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वायनाड भूस्खलन: पुनर्वास, राजनीति और इतिहास का संग्राम

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वायनाड भूस्खलन: पुनर्वास, राजनीति और इतिहास का संग्राम
वायनाड भूस्खलन: पुनर्वास, राजनीति और इतिहास का संग्राम

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा है कि वायनाड भूस्खलन से प्रभावित लोगों का पुनर्वास केंद्र सरकार की सहायता के साथ या बिना सहायता के किया जाएगा। उन्होंने रविवार को अलप्पुझा के वायलार में पुन्नप्रा-वायलार विद्रोह की 78वीं वर्षगांठ के एक सप्ताह लंबे समारोह के समापन समारोह का उद्घाटन करते हुए यह बात कही। उन्होंने वायनाड की त्रासदी को देश की सबसे बड़ी आपदाओं में से एक बताया और केंद्र सरकार की भूमिका पर सवाल उठाया।

केंद्र सरकार की सहायता की प्रतीक्षा और पुनर्वास कार्य

वायनाड भूस्खलन के बाद केंद्र सरकार से मिलने वाली वित्तीय सहायता में देरी को लेकर मुख्यमंत्री ने चिंता व्यक्त की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वायनाड दौरे और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के वादों के बाद भी राज्य को अभी तक अपेक्षित धनराशि नहीं मिल पाई है। विजयन ने कहा कि केंद्र सरकार के साथ कई बार बातचीत के बावजूद कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली है।

केंद्र की भूमिका और राज्य का संकल्प

उन्होंने कहा कि वायनाड त्रासदी के बाद अन्य राज्यों को केंद्र से तुरंत सहायता मिल गई थी, लेकिन केरल को अनदेखा किया गया है। हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार की सहायता मिलने या न मिलने के बावजूद, प्रभावित लोगों का पुनर्वास किया जाएगा। राज्य सरकार अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाएगी। यह संकल्प भूस्खलन पीड़ितों के लिए एक बड़ी राहत की बात है।

पुनर्वास कार्य योजना और चुनौतियाँ

राज्य सरकार के सामने प्रभावितों के पुनर्वास के लिए कई चुनौतियाँ हैं, जिनमें आवास का निर्माण, रोजगार के अवसर पैदा करना, और बुनियादी ढाँचे का पुनर्निर्माण शामिल है। एक व्यापक पुनर्वास योजना तैयार करने और उसे प्रभावी ढंग से लागू करने की आवश्यकता है। इसमें प्रभावित लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करना भी बेहद ज़रूरी है।

राजनीतिक दलों की भूमिका और साम्प्रदायिक सौहार्द

मुख्यमंत्री ने कांग्रेस पर साम्प्रदायिक ताकतों के प्रति नरम रुख अपनाने और उनसे “अप्रत्यक्ष समझौता” करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) सरकार साम्प्रदायिकता के खिलाफ कठोर कार्रवाई करती रहेगी। उन्होंने कांग्रेस पर अल्पकालिक लाभ के लिए साम्प्रदायिक ताकतों का साथ देने का आरोप लगाया और केरल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के. सुधाकरन द्वारा आरएसएस कार्यालयों की रक्षा के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं को भेजने की बात स्वीकार किए जाने का उदाहरण दिया।

कांग्रेस और भाजपा के बीच संबंध

विजयन ने कहा कि 2016 के विधानसभा चुनावों में भाजपा प्रत्याशी ने कांग्रेस के वोटों से नेमोम सीट जीती थी। इसी तरह, 2024 के लोकसभा चुनावों में भाजपा ने त्रिशूर सीट जीती, जिसमें कांग्रेस के वोटों में भारी गिरावट आई थी। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे कुछ साम्प्रदायिक संगठन कांग्रेस का समर्थन कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि कम्युनिस्ट पार्टियां राजनीतिक लाभ के लिए साम्प्रदायिक ताकतों के साथ गठबंधन नहीं करेंगी।

साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की आवश्यकता

यह स्पष्ट है कि केरल में साम्प्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए सभी राजनीतिक दलों को एकजुट होकर काम करने की आवश्यकता है। सभी दलों को साम्प्रदायिक सौहार्द को खतरे में डालने वाली हर गतिविधि का कड़ा विरोध करना चाहिए।

केंद्र सरकार की इतिहास से छेड़छाड़ और पश्चिम एशिया संघर्ष

विजयन ने केंद्र सरकार पर चल रहे पश्चिम एशियाई संघर्ष में अमेरिकी साम्राज्यवाद को खुश करने के लिए इस्राइल का समर्थन करने और फ़िलिस्तीन को नज़रअंदाज़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि आरएसएस और संघ परिवार के अन्य संगठनों का स्वतंत्रता संग्राम में कोई योगदान नहीं था और केंद्र सरकार अपने एजेंडे के अनुसार इतिहास को फिर से लिखने की कोशिश कर रही है, जिसकी शुरुआत स्कूली पाठ्यपुस्तकों से हो रही है।

इतिहास और राजनीति का अंतर्संबंध

भारत के इतिहास को लेकर विवाद काफी समय से जारी है। ऐसे में जरूरी है कि इतिहास के तथ्यों को सही और संतुलित ढंग से प्रस्तुत किया जाए, न कि किसी राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने के लिए। पुन्नप्रा-वायलार विद्रोह जैसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक घटनाक्रमों को सही परिप्रेक्ष्य में देखना आवश्यक है।

पश्चिम एशिया संघर्ष में भारत की नीति

पश्चिम एशियाई संघर्ष में भारत की नीति को लेकर विवाद चल रहा है। कुछ लोग मानते हैं कि भारत को फ़िलिस्तीन का समर्थन करना चाहिए, जबकि अन्य लोग मानते हैं कि भारत को इस्राइल के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए। यह एक जटिल मुद्दा है जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

निष्कर्ष: वायनाड भूस्खलन और राजनीति

वायनाड भूस्खलन के बाद केंद्र और राज्य सरकार की भूमिकाओं और राजनीतिक दलों के रवैये पर गंभीर सवाल खड़े हुए हैं। पुनर्वास कार्य तेजी से और पारदर्शी ढंग से पूरा करने की आवश्यकता है। साम्प्रदायिक सौहार्द को बनाए रखना और इतिहास को सही ढंग से प्रस्तुत करना भी बेहद ज़रूरी है।

टेक अवे पॉइंट्स:

  • वायनाड भूस्खलन पीड़ितों का पुनर्वास केंद्र सरकार की सहायता के साथ या बिना सहायता के किया जाएगा।
  • केंद्र सरकार की सहायता में देरी से पुनर्वास कार्य प्रभावित हो सकता है।
  • कांग्रेस पर साम्प्रदायिक ताकतों के साथ समझौते का आरोप लगाया गया है।
  • केंद्र सरकार पर इतिहास को अपने राजनीतिक एजेंडे के अनुसार बदलने का आरोप है।
  • पश्चिम एशिया संघर्ष में भारत की भूमिका पर बहस जारी है।
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