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सोने के बाद भविष्य में झांकती है आत्मा, भम्रण पर जाता है सूक्ष्म शरीर

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डेस्क। उलझने को कई सवाल हैं, जिनके जवाब मिल पाना काफी कठिन है। इसी कड़ी में आज हम एक ओर रहस्य पर से पर्दा उठाएंगे। आज का सवाल है कि सोने के बाद आत्मा कहां जाती है ? क्या हमारी आत्मा शरीर में ही रहती है या हमारी आत्मा मानव शरीर से अलग हो जाती है। यह लेख इसी प्रश्न का उत्तर देगा पर कुछ भौतिकतावादी लोग इस बात को अस्वीकार कर इसे  पाखंड कहेंगे। पर वो ये नहीं जानते कि आत्मा कोई पाखंड नहीं है। 

कुछ थ्योरी की माने तो सोने के बाद आत्मा पता नहीं कहां कहां की यात्रा करती है। लेकिन असल मे आत्मा इधर उधर नही जाती यह तो सिर्फ मन करता है। कई कथाओं में मनुष्य को तीन शरीरों में बांटा गया है। जो है, मानव देह, आत्मा और सूक्ष्म शरीर। यही सूक्ष्म शरीर ही हमारा मन होता है।

नैनं  छिन्दन्ति  शस्त्राणि  नैनं दहति पावक: ।

न  चैनं  क्लेदयन्तापो  न  शोषयति मारुत: ।

‌‌‌इस श्लोक में भगवान क्रष्ण कहते हैं कि हे पार्थ आत्मा को ना शास्त्र काट सकते हैं , ना आग जला सकती है ना उसे हवा उडा सकती है और ना ही उसे कोई दुख होता है। आत्मा तो सदा अचल है। ‌‌‌आत्मा के अचल होने का अर्थ है कि यह हर जगह मौजूद है। आत्मा का अंश जीव और निर्जीव सभी में होता है।

क्या सोने के बाद मानव देह छोड़ देती है आत्मा

यदि आप यह सोच रहे हैं कि सोने के बाद आपकी आत्मा भ्रमण करने के लिए जाती है तो आप गलत सोच रहे हैं। भगवान कृष्ण के अनुसार आत्मा हर जगह पर सुलभ है । पूरे संसार मे जितने भी लोग है सबकी आत्मा एक है, हम सभी ईस्वर का अंश है बस कुछ कर्मों और कपड़ो(शरीरों) के कारण ये सभी अलग अलग हैं।

अगर आप इस कर्म के ढांचे से मुक्त हो जाते हैं तो आपकी आत्मा और मेरी आत्मा जैसी कोई चीज नहीं होती है। इससे प्रमाणित होता है कि सोने के बाद आपकी आत्मा कोई गति नहीं करती। न ही उसे कही जाने की जरूरत होती है। बस आपका मन (सूक्ष्म शरीर) गति करता है। इसी गति को हम अपनी आत्मा की गति समझ लेते हैं।

‌‌‌‌‌‌सोने के बाद आपकी आत्मा भविष्य में झाक सकती है-

आत्मा कही नही जाती,  सोने के बाद आपका अचेतन मन आत्मा के सहारे भविष्य के अंदर कदम रखता है। उसके अंदर भविष्य को देखने की क्षमता होती है । कई बार जब आप बहुत ज्यादा शांत होते है तो सोने के बाद हमारा अचेतन मन भविष्य ‌‌‌के अंदर चला जाता है।

इसी लिए आपको कई ऐसे सपने आते हैं जो बाद मे सच हो गए । इस तरह के सपने हमें तब आते हैं जब हमारा अचेतन मन भविष्य के अंदर जा चुका होता है। ऐसा मुख्य रूप से ब्रम्हमुहूर्त में होता है, इसी समय आत्मा भविष्य का दरवाजा खटखटाती है।

इसका क्या आधार है ? यह बता पाना बहुत ही मुश्किल है। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि जो भौतिक जगत के अंदर घटित होता है। वह उससे पहले ही सूक्ष्म जगत के अंदर घटित हो जाता है। सूक्ष्म शरीर का असर भौतिक शरीर के उपर पड़ता है। तभी तो कई बार कुछ बुरा होने से पहले मन विचलित हो जाता है। और हम कई बार भाप लेते हैं कि सब अच्छा ही होगा। 

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