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जाने क्यों शिवसेना से रूठे शिंदे

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राजनीति:- महाराष्ट्र में इस समय सियासी घमासान मचा हुआ है। विधान परिषद चुनाव के नतीजे आने के बाद से उद्धव ठाकरे सरकार में शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ग़ायब हैं। सूत्रों का कहना है कि एकनाथ शिंदे इस समय सूरत में है। जब से उनके सूरत में होने की खबर आई है महाराष्ट्र के सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है और यह कयास लगाए जा रहे हैं कि अब महा विकास अघाड़ी सरकार का भविष्य क्या होगा। वही अचानक से पार्टी में ऐसा क्या हुआ कि एकनाथ शिंदे को सूरत जाना पड़ गया। 

सूत्रों का कहना है कि विधान परिषद चुनाव के दौरान मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे के बीच अनबन हुई। यह शिवसेना के स्थापना दिवस पर उद्धव ठाकरे के साथ देखे गए लेकिन इनके बीच मतभेद रहा। वही राजनीतिक गलियारों में यह हलचल तेज है कि एकनाथ शिंदे जल्द ही शिवसेना को बड़ा झटका दे सकते हैं। क्योंकि उनके भाजपा से सम्बंध पहले से ही बेहतर रहे हैं। 

जाने क्यों रूठे हैं एकनाथ शिंदे

वही अगर हम महाराष्ट्र के ठाणे ज़िला की बात करे तो यह एकनाथ शिंदे का गढ़ है। एकनाथ शिंदे के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस), देवेंद्र फडणवीस के साथ अच्छे संबंध हैं। वह चाहते थे कि शिवसेना बीजेपी के साथ जाए। क्योंकि उनका बेटा एक सांसद हैं और वह उसका भविष्य सुरक्षित करना चाह रहे थे। शिंदे के पास शहरी विकास था लेकिन उन्होंने इससे पैसा नहीं कमाया।
लेकिन अब शिवसेना और इनके बीच तना तनी जारी है। जानकारों का कहना है कि शिवसेना उन नेताओं को अपने साथ नहीं रखती जिनका पार्टी में कद बढ़ने लगता है। एकनाथ शिंदे ने अपने उम्दा राजनीतिक दर्पण के चलते अपनी अलग धाक बनाई थी वही जब शिवसेना में इनका कद बढ़ने लगा तो इनके साथ भी वही हुआ जो आनंद दीघे के साथ हुआ था। 
इसके अलावा शिवसेना में एकनाथ शिंदे के काम को उतना महत्व नहीं मिला जितना वास्तव में मिलना चाहिए। राजनीतिक विश्लेषक हेमंत देसाई का कहना है कि कुछ दिन पहले, मंत्री आदित्य ठाकरे अयोध्या दौरे पर थे. इस दौरे का प्रबंधन सांसद संजय राउत और शहरी विकास मंत्री एकनाथ शिंदे ने किया था। वही शिवसेना के स्थापना दिवस पर उन्होंने कार्यकर्ताओ को सम्बोधित किया। लेकिन उन्हें अन्य नेताओं की तरह सम्मान की नजर से नहीं देखा गया। 
वही शिंदे के भाजपा से बेहतर सम्बंध के चलते शिवसेना में उन्हें हमेशा सन्देह की नजर से देखा गया। वही शिवसेना शुरू में समृद्धि राजमार्ग का विरोध कर रही थी. लेकिन एकनाथ शिंदे ने इस परियोजना पर कभी कोई टिप्पणी नहीं की. सत्ता में आने के बाद शिंदे ने रिकॉर्ड समय में राजमार्ग का काम पूरा किया. इस काम का श्रेय उन्हें नहीं मिला. देसाई ने कहा कि बीजेपी नेताओं के साथ भी शिंदे के सौहार्द्रपूर्ण संबंध हैं। वही शिंदे काफी पुराने नेता हैं और इनका नाम मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया था। लेकिन इन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया और यह पद उद्धव ठाकरे को मिला जिससे कहीं न कहीं शिंदे के मन मे खटास है और वह शिवसेना से रूठे है।

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