आध्यात्मिक– स्त्री और पुरुष में कोई भी सर्वगुण सम्पन्न नहीं हो सकता। प्रत्येक जीव में कोई न कोई अवगुण जरूर होता है। लेकिन आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) के मुताबिक स्त्रियों में कुछ अवगुण ऐसे होते हैं जो उसे बेहद बुरा बनाते हैं। अगर स्त्रियों में यह अवगुण नहीं हैं तो स्त्री सोने के समान होती है लेकिन अगर स्त्री इन गुणों से परिपूर्ण है तो वह किसी का हित नहीं कर सकती।
आचार्य चाणक्य (Acharya Chanakya)का मानना है कि स्त्री के सबसे बड़े अवगुण, झूठ बोलना, छल करना, लोगों से ईर्ष्या करना। धन का अपार लालच करना। किसी भी पुरुष की ओर आकर्षित होना। दयाभाव न रखना हैं।
अगर कोई स्त्री इन अवगुण से परिपूर्ण होकर अपना जीवन व्यतीत करती है। तो वह किसी की हितैसी नहीं हो सकती। आचार्य चाणक्य का कहना (According to Acharya Chanakya)है कि समाज में लोगों को ऐसी स्त्रियों से सावधान रहना चाहिए और इनसे अपना भेद नहीं बताना चाहिए।
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