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रणस्थलम छह लेन राजमार्ग: विकास या विनाश?

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रणस्थलम छह लेन राजमार्ग: विकास या विनाश?
रणस्थलम छह लेन राजमार्ग: विकास या विनाश?

रणस्थलम में छह लेन वाले राजमार्ग के निर्माण को लेकर श्रीकाकुलम के निवासियों में व्यापक विरोध प्रदर्शन देखने को मिला है। यह विरोध इसलिए है क्योंकि इस परियोजना के कारण सैकड़ों दुकानें और प्रतिष्ठान ध्वस्त होने की आशंका है। केंद्र सरकार ने हाल ही में विजयनगरम के सांसद और रणस्थलम निवासी कालीसेट्टी अप्पलानाइडु के अनुरोध पर इस विस्तार योजना के लिए 252.42 करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। सांसद का दावा है कि सड़क का विस्तार रणस्थलम जंक्शन पर यातायात की भीड़ को दूर करने का स्थायी समाधान प्रदान करेगा। हालांकि, तीन साल पहले स्थानीय लोगों के विरोध के कारण रणस्थलम खंड का छह लेन का विकास नहीं हो पाया था। अब इस प्रस्ताव के फिर से लागू होने पर स्थानीय लोगों में आक्रोश है।

स्थानीय लोगों का विरोध और उनकी चिंताएँ

रोजगार का नुकसान

गजुला भाष्करा राव, एडादासुला राजू, और टेकी ब्रह्मजी जैसे स्थानीय लोगों का तर्क है कि अगर कस्बे के बीच से छह लेन का राजमार्ग बनाया गया, तो 20,000 से अधिक लोग सीधे और परोक्ष रूप से अपनी आजीविका गँवा देंगे। वर्तमान में मौजूद व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के बंद होने से स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। छोटे व्यापारियों और दुकानदारों का जीवन पूरी तरह से प्रभावित होगा, जिससे गरीबी और बेरोजगारी में वृद्धि हो सकती है। यह न केवल उन लोगों के लिए विनाशकारी होगा जो सीधे तौर पर प्रभावित हैं, बल्कि पूरे क्षेत्र के आर्थिक विकास को भी नुकसान पहुंचाएगा।

भूमि अधिग्रहण की समस्या

स्थानीय लोग एतचरला और नरसन्नापेटा की तर्ज पर बाईपास रोड बनाने का सुझाव दे रहे हैं ताकि भूमि अधिग्रहण की समस्या से बचा जा सके। लेकिन राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) पहले बाईपास रोड के लिए भूमि अधिग्रहण में विफल रहा था, क्योंकि किसानों ने अत्यधिक मुआवजे की मांग की थी। अब केंद्र सरकार द्वारा बड़ी धनराशि मंजूर किए जाने के बावजूद स्थानीय लोग भूमि अधिग्रहण को लेकर चिंतित हैं और इस प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठा रहे हैं। भूमि अधिग्रहण में हुई विफलता और किसानों की मुआवजे की उच्च मांग से ये सवाल उठते हैं कि क्या बाईपास रोड निर्माण के लिए सरकार पर्याप्त रूप से तैयारी कर रही है या नहीं।

छह लेन राजमार्ग के समर्थन में तर्क

हालांकि, इस परियोजना को समर्थन देने वाले तर्क भी मौजूद हैं। सांसद का मानना है कि यह परियोजना यातायात की समस्या को दूर करने में कारगर होगी, जिससे आवागमन आसान होगा। छह लेन का राजमार्ग आर्थिक विकास को बढ़ावा देगा और व्यापार को सुविधाजनक बनाएगा, जिससे क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। ये दीर्घकालिक लाभ हैं जिन्हें वर्तमान में होने वाली कुछ असुविधाओं के साथ तौला जाना चाहिए। इस परियोजना से आने वाले विकास के संभावित लाभ और बेहतर कनेक्टिविटी का भी उल्लेख करना आवश्यक है।

समाधान की संभावनाएँ और आगे का रास्ता

समझौते का महत्व

इस विवाद का समाधान संवाद और समझौते के माध्यम से निकाला जाना चाहिए। सरकार को स्थानीय लोगों की चिंताओं को गंभीरता से लेना चाहिए और भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास योजना के लिए एक पारदर्शी और न्यायसंगत तंत्र बनाना चाहिए। एक संतुलित दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है जहाँ विकास के लाभ और स्थानीय आबादी की कल्याणकारी जरूरतों को पूरा किया जा सके। सरकार और स्थानीय लोगों के बीच खुला संवाद ही इस समस्या का कारगर समाधान निकाल सकता है।

वैकल्पिक समाधानों की खोज

इस समस्या का समाधान छह लेन के राजमार्ग का निर्माण करना ही नहीं हो सकता। सरकार को अन्य वैकल्पिक समाधानों पर भी विचार करना चाहिए, जैसे कि बेहतर सार्वजनिक परिवहन, यातायात प्रबंधन में सुधार और शहर के विकास योजना को पुनर्विचार करना। ये उपाय रणस्थलम कस्बे की आर्थिक स्थिति पर होने वाले प्रभाव को कम कर सकते हैं।

निष्कर्ष

रणस्थलम में छह लेन के राजमार्ग के निर्माण को लेकर जारी विवाद जटिल है और इसके कई पहलू हैं। सरकार को इस मुद्दे को हल करने के लिए संवेदनशील और समझौते पर आधारित रवैया अपनाना चाहिए ताकि विकास के साथ-साथ स्थानीय लोगों के हितों की भी रक्षा हो सके।

मुख्य बातें:

  • रणस्थलम में छह लेन वाले राजमार्ग के निर्माण के खिलाफ स्थानीय लोगों का व्यापक विरोध है।
  • स्थानीय लोगों की मुख्य चिंता भूमि अधिग्रहण और रोजगार के नुकसान से जुड़ी है।
  • सरकार को स्थानीय लोगों की चिंताओं का समाधान करते हुए विकासात्मक परियोजना को आगे बढ़ाना होगा।
  • बाईपास रोड का निर्माण एक संभावित समाधान हो सकता है।
  • संवाद और समझौता इस विवाद को सुलझाने का सबसे अच्छा तरीका है।
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