Home State news चामुंडेश्वरी मंदिर: विवादों में घिरा विकास अधिनियम

चामुंडेश्वरी मंदिर: विवादों में घिरा विकास अधिनियम

5
0
चामुंडेश्वरी मंदिर: विवादों में घिरा विकास अधिनियम
चामुंडेश्वरी मंदिर: विवादों में घिरा विकास अधिनियम

कर्नाटक उच्च न्यायालय ने श्री चामुंडेश्वरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2024 की धारा 16 और 17 के तहत राज्य सरकार द्वारा कोई भी कार्रवाई या निर्णय लेने से रोक दिया है, जब तक कि न्यायालय की पूर्व अनुमति न हो। यह निर्णय पूर्व मैसूर के शाही परिवार की प्रमोदा देवी वाडियार द्वारा दायर याचिका पर सुनाया गया है, जिसमें उन्होंने इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है। न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौड़र ने 15 अक्टूबर को यह अंतरिम आदेश पारित किया। यह आदेश न केवल सरकार की कार्यवाही को नियंत्रित करता है बल्कि चामुंडेश्वरी मंदिर की संपत्ति के संरक्षण का भी प्रावधान करता है। आइये विस्तार से समझते हैं इस महत्वपूर्ण मामले के विभिन्न पहलुओं को।

चामुंडेश्वरी मंदिर विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2024 की चुनौती

अधिनियम की संदिग्ध धाराएँ

नया अधिनियम मुख्यमंत्री को प्राधिकरण का पदेन अध्यक्ष बनाता है। धारा 16 मुख्यमंत्री को प्राधिकरण की बैठक किए बिना, सदस्यों के बीच विषय प्रसारित करके निर्णय लेने का अधिकार देती है। धारा 17 अध्यक्ष को तात्कालिक मामलों में बैठक किए बिना आदेश पारित करने और बाद में प्राधिकरण की बैठक में ऐसे आदेशों को अनुमोदित कराने की अनुमति देती है। याचिकाकर्ता का तर्क है कि ये धाराएँ मनमाने ढंग से शक्ति का प्रयोग करने का मार्ग प्रशस्त करती हैं और प्राधिकरण की पारदर्शिता और जवाबदेही को कमज़ोर करती हैं। उच्च न्यायालय ने इन धाराओं के क्रियान्वयन पर रोक लगाकर याचिकाकर्ता के इस चिंता को मान्यता दी है।

शाही परिवार की दावे

प्रमोदा देवी वाडियार का तर्क है कि राज्य विधायिका के पास यह कानून बनाने का अधिकार नहीं है और यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13, 25, 26 और 29 का उल्लंघन करता है। उनका दावा है कि यह अधिनियम धार्मिक स्वतंत्रता और धार्मिक मामलों के प्रबंधन के मौलिक अधिकारों का हनन करता है। इसके साथ ही, 2001 में उनके पति (स्वर्गीय श्रीकंठदत्त नरसिंहराज वाडियार) द्वारा दायर एक रिट अपील उच्च न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है, जिस पर सरकार द्वारा चामुंडेश्वरी मंदिर सहित 25 से अधिक मंदिरों को हिंदू धार्मिक संस्थानों और धर्मार्थ अनुदान विभाग के अधीन लेने के आदेश को चुनौती दी गई थी। यह अपील इस अधिनियम की वैधता पर भी प्रश्नचिन्ह लगाता है।

न्यायालय का अंतरिम आदेश और इसके निहितार्थ

उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को चामुंडेश्वरी मंदिर की अचल और चल संपत्ति के अलगाव पर रोक लगाते हुए, मंदिर के प्रचलित रीति-रिवाजों और परंपराओं में किसी भी तरह के परिवर्तन या हस्तक्षेप न करने का आश्वासन भी दर्ज किया है। हालांकि, अदालत ने यह स्पष्ट किया है कि याचिका लंबित होने से सरकार को अधिनियम, 2024 के तहत उपयुक्त नियम बनाने से नहीं रोका जाएगा। मंदिर के विकास के लिए मास्टर प्लान बनाने की बात राज्य सरकार द्वारा भी कही गयी है। यह आदेश न्यायालय की मंदिर की धार्मिक स्वतंत्रता और उसके ऐतिहासिक महत्व के प्रति गंभीरता को दर्शाता है।

भविष्य की कार्यवाही और संभावित परिणाम

याचिका पर अगली सुनवाई 22 नवंबर को स्थगित कर दी गई है। इस दौरान, उच्च न्यायालय द्वारा अधिनियम की वैधता और उससे संबंधित संवैधानिक मुद्दों पर निर्णय लिया जाना है। यह निर्णय न केवल चामुंडेश्वरी मंदिर के भविष्य को प्रभावित करेगा बल्कि अन्य धार्मिक संस्थानों और उनके प्रशासन के लिए भी एक महत्वपूर्ण प्रमाण बनेगा। इस मामले से सरकार के धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और विकास के अधिकारों को लेकर बहस भी छिड़ सकती है।

अधिनियम, 2024 की आवश्यकता और विवादित पहलू

यह अधिनियम चामुंडेश्वरी मंदिर के विकास और प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था। लेकिन, इस अधिनियम की कुछ धाराओं के कारण धार्मिक स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। यह अधिनियम शासन को व्यापक शक्तियां प्रदान करता है, जो संवैधानिक मानदंडों के साथ नज़र आने वाली असंगति को जन्म देती हैं। यही वह कारण है जिसके चलते याचिका दायर की गई है, और न्यायालय ने संवैधानिकता के महत्वपूर्ण मुद्दे पर इस अधिनियम की समीक्षा और संभावित परिवर्तनों पर गौर किया है।

टेक अवे पॉइंट्स:

  • कर्नाटक उच्च न्यायालय ने चामुंडेश्वरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण अधिनियम, 2024 की धारा 16 और 17 के तहत राज्य सरकार की कार्रवाई पर रोक लगा दी है।
  • पूर्व मैसूर के शाही परिवार ने अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी है।
  • न्यायालय ने मंदिर की संपत्ति के संरक्षण और पारंपरिक रीति-रिवाजों को बनाए रखने का निर्देश दिया है।
  • अधिनियम की संवैधानिकता और उससे जुड़े विवादों पर आगे की सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
  • इस मामले का निर्णय धार्मिक संस्थानों के प्रबंधन और प्रशासन पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।