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Cyber Crime : ऐसे करें साइबर अपराध से बचाव, एटीएम से पैसा निकालते वक्त रखें इन बातों का ध्यान

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लखनऊ। सुविधाओं के आधुनिक दौर में साइबर अपराधियों की नजर हमेशा इसका लाभ उठाने वाले ग्राहकों की कमाई पर लगी हुई है। ऐसे करें साइबर अपराध से बचाव- इंटरनेट बैंकिंग का इस्तेमाल सर्वजनिक कंप्यूटर सिस्टम पर करने से बचें।- पासवर्ल्ड डालने के बाद रिमेंबर पासवर्ल्ड को कभी ओके न करें।- लालच देने वाले विज्ञापन या पॉप अप एड को क्लिक न करें।- डेबिट कार्ड से पेमेंट करते वक्त ध्यान दें कि आप खुद ही कार्ड स्वाइप करें। साथ ही देख लें कि मशीन में कोई स्कीमर न लगा हो।- डेबिट कार्ड के पीछे लिखे सीवीवी नंबर को हमेशा छुपाकर रखें।- फर्जी ईमेल से बचें, इससे आपके कंप्यूटर को हैक किया जा सकता है।- ई-वॉलेट एप पर पैसे जितना कम रखें, उतना सुरक्षा के लिहाज से बेहतर रहेगा।- एटीएम में पैसा निकालते वक्त ध्यान रखें कि कोई अपनी गुप्त सूचनाएं न देख रहा हो। इससे कार्ड क्लोनिंग का खतरा रहता है। ऑनलाइन साइबर अपराधियों की गतिविधियों का आलम राजधानी लखनऊ में यह देखने को मिला है कि गत एक साल में साइबर अपराध में बड़ा उछाल आया है। महज लखनऊ में ही साइबर अपराधियों ने विगत महीनोे में लोगों के खातों से एक करोड़ रुपये पर डाका डाल दिया। इस साल साइबर सेल में 1600 साइबर क्राइम की रिपोर्ट दर्ज हुई है। वहीं साल 2016 में यह आकड़ा 986 केस तक था। नोटबंदी के बाद तेजी से बढ़ा साइबर अपराध साइबर सेल के अधिकारियों का कहना है कि नोटबंद के बाद लोगों ने ज्यादा से ज्यादा ई-कॉमर्स का इस्तेमाल शुरु किया। ई-वॉलेट, पीओएस (प्वाइंट ऑफ सेल) समेत अन्य ऑनलाइन लेन-देन व्यवस्थाओं का तेजी से उपयोग किया। इसके बाद साइबर अपराधियों ने लोगों को तेजी से अपना शिकार बनाना शुरु कर दिया।

इसका आलम यह रहा कि साइबर क्राइम का ग्राफ काफी तेजी से बढ़ा है। वहीं लखनऊ में सभी मामलों को मिलाकर लोगों से एक करोड़ रूपये से अधिक की ऑनलाइन ठगी हुई। कार्ड क्लोनिंग, ई-वॉलेट समेत कई हथकंडे साइबर अपराधी इन दिनों कार्ड क्लोनिंग ही नहीं बल्कि ई-वॉलेट में पैसा रखने वालों को भी अपना निशाना बना रहे हैं। वहीं ई-कॉमर्स में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने की जगह डेबिट कार्ड का उपयोग करने वाले साइबर अपराधियों का आसान निशाना साबित हो रहें। साथ ही मैलवेयर (कंप्यूटर सिस्टम पर फर्जी पॉपअप विंडो, फर्जी सूचनाएं, संदेहपूर्ण गूगल सर्च), की-स्ट्रोक लॉगिंग व अन्य तरिकों से लोगों को शिकार बनाया जा रहा है। वहीं साइबर सेल के अधिकारियों का कहना है कि अगर पीड़ित ऐसे मामलों की तुरंत शिकायत दर्ज कराएं तो ज्यादा से ज्यादा केस सुलझाएं जा सकते हैं।

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