उत्तर प्रदेश सरकार ने जिलाधिकारियों (डीएम) और मंडलायुक्तों के प्रदर्शन मूल्यांकन में निवेश को प्राथमिकता देने के निर्णय पर पूर्व मुख्य सचिव आलोक रंजन ने चिंता व्यक्त की है। यह निर्णय, उनके वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट (एसीआर) में निवेश आकर्षण और ऋण सुविधा को शामिल करता है, जिससे प्रशासनिक अधिकारियों पर अनावश्यक दबाव पड़ने की आशंका है। यह निर्णय न केवल अनुचित है, बल्कि यह प्रशासनिक कार्यों से ध्यान भंग कर सकता है और क्षेत्रीय असमानताओं को और बढ़ावा दे सकता है। आइये इस विषय का गहन विश्लेषण करें।
डीएम और मंडलायुक्तों के मूल्यांकन में निवेश का महत्व
निष्पक्ष मूल्यांकन की चुनौती
उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला जिलाधिकारियों और मंडलायुक्तों के वार्षिक मूल्यांकन में निवेश आकर्षण को एक प्रमुख मानदंड बनाता है। हालांकि, यह निर्णय कई चुनौतियों से जूझ रहा है। प्रशासनिक अधिकारियों के कंधों पर कानून व्यवस्था बनाए रखना, ग्रामीण विकास योजनाओं का क्रियान्वयन, और गरीबों एवं वंचितों के लिए सरकारी कार्यक्रमों को लागू करना जैसे कई महत्वपूर्ण कार्य हैं। निवेश आकर्षण को प्राथमिकता देने से इन मूलभूत कार्यों पर ध्यान कम हो सकता है। यह एक असंतुलन पैदा करता है, जहाँ प्रशासनिक जिम्मेदारियों को निवेश की चाहत के आगे उपेक्षित किया जा सकता है। एक समान मूल्यांकन व्यवस्था लागू करना मुश्किल होगा क्योंकि अलग-अलग जिलों में भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियाँ भिन्न हैं।
क्षेत्रीय असमानताओं का प्रभाव
दिल्ली के निकटवर्ती जिलों, जैसे गाजियाबाद और गौतम बुद्ध नगर, को निवेश आकर्षित करने में भौगोलिक लाभ प्राप्त है। इसके विपरीत, पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिले निवेश आकर्षित करने में कठिनाई का सामना करते हैं। इस प्रकार, एक समान मूल्यांकन मानदंड का प्रयोग इन क्षेत्रीय असमानताओं को अनदेखा करता है और अधिकारियों पर अनुचित दबाव डालता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में निवेश की मात्रा का दिल्ली के पास वाले जिलों से तुलना करना ही गलत है।
एमओयू बनाम वास्तविक निवेश
यह फैसला अधिकारियों को केवल निवेश के इरादे पर आधारित समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित कर सकता है, जो वास्तविक निवेश में परिवर्तित न हो। यह एक निष्पक्ष मूल्यांकन प्रणाली नहीं है क्योंकि एमओयू हस्ताक्षर करना वास्तविक निवेश की गारंटी नहीं देता। वास्तविक निवेश के बिना केवल एमओयू पर आधारित मूल्यांकन अधिकारियों के प्रदर्शन का गलत आकलन कर सकता है।
सरकार का तर्क और इसके निहितार्थ
जवाबदेही और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने का प्रयास
उत्तर प्रदेश सरकार का तर्क है कि यह कदम अधिकारियों में जवाबदेही और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा। सरकार का मानना है कि निवेश आकर्षण के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अधिकारियों को प्रोत्साहित करना और उनका मूल्यांकन इसी आधार पर करना आवश्यक है। इस कदम से निवेशकों को आकर्षित करने के लिए भूमि आवंटन, रियायतें और अन्य आवश्यक प्रक्रियाओं को सुचारू बनाने के प्रयासों को गति मिलने की उम्मीद सरकार को है।
निवेश-अनुकूल माहौल निर्माण का प्रयास
सरकार का लक्ष्य राज्य में निवेश के अनुकूल माहौल तैयार करना है। यह भूमि आवंटन में तेजी, उपयुक्त अवसंरचना, और निवेशकों के लिए अनुकूल नीतियों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करके ही प्राप्त किया जा सकता है। डीएम और मंडलायुक्तों को इस प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
चिंताएँ और सुझाव
प्रशासनिक दायित्वों पर असर
डीएम और मंडलायुक्तों के मूल्यांकन में निवेश को प्राथमिकता देने का सीधा प्रभाव उनकी अन्य प्रशासनिक जिम्मेदारियों पर पड़ सकता है। यह एक ऐसा कदम है जो उनके मूल कार्यों से उनका ध्यान भंग कर सकता है, जिससे अन्य महत्वपूर्ण सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं का प्रभावित होना स्वाभाविक है।
वैकल्पिक दृष्टिकोण
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रशासनिक जिम्मेदारियों और निवेश आकर्षण के बीच संतुलन बना रहे। एक बेहतर दृष्टिकोण यह हो सकता है कि निवेश को मूल्यांकन के मानदंडों में शामिल किया जाए, लेकिन इसे अकेले प्राथमिक मानदंड न बनाया जाए। इसके अलावा, विभिन्न जिलों में मौजूद भौगोलिक और आर्थिक परिस्थितियों का ध्यान रखते हुए, एक लचीली और अधिक संतुलित मूल्यांकन प्रणाली विकसित की जानी चाहिए।
निष्कर्ष: संतुलन का महत्व
निष्कर्षतः, उत्तर प्रदेश सरकार का डीएम और मंडलायुक्तों के मूल्यांकन में निवेश को प्राथमिकता देने का निर्णय जटिल है और कई सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं को ध्यान में रखना ज़रूरी है। निवेश आकर्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की अन्य जिम्मेदारियों को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। संतुलित और निष्पक्ष मूल्यांकन प्रणाली विकसित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि अधिकारियों को सभी क्षेत्रों में कुशलतापूर्वक कार्य करने के लिए प्रेरित किया जा सके और क्षेत्रीय असमानताओं को भी दूर किया जा सके।
मुख्य बातें:
- निवेश आकर्षण महत्वपूर्ण है, लेकिन यह डीएम और मंडलायुक्तों की एकमात्र जिम्मेदारी नहीं है।
- क्षेत्रीय असमानताएँ मूल्यांकन प्रणाली में चुनौती पैदा करती हैं।
- एमओयू पर आधारित मूल्यांकन वास्तविक निवेश को नहीं दर्शाता।
- संतुलित मूल्यांकन प्रणाली की ज़रूरत है जो प्रशासनिक दायित्वों और निवेश आकर्षण दोनों को ध्यान में रखती हो।
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