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जानिये 221 भैंसों की चोरी में 6 पुलिसवालों को क्यों मिली सजा ?

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उन्नाव । साल 2018 में 221 भैंसों की चोरी होने के एक मामले में लखनऊ की एक अदालत ने 6 पुलिसकर्मियों को सजा सुनाई है। पुलिसकर्मियों को यह सजा उन्नाव के माखी थाना क्षेत्र में हुई अक्टूबर 2018 की घटना के मामले में सुनाई है।

24 अक्टूबर 2008 को माखी थाने के तत्कालीन एसआई रियाज अहमद खान ने बिहार से मेरठ लाई जा रही कुल 337 भैंसों के साथ 13 वाहनों को जब्त किया था। इन भैसों में से ही 221 पशुओं के लापता होने की बात सामने आई थी, जिसके बाद वरिष्ठ अधिकारियों ने जांच के आदेश दिए थे।

बताया जा रहा है कि 24 अक्टूबर 2008 को हुई इस कार्रवाई के दौरान एसआई ने स्थानीय ग्रामीणों के बुलाकर जब्त किए गए पशुओं को देखभाल के लिए उन्हें सौंप दिया था। इस दौरान कुल 116 भैसें गांव के लोगों को दी गई थीं। पुलिस की इस कार्रवाई के संबंध में छपी मीडिया रिपोर्ट्स में 337 पशुओं के बरामद होने का दावा किया गया था, जबकि पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में 116 पशुओं के जब्त होने की बात कही थी।

विरोधाभास की इस स्थिति के सामने आने के बाद उन्नाव के तत्कालीन एसपी पीके मिश्रा ने सफीपुर क्षेत्र के सीओ को जांच करने का आदेश दिया था। जांच पूरी होने के बाद पुलिस ने गोवध अधिनियम समेत अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था।

इसके बाद इसी मामले में मेरठ निवासी एल अहमद नाम के एक शख्स ने अदालत में 337 भैंसों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को मामले की जांच के लिए विशेष जांच टीम का गठन करने का आदेश दिया। कोर्ट के आदेश के बाद गठित टीम भी इन लापता पशुओं का पता नहीं लगा सकी, जिसके बाद 2011 में केस को अदालत के आदेश पर ऐंटी करप्शन ऑर्गनाइजेशन को सौंप दिया गया।

एसीओ की टीम की ओर से मामले की जांच करते हुए निरीक्षक एससी तिवारी ने साल 2013 में माखी थाने के एसओ अनिरुद्ध सिंह, एसआई रियाज अहमद और 4 अन्य को पशुओं के लापता होने का दोषी पाया, जिसके बाद इन्हें कार्रवाई में लापरवाही का आरोपी बताते हुए हुए 2015 में अदालत में एक चार्जशीट दायर की गई।

इस मामले में पुलिसकर्मियों को लापता भैंसों को स्लॉटर हाउस में भेजने का भी आरोपी बताया गया, जिसके बाद अब मामले में अदालत ने सभी को दोषी मानते हुए सजा देने का फैसला किया है। हालांकि सजा के संबंध में सुनवाई के लिए अगली तारीख तय भी की गई है, लेकिन पूरी घटना के संबंध में अदालत और पुलिस की सक्रियता अब समूचे यूपी में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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