Home State news सफाई कर्मचारी: अनदेखे योद्धा, अनसुनी दास्ताँ

सफाई कर्मचारी: अनदेखे योद्धा, अनसुनी दास्ताँ

6
0
सफाई कर्मचारी: अनदेखे योद्धा, अनसुनी दास्ताँ
सफाई कर्मचारी: अनदेखे योद्धा, अनसुनी दास्ताँ

विशाखापत्तनम शहर में देर शाम का समय है। पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश ने शहर में ठंडक घोल दी है और लोग गर्म कंबलों में दुबके हुए हैं। लेकिन 40 वर्षीय एल. पद्मावती (नाम बदला गया है) के लिए यह एक आराम का समय नहीं है। उन्हें अपनी रात की पाली के लिए तैयार होना है। वे ग्रेटर विशाखापत्तनम नगर निगम (GVMC) में सफाई कर्मचारी हैं और उनकी रात की पाली रात 10:30 बजे से सुबह 6:30 बजे तक होती है। यह काम उनकी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा है, लेकिन चुनौतियों से भी भरा हुआ है। उनके सामने आने वाली कठिनाइयों की कहानी इस लेख में आगे बढ़ाई जाएगी।

सफाई कर्मचारियों का संघर्षमय जीवन

आर्थिक चुनौतियाँ और रहन-सहन

पद्मावती एक छोटे से ग्रुप हाउस में रहती हैं, जहाँ उन्हें 5,500 रुपये का मासिक किराया देना पड़ता है, जो उनकी 18,500 रुपये की मासिक तनख्वाह का लगभग एक तिहाई है। उनका घर तीन कमरों का है, जिसकी दीवारों से रंग उतर रहा है और फर्श ऊबड़-खाबड़ है। छत से टपकते पानी को इकठ्ठा करने के लिए एक बाल्टी रखी हुई है। उनकी बड़ी बेटी और दामाद की तस्वीरें अलमारी में सजी हुई हैं। ये परिस्थितियाँ उनके जीवन की कठिनाइयों को दर्शाती हैं। एक शहर में रहने का मतलब, जीवनयापन की चुनौतियों से भी जूझना होता है। वे अपनी कठिन आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद शहर की सफाई के लिए कड़ी मेहनत करती हैं।

रात की पाली की कठिनाइयाँ

सफाई कर्मचारियों का मानना है कि रात की पाली सबसे कठिन होती है, खासकर महिला कर्मचारियों के लिए। कचरा इकट्ठा करने की सामान्य चुनौतियों के अलावा, उन्हें हिट-एंड-रन घटनाओं, छेड़छाड़, और नशे में धुत लोगों द्वारा उत्पीड़न का लगातार खतरा रहता है। वन टाउन क्षेत्र में यह खतरा विशेष रूप से अधिक है। पद्मावती बताती हैं कि रात की पाली में आने का मतलब अपनी जान जोखिम में डालना होता है। नशे में धुत लोग उन्हें परेशान करते हैं, लड़ाई-झगड़ा करते हैं, और कभी-कभी उनके साथ बदसलूकी भी करते हैं। कई बार नशे में धुत युवा तेज रफ़्तार से बाइक चलाते हुए उनके पास से गुजरते हैं और उनके झाड़ू भी छीन ले जाते हैं।

सुरक्षा की कमी और सामाजिक समस्याएँ

हालांकि प्रत्येक समूह में एक पुरुष पर्यवेक्षक नियुक्त किया जाता है, लेकिन वे क्षेत्रों का आवंटन करने के बाद चले जाते हैं। कई इलाकों में स्ट्रीट लाइटें खराब हैं, जिससे कर्मचारियों की मुसीबतें और बढ़ जाती हैं। बेघर लोग भी एक खतरा बन जाते हैं और कभी-कभी उन पर हमला करने की कोशिश भी करते हैं। पुलिस की गाड़ियाँ इलाके में गश्त करती रहती हैं, लेकिन हमेशा सफाई कर्मचारियों के साथ रहना संभव नहीं होता। इसलिए, ये कर्मचारी लगातार खतरे और असुरक्षा के माहौल में काम करते हैं। शौचालय और पीने के पानी की सुविधा की कमी भी महिला कामगारों के लिए एक बड़ी समस्या है। वे रात के पूरे काम के दौरान अपने साथ पानी की बोतल लेकर काम करती हैं।

अपमान और सम्मानहीनता का सामना

सामाजिक भेदभाव और अपमानजनक व्यवहार

कई सफाई कर्मचारी बताते हैं कि लोग उन्हें तुच्छ समझते हैं क्योंकि उनका संबंध कचरा संग्रहण से है और वे हाशिये के समुदायों से आते हैं। नगम्मा, पूरना मार्केट क्षेत्र से एक 35 वर्षीय सफाई कर्मचारी, इस बात पर निराशा व्यक्त करती है कि कैसे लोग उनके जैसे कर्मचारियों के साथ व्यवहार करते हैं। उन्हें अक्सर कमतर समझा जाता है और उनके साथ बदसलूकी की जाती है। कुछ लोग उन्हें अपने घरों में नौकरानी के काम पर भेजने का सुझाव देते हैं।

अपेक्षाओं और वास्तविकता का अंतर

नियमों के अनुसार, नागरिकों को अपना कचरा गीला, सूखा और खतरनाक श्रेणियों में अलग करना होता है, लेकिन कई निवासी इस जिम्मेदारी को नज़रअंदाज़ करते हैं, जिससे सारा बोझ कर्मचारियों पर पड़ जाता है। उन्हें कचरे को अलग करना पड़ता है और इसे मिनी सीवेज फ़ार्म (MSF) में ले जाना पड़ता है, जो कि उनके वेतन से कहीं ज़्यादा काम है। यह प्रक्रिया उन्हें अपमानित करती है। लोग अक्सर इस्तेमाल किए हुए डायपर और सैनिटरी नैपकिन को बिना लपेटे अन्य कचरे के साथ डाल देते हैं, जिससे बदबू असहनीय हो जाती है और उन्हें मतली होती है।

बदलाव की आवश्यकता

सार्वजनिक जागरूकता और सम्मानजनक व्यवहार

हालांकि GVMC ने हर 100 से 200 मीटर की दूरी पर पर्याप्त डंप बिन लगाए हैं, लेकिन कई लोग अपने कचरे को सही ढंग से नहीं डालते हैं, जिससे सड़कों पर गंदगी फैल जाती है। इस लापरवाही से कुत्ते और गाय गंदगी में घूमते रहते हैं। अक्सर स्थानीय लोग सड़कों पर बिखरे कचरे की तस्वीरें लेते हैं और नगर निगम को सूचित करते हैं, जिससे कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

स्वास्थ्य समस्याएँ और तनाव

सफाई कर्मचारी अक्सर बुखार, त्वचा की समस्याओं, मतली और नींद की कमी जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव करते हैं। कई पुरुष कर्मचारी और कुछ महिला सफाई ड्राइवर अपने कठिन काम से निपटने के लिए शराब का सेवन करने लगे हैं। यह दर्शाता है कि इस पेशे में स्वास्थ्य और मानसिक कल्याण भी एक गंभीर चिंता का विषय है। इन कर्मचारियों को सुरक्षा, बेहतर काम करने के माहौल, और समुचित सम्मान की जरूरत है।

मुख्य बातें:

  • विशाखापत्तनम के सफाई कर्मचारियों, खासकर महिलाओं को रात की पाली में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • सुरक्षा की कमी, छेड़छाड़, और अपमानजनक व्यवहार उनकी मुख्य समस्याएँ हैं।
  • कचरा प्रबंधन में नागरिकों की लापरवाही से भी कर्मचारियों पर बोझ बढ़ता है।
  • स्वास्थ्य समस्याएँ, तनाव और सामाजिक भेदभाव इन कर्मचारियों की ज़िंदगी का हिस्सा बन गए हैं।
  • सफाई कर्मचारियों के प्रति सम्मानजनक व्यवहार और बेहतर कार्य परिस्थितियों की आवश्यकता है।
Text Example

Disclaimer : इस न्यूज़ पोर्टल को बेहतर बनाने में सहायता करें और किसी खबर या अंश मे कोई गलती हो या सूचना / तथ्य में कोई कमी हो अथवा कोई कॉपीराइट आपत्ति हो तो वह jansandeshonline@gmail.com पर सूचित करें। साथ ही साथ पूरी जानकारी तथ्य के साथ दें। जिससे आलेख को सही किया जा सके या हटाया जा सके ।