे में होती है। मणिपुर की घटना पर पीएम का एक बयान आता है और विपक्ष को सदन में हंगामा करने के लिए एक मुद्दा मिल जाता है।
विपक्ष सदन शुरू होते ही मणिपुर के नाम पर सत्ता पक्ष को घेरने लगता है। बार-बार विपक्ष की तरफ से दावा होता है की मोदी सरकार मणिपुर मामले पर चर्चा करने से भाग रही है। हालाकि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह विपक्ष से मणिपुर हिंसा पर बात करने की बात मीडिया के सामने कहते हैं। उनका दावा था सत्तापक्ष बात करने को तैयार है लेकिन विपक्ष इस मसले पर हंगामा करना चाहता है।
विपक्ष और सत्तापक्ष की दलीले सुनने और समझने के बाद राजनीति के जानकारों का कहना है कि- विपक्ष मणिपुर के मद्दे को तलवार बनाकर केंद्र सरकार की जड़ें काटना चाहता है। विपक्ष जिस तरह से सदन में हंगामा कर रहा है उससे जनता के बीच एक संदेश जा रहा है। जनता ख़ास कर महिलाएं इस घटना से प्रभावित हुई हैं।
विपक्ष बार-बार यह बता रहा है जलते मणिपुर पर पीएम मौन हैं पीएम का मौन अब जनता को काटने लगा है और अगर विपक्ष इसी प्रकार पीएम को सवालों के घेरे में उतारता रहा तो जनता के मन में यह बात उपजने से कोई नहीं रोक सकता की प्रधानमंत्री महिलाओं के साथ हुई बर्बरता पर कुछ नहीं कर रहे हैं। मणिपुर की घटना से अधिक अपनी सत्ता से प्यार है।
इसके साथ ही विपक्ष ने अविश्वास प्रस्ताव पारित किया है। यह अगर सत्ता गिराने के परिपेक्ष्य से है तो यह विपक्ष की एक रणनीति है। लेकिन यदि यह वास्तव में सहानुभति के परिदृश्य से है तो इसकी सराहना होनी चाहिए। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को सदन अध्यक्ष से स्वीकृति मिल गई है। विपक्ष जानता है अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा को लाइव दिखाया जाता है। अब सत्ता पक्ष यदि विपक्ष के सवालों का सही तरीके से जवाब नहीं देती है और अविश्वास प्रस्ताव पर सूचीबद्ध तरीके से चर्चा नहीं होती है। तो यह चर्चा अब केंद्र सरकार के लिए ऐसीपीड़ा बनेगी जिसके घाव साल 2024 के लोकसभा चुनाव में गहरा जाएंगे।