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फर्जी वोटिंग पर अंकुश के लिए वोटर लिस्ट को आधार से लिंक करने की सिफारिश ! जानिये मुख्य मुख्य सिफारिशें

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Lucknow. पंचायत से लेकर संसद तक के चुनाव एक साथ व एक ही मतदाता सूची से कराने के संबंध में गठित कमेटी ने 2024 तक लोकसभा और सभी विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की है। कमेटी ने 2029 से लोकसभा से पंचायत तक के सभी चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया है। फर्जी वोटिंग पर प्रभावी अंकुश के लिए वोटर लिस्ट को आधार से लिंक करने की सिफारिश की है।

मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट पर मीडिया को जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वोटर लिस्ट आधार से लिंक होने से लिस्ट को बार-बार अपडेट करने की जरूरत नहीं होगी। साथ ही किसी भी नागरिक की उम्र 18 वर्ष होते ही उसका नाम खुद वोटर लिस्ट में आ जाएगा।

स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने सोमवार को अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपी थी। रिपोर्ट में शहरी स्थानीय निकाय अध्यक्षों की तरह जिला पंचायत अध्यक्ष व क्षेत्र पंचायत प्रमुखों का चुनाव भी सीधे जनता से कराने की सिफारिश की गई है।

समिति ने कई अन्य देशों की चुनाव प्रणाली का अध्ययन करके यह रिपोर्ट बनाई है। उसने महाराष्ट्र में लागू समान मतदाता सूची का अध्ययन भी किया है। चुनाव प्रणाली के विशेषज्ञों से भी सलाह-मशविरा किया गया।

रिपोर्ट की मुख्य सिफारिशें

  • दिसंबर 2021 को केंद्र बिंदु माना जाए और 31 दिसंबर 2021 के पहले कार्यकाल पूरा करने वाली विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव 2019 के साथ कराए जाएं।
  • दिसंबर 2021 के बाद कार्यकाल पूरा करने वाली विधानसभाओं के चुनाव 2024 के लोकसभा चुनाव के साथ कराए जाएं। इस तरह 2024 तक लोकसभा व विधानसभा चुनाव साथ-साथ होने लगेंगे।
  • 2029 में निकायों के चुनाव भी लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ कराए जाएं।
  • विशेष परिस्थितियों में राष्ट्रपति शासन लागू हो। विधानसभा का कार्यकाल कम रह गया हो तो राष्ट्रपति शासन लगा रहे। अगर कार्यकाल ज्यादा हो तो नए चुनावों में गठित विधानसभा का कार्यकाल पांच साल न होकर उपचुनाव की तरह उतना ही हो जितना कि कार्यकाल शेष रह गया हो।

एक वोटर लिस्ट के संबंध में सुझाव

चूंकि सभी चुनावों में एक ही मतदाता है, इसलिए एक ही वोटरलिस्ट होनी चाहिए। भारत निर्वाचन आयोग की वोटर लिस्ट निकायों के नाम और उनके वार्डों के अनुसार बने और वोटरों को सेक्शंस में दर्ज किया जाए। स्थानीय निकायों का परिसीमन लोकसभा तथा विधानसभा क्षेत्रों के परिसीमन के साथ हो। 16 साल की आयु पर ही सभी नागरिकों के नाम डाटाबेस में दर्ज कराए जाएं। इससे 18 वर्ष पूरा होने पर उनका नाम वोटर लिस्ट में स्वत: आ जाए।

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