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आरएसएस की मथुरा बैठक: नए युग की रूपरेखा

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आरएसएस की मथुरा बैठक: नए युग की रूपरेखा
आरएसएस की मथुरा बैठक: नए युग की रूपरेखा

आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की दो दिवसीय बैठक उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में शुक्रवार, 25 अक्टूबर 2024 को प्रारंभ हुई। इस बैठक में प्रतिभागियों ने हाल ही में निधन हुए उद्योगपति रतन टाटा और अन्य प्रमुख व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह बैठक पार्कहम स्थित दीनदयाल गौ विज्ञान अनुसंधान और प्रशिक्षण केंद्र में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और महामंत्री दत्तत्रेय होसबाले द्वारा भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण के साथ आरंभ हुई। बैठक में हाल ही में निधन हुए कई गणमान्य व्यक्तियों को श्रद्धांजलि दी गई, जिनमें रतन टाटा, पूर्व पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बुद्धदेव भट्टाचार्य, माकपा नेता सीताराम येचुरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री के. नटवर सिंह, भाजपा नेता सुशील मोदी, पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल (सेवानिवृत्त) एल. रामदास और मीडिया बरोन रामोजी राव शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, संगठन के विस्तार और समाज के विभिन्न वर्गों तक सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक जागरूकता और स्वच्छ पर्यावरण जैसे संदेशों के प्रसार पर भी चर्चा हुई। यह एक महत्वपूर्ण बैठक है जिसमें आरएसएस के आगामी वर्ष की कार्ययोजना तय की जा रही है, जिसमें संगठन के शताब्दी वर्ष का खाका भी शामिल है। इस बैठक के महत्व को इस तथ्य से और भी बल मिलता है कि इसमें आरएसएस के शीर्ष नेतृत्व के सदस्य शामिल हुए हैं। यह एक विस्तृत चर्चा है जिसमें भविष्य की रणनीतियों और योजनाओं पर विचार किया जाएगा। आने वाले वर्ष में आरएसएस द्वारा किए जाने वाले कार्यों पर प्रकाश डाला जाएगा और इससे समाज पर संगठन के प्रभाव का पता चलेगा।

आरएसएस की मथुरा बैठक: एक नज़र

श्रद्धांजलि और स्मरण

आरएसएस की कार्यकारिणी की बैठक की शुरुआत ही हाल ही में निधन पाए हुए देश के जाने-माने व्यक्तियों को श्रद्धांजलि अर्पित करके हुई। रतन टाटा से लेकर कई राजनीतिक हस्तियों और मीडिया प्रमुखों को याद किया गया। यह आरएसएस के व्यापक मानवीय पहलू को दर्शाता है जो विभिन्न क्षेत्रों के लोगों को सम्मान देता है। इससे यह स्पष्ट होता है कि आरएसएस का दायरा सिर्फ़ राजनीतिक नहीं बल्कि सामाजिक और राष्ट्रीय भी है। श्रद्धांजलि सत्र ने बैठक को एक गंभीर और भावनात्मक माहौल प्रदान किया।

विजयदशमी शताब्दी की तैयारी

2025 में विजयदशमी के अवसर पर आरएसएस अपना शताब्दी वर्ष मनाएगा। मथुरा बैठक में इस ऐतिहासिक वर्ष के लिए कार्ययोजना पर विस्तार से चर्चा हुई। शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आरएसएस के कार्यक्रमों और पहलों की रूपरेखा तैयार की गई। इसमें संगठन के आगामी 100 वर्षों के लिए एक दिशा निर्धारित करने का लक्ष्य है। बैठक ने शताब्दी समारोह के व्यापक प्रभावों और भविष्य की योजनाओं की रूपरेखा बनाई।

समाज तक पहुँच और विस्तार योजनाएँ

सामाजिक समरसता पर बल

आरएसएस की कार्यकारिणी ने आगामी वर्ष में सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक शिक्षा, और स्वच्छ पर्यावरण जैसे विषयों को समाज के हर वर्ग तक पहुँचाने पर विशेष जोर दिया। इसके लिए एक व्यापक रणनीति तैयार की गई, जिससे आरएसएस के विचारों को देश के कोने-कोने तक पहुँचाया जा सके। यह कार्यक्रम सामाजिक एकता और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने के आरएसएस के प्रयासों को दर्शाता है।

मंडलों तक पहुँचने का प्रयास

आरएसएस अपने संगठन के प्राथमिक इकाइयों, मंडलों तक अपनी पहुँच को और मजबूत करने पर काम कर रहा है। मथुरा बैठक में इस विषय पर एक क्रिया योजना तैयार की गई है जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में भी संगठन की पहुँच बढ़ाई जा सके। यह आरएसएस के संगठनात्मक विकास और जनसंपर्क अभियान को दर्शाता है, जिसमें संघर्षों से दूर, जनता को जोड़ना एक लक्ष्य है।

आरएसएस की भविष्य की रणनीतियाँ

मथुरा में हुई आरएसएस की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक ने संगठन के भविष्य की रणनीतियों की दिशा तय की है। इसमें शताब्दी वर्ष की तैयारी के साथ ही सामाजिक समरसता और व्यापक जनसंपर्क पर ज़ोर दिया गया है। इस बैठक से संगठन के आने वाले समय में किस दिशा में आगे बढ़ने की योजना है, इस पर प्रकाश पड़ता है। बैठक के परिणाम से समाज पर आरएसएस के भावी प्रभाव को समझने में मदद मिलेगी।

टेक अवे पॉइंट्स:

  • आरएसएस ने हाल ही में निधन पाए कई गणमान्य व्यक्तियों को श्रद्धांजलि दी।
  • 2025 में आरएसएस का शताब्दी वर्ष है जिसकी तैयारी शुरू हो गई है।
  • सामाजिक सद्भाव, पारिवारिक शिक्षा, और पर्यावरण संरक्षण पर ज़ोर दिया गया।
  • आरएसएस अपने संगठन को और मज़बूत करने के लिए कार्य कर रहा है।
  • मथुरा बैठक से आरएसएस की भविष्य की रणनीतियाँ स्पष्ट हुई हैं।
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