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Death of humanity : श्राद्ध का भोज खाने आ गए 150 लोग, मासूम बेटियों मां की लाश उठाने कोई नहीं आया

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यह वाकया अररिया जिले की बिशनपुर पंचायत का है। मधुलता निवासी वीरेन मेहता के परिवार में अचानक कोरोना ने दस्तक दी। वीरेन पेशे से चिकित्सक थे। गांव वालों का इलाज करते-करते वो कब वायरस की चपेट में आ गए उन्हें पता भी नहीं लग सका। उनके जरिए संक्रमण पत्नी को भी हो गया। पहले वीरेन ने दम तोड़ा और उसके चार दिन बाद पत्नी भी दुनिया को अलविदा कह गईं। पीछे रह गई गमजदा मासूम बेटियां। हालांकि, अकेली लड़की के अपनी मां को दफनाने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। उसकी छोटी बहन के बिलखने का वीडियो भी खूब देखा गया। अलबत्ता न तो गांव के लोग और न ही सिस्टम से जुड़ा कोई व्यक्ति उनका दुख बांटने अभी तक उनके पास नहीं पहुंचा।

अकेली लड़की ने पीपीई किट पहनकर अपनी मां के शरीर को दफन किया। यहां दम तोड़ चुके सिस्टम के बीच इंसानियत का जनाजा भी निकलते देखा गया। कोरोना संक्रमित होने के बाद एक महिला की मौत हुई तो अंतिम संस्कार के लिए गांव का कोई व्यक्ति उनके दर पर नहीं पहुंचा। लेकिन जब श्राद्ध हुआ तो 150 से ज्यादा लोग उसमें शरीक होने आ गए। लोगों को न तो इस बात का डर था कि जिस घर में पकवान का लुत्फ उठा रहे हैं वहां दो लोगों की कोरोना से मौत हो चुकी है।

हां, जब मौतें हुईं तो लोग दूरी बनाए रहे। हालांकि, अकेली लड़की के अपनी मां को दफनाने की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी। उसकी छोटी बहन के बिलखने का वीडियो भी खूब देखा गया। अलबत्ता न तो गांव के लोग और न ही सिस्टम से जुड़ा कोई व्यक्ति उनका दुख बांटने अभी तक उनके पास नहीं पहुंचा। आलम यह था कि जिन दो बेटियों के सिर से माता-पिता का साया उठ गया वो श्राद्ध के खर्चे का कर्ज चुकाने के लिए यहां वहां भटक रही है, क्योंकि देनदार अपना पैसा वापस करने को कह रहे हैं।

पंचायत के मुखिया सरोज कुमार मेहता के मुताबिक- वो खुद भी संक्रमित हैं। पिछले 15 दिनों में दो ग्रामीण चिकित्सकों समेत चार लोगों की करोना से मौत हुई है। उधर, गांव वालों का कहना था कि डॉक्टर दंपति की मौत के बाद तकरीबन 150 लोग दोनों बेटियों को ढाढस बंधाने पहुंचे थे। उनका कहना है कि गांव में 800-900 लोग भोज खाने आते हैं। डॉक्टर के परिवार केस प्रति उनकी पूरी सहानुभूति है। बड़ी बेटी सोनी से वो हालचाल लेते रहते हैं।

अभी वो ही अपनी छोटी बहन चांदनी और भाई नीतीश का ख्याल रख रही है। गांव के मुखिया सरोज मेहता बताते हैं कि 9 हजार वोटर वाले गांव में 10 से 12 फीसदी लोगों की ही जांच हो सकी है। टीके की बात करें तो 200 लोग ही ऐसे खुशनसीब हैं जो वैक्सीन ले चुके हैं। उधर, सरकारी रिकार्ड की बात करें तो अररिया में 12 हजार से ज्यादा लोग संक्रमित हैं जबकि 34 अपनी जान गंवा चुके हैं। लेकिन हकीकत कुछ और ही है। मौत का आंकड़ा 100 के पार है। सिस्टम की बदहाली का आलम ये है कि कोरोना संक्रमितों को इलाज ही नहीं मिल रहा है।

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