भारी बारिश ने चित्तूर जिले के सोमाला मंडल में गार्गेया नदी का जलस्तर बढ़ा दिया है जिसके कारण गुरुवार को चित्तूर-सोमाला सड़क पर तीन स्थानों पर कल्वर्ट बह गए। इस घटना से क्षेत्र के निवासियों और यात्रियों को परेशानी हो रही है। सात गांवों, बोनामंदा, चिन्नाकम्पल्ली, रेड्डीवरिपल्ली, पोलीकीमकुलापल्ली, चिंतोपु, पेटुरु और बसवा पल्ली में यातायात पूरी तरह ठप्प हो गया है। जिसके चलते इन गांवों के लोग पेद़्डा ऊपरपल्ली पंचायत से कटे हुए हैं। इन गांवों के लगभग 200 बच्चे, जिनमें से अधिकतर छात्र हैं, बंद सड़कों के कारण स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को हर शुक्रवार को पेद़्डा ऊपरपल्ली में होने वाले साप्ताहिक प्रार्थना सभा में भी शामिल होने में मुश्किल हो रही है। निवासियों को ज़रूरी वस्तुओं को खरीदने में भी दिक्कतें आ रही हैं।
प्रभावित गांवों में परेशानियां बढ़ीं
इन चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए, प्रभावित गांवों के लगभग एक हज़ार परिवारों ने जिला प्रशासन से क्षतिग्रस्त ग्रामीण सड़कों के तुरंत पुनर्निर्माण और यातायात को बहाल करने की अपील की है। यह स्थिति उनके दैनिक जीवन को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है।
यातायात बाधित, स्कूल जाना मुश्किल
बाढ़ के कारण सड़कों पर चलने लायक नहीं रहने से लोग गांवों के बीच आवाजाही नहीं कर पा रहे हैं, स्कूल जाने वाले बच्चे अपनी शिक्षा से वंचित हैं और जरूरत की चीजें खरीदना भी मुश्किल हो गया है।
सामाजिक और धार्मिक गतिविधियाँ भी प्रभावित
बंद सड़कों के कारण साप्ताहिक प्रार्थना सभा और अन्य सामाजिक समारोहों में शामिल होना मुश्किल हो गया है। प्रभावित गांवों में दैनिक जीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
प्रशासन की ज़िम्मेदारी बढ़ी
क्षतिग्रस्त सड़कों के पुनर्निर्माण की जिम्मेदारी जिला प्रशासन की है। जिला प्रशासन प्रभावित ग्रामीणों को सहायता प्रदान करने और उनकी मुश्किलों को कम करने के लिए तत्काल कदम उठाएगा, ताकि उनकी दैनिक जीवन को सामान्य किया जा सके।
सरकार और प्रशासन को सतर्क रहने की जरूरत
यह घटना स्पष्ट करती है कि भारी बारिश के कारण प्राकृतिक आपदाएं हमेशा खतरा बनी रहती है। सरकार और प्रशासन को इस तरह की स्थितियों से निपटने के लिए हमेशा तैयार रहने और जरूरत पड़ने पर प्रभावित लोगों की सहायता करने के लिए योजना बनानी होगी।
प्रमुख बातें
- चित्तूर जिले में भारी बारिश से गार्गेया नदी उफान पर, जिससे तीन कल्वर्ट बह गए.
- सात गांवों का बाहरी दुनिया से संपर्क पूरी तरह कट गया.
- स्थानीय लोगों ने सड़कें पुनर्निर्माण की अपील की।
- जिला प्रशासन से मदद करने की उम्मीद की जा रही है।
- बारिश और प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए तैयारी ज़रूरी है.
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