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वाईएसआर शर्मिला: राजनीतिक हमले और पारिवारिक विवाद

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वाईएसआर शर्मिला: राजनीतिक हमले और पारिवारिक विवाद
वाईएसआर शर्मिला: राजनीतिक हमले और पारिवारिक विवाद

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता वाई. विजय साई रेड्डी द्वारा आरोप लगाए जाने के बाद, आंध्र प्रदेश कांग्रेस कमेटी (एपीसीसी) की अध्यक्ष वाई.एस. शर्मिला ने उनपर तीखा प्रहार किया है। विजय साई रेड्डी ने शर्मिला पर आरोप लगाया था कि वह तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा) के प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू के साथ मिली हुई हैं। यह आरोप शर्मिला और उनके भाई वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी के बीच चल रहे संपत्ति विवाद के संदर्भ में लगाया गया था। इस पूरे विवाद में कई महत्वपूर्ण बिंदु उभर कर सामने आये हैं जिन पर विस्तृत चर्चा करना आवश्यक है।

शर्मिला का पलटवार और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप

शर्मिला ने विजय साई रेड्डी के उन आरोपों का जोरदार खंडन किया है जिनमे उन्होंने कांग्रेस पार्टी को वाई.एस. राजशेखर रेड्डी की मृत्यु के लिए जिम्मेदार ठहराया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि वाईएसआर कांग्रेस के लिए एक संपत्ति थे, जिन्होंने पार्टी को आंध्र प्रदेश में लगातार दो बार सत्ता में लाया। उन्होंने सवाल किया, “सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को कौन मारेगा?” विजय साई रेड्डी के इस आरोप पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी कि चंद्रबाबू नायडू भी वाईएसआर की मौत के लिए जिम्मेदार थे। शर्मिला ने कहा कि अगर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को सच में ऐसा लगता है, तो उसे अपने पाँच साल के शासनकाल में इस मामले की पूरी जाँच करनी चाहिए थी।

वाईएसआर की मौत और राजनीतिक षड्यंत्र के आरोप

यह पूरा मामला राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और पारिवारिक विवादों से घिरा हुआ है। शर्मिला ने आरोप लगाया है कि वाईएसआर के नाम को सीबीआई के आरोप पत्र में शामिल करने के पीछे जगन मोहन रेड्डी का हाथ था। उन्होंने आगे कहा कि जगन ने पोननावोलु सुधाकर रेड्डी की सेवाएँ ली थीं और बाद में उन्हें अपने सरकार में अतिरिक्त महाधिवक्ता का पद देकर इनाम दिया था। इस आरोप से जगन मोहन रेड्डी की छवि को नुकसान पहुंच सकता है।

शर्मिला और नायडू के संबंध पर आरोप और प्रतिवाद

विजय साई रेड्डी ने शर्मिला पर आरोप लगाया कि वे नायडू के साथ मिली हुई हैं क्योंकि उन्होंने अपने बेटे की शादी में उन्हें निमंत्रण दिया था। शर्मिला ने इस आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया और कहा कि वाईएसआर की बेटी होने के नाते वे कभी ऐसा काम नहीं करेंगी जिससे उनके पिता के नाम को कलंक लगे। यह बात एक महत्वपूर्ण पहलू है जो दर्शाता है कि किस प्रकार राजनीतिक विवाद पारिवारिक विवादों में बदल सकता है।

वाईएसआर की विरासत और राजनीतिक विरासत की लड़ाई

यह पूरा विवाद सिर्फ शर्मिला और जगन के बीच का पारिवारिक विवाद नहीं है, बल्कि यह वाईएसआर की राजनीतिक विरासत को लेकर भी लड़ाई है। दोनों भाई-बहन अपने पिता की विरासत को अपनी पार्टी और अपने राजनीतिक करियर के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। जगन मोहन रेड्डी वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के नेता हैं, जबकि शर्मिला कांग्रेस पार्टी से जुड़ी हुई हैं। इस प्रकार, यह विवाद दोनों पार्टियों के बीच भी एक महत्वपूर्ण राजनीतिक संघर्ष बन गया है।

जगन मोहन रेड्डी और सीबीआई के आरोप पत्र

2012 में सीबीआई ने मनमोहन सिंह सरकार के अधीन, वाईएसआर को एक विशेष अदालत के समक्ष एक आरोपपत्र में नामित किया था। आरोप था कि वाईएसआर ने दो फार्मा कंपनियों को भूमि आवंटित करने में आपराधिक साजिश रची थी। इस मामले में जगन मोहन रेड्डी को भी गिरफ्तार किया गया था। जगन ने हमेशा इस बात पर आरोप लगाया है कि कांग्रेस पार्टी उनके पिता के खिलाफ साज़िश कर रही थी और शर्मिला इस साज़िश में शामिल थीं। यह पूरा मामला कई सालों से जारी है और राजनीतिक आरोपों से भरा पड़ा है।

निष्कर्ष: पारिवारिक कलह और राजनीतिक शक्ति संघर्ष का मिश्रण

यह पूरा मामला एक जटिल राजनीतिक और पारिवारिक विवाद का उदाहरण है जिसमें व्यक्तिगत प्रतिस्पर्धा और राजनीतिक लाभ प्राप्त करने की इच्छाएँ शामिल हैं। शर्मिला और जगन के बीच यह विवाद केवल एक पारिवारिक झगड़े से बढ़कर आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है। यह विवाद इस बात का भी प्रतीक है कि कैसे राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और व्यक्तिगत विवाद एक साथ मिलकर एक बड़े संघर्ष का रूप ले सकते हैं। यह राजनीतिक दलों के लिए यह समझना महत्वपूर्ण है कि इस तरह के विवादों को कैसे संभाला जा सकता है ताकि यह राजनीतिक अस्थिरता न बढ़ाए।

मुख्य बातें:

  • वाईएस शर्मिला ने वाईएसआरसीपी के विजय साई रेड्डी द्वारा लगाए गए आरोपों का खंडन किया।
  • शर्मिला ने वाईएसआर की मौत के मामले में कांग्रेस पार्टी की भूमिका को लेकर विजय साई रेड्डी के आरोपों को खारिज किया।
  • शर्मिला ने आरोप लगाया कि उनके भाई जगन मोहन रेड्डी वाईएसआर के नाम को सीबीआई चार्जशीट में शामिल करने के षडयंत्र में शामिल थे।
  • यह विवाद आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है और यह पारिवारिक कलह और राजनीतिक शक्ति संघर्ष का मिश्रण है।
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