उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा महाकुंभ 2025 से पहले राज्य के सभी 18 प्रशासनिक डिवीजनों में कुंभ शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। यह आयोजन स्थानीय कलाकारों और स्कूली बच्चों सहित व्यापक प्रतिभागिता को दर्शाता है, जिसमें सांस्कृतिक उत्सव शामिल होंगे जो लखनऊ से शुरू होकर 14 दिसंबर, 2024 को प्रयागराज में समाप्त होंगे। यह एक व्यापक आयोजन है जो राज्य की समृद्ध कला, संस्कृति और आध्यात्मिक विरासत को प्रदर्शित करने का लक्ष्य रखता है। इसमें विभिन्न प्रकार के कार्यक्रम शामिल हैं जो राज्य के विभिन्न पहलुओं को उजागर करेंगे।
कुंभ शिखर सम्मेलन: एक व्यापक सांस्कृतिक उत्सव
सम्मेलन का उद्देश्य और कार्यक्रम
यह शिखर सम्मेलन उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विविधता और आध्यात्मिक धरोहर को प्रदर्शित करने का एक मंच होगा। इसमें कुंभ अभिनंदन रोड शो, बाल-युवा कुंभ, कला-संस्कृति कुंभ, कवि कुंभ और भक्ति कुंभ जैसे कई कार्यक्रम शामिल होंगे। यह कार्यक्रम केवल एक प्रदर्शन से परे हैं, ये कार्यक्रम युवाओं को प्रोत्साहित करने, कला और संस्कृति को बढ़ावा देने, और राज्य की विरासत को संरक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। संगीत, नृत्य, नाटक, कविता और कला के विभिन्न रूपों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिससे यह एक समृद्ध और आकर्षक कार्यक्रम बन जाएगा।
प्रतिभागी और आयोजन स्थल
12,600 से अधिक कलाकारों ने ऑनलाइन पंजीकरण कराया है, जो इस शिखर सम्मेलन के बड़े पैमाने को दर्शाता है। विश्वविद्यालयों, डिग्री कॉलेजों, इंटर कॉलेजों और अन्य शैक्षणिक संस्थानों के छात्र भी इसमें भाग लेंगे। प्रत्येक डिवीजन में अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन होगा। उदाहरण के लिए, झांसी डिवीजन में कुंभ शिखर सम्मेलन 11-12 अक्टूबर को बुंदेलखंड विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाएगा, वाराणसी में 14-15 अक्टूबर को बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में, और चित्रकूट डिवीजन में 17-18 अक्टूबर को श्री राम भद्राचार्य विश्वविद्यालय में। यह विभिन्न शहरों और क्षेत्रों को शामिल करके कुंभ की व्यापक पहुंच और महत्व को दर्शाता है।
समन्वय और संगठन
उत्तर प्रदेश सरकार ने इस विशाल आयोजन के सुचारू संचालन के लिए विभिन्न समन्वयकों की नियुक्ति की है। संस्कृति निदेशालय के सहायक निदेशक (कानून) तुहिन द्विवेदी चित्रकूट डिवीजन के समन्वयक होंगे। राजेश अहिरवार, संस्कृति निदेशालय के सहायक निदेशक, लखनऊ डिवीजन के समन्वयक होंगे। अतुल द्विवेदी, उत्तर प्रदेश लोक और आदिवासी संस्कृति संस्थान के निदेशक, झांसी डिवीजन के समन्वयक होंगे। शोभित कुमार नाहर, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक, वाराणसी डिवीजन के समन्वयक होंगे। यह संगठनात्मक ढांचा सुनिश्चित करेगा कि सम्मेलन कुशलतापूर्वक और प्रभावी ढंग से आयोजित किया जाए।
विभागों की भूमिका
उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी पेंटिंग और फोटोग्राफी प्रतियोगिताओं की देखरेख करेगी, जबकि उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी शास्त्रीय और अर्ध-शास्त्रीय गायन, नृत्य और वाद्य प्रतियोगिताओं को संभालेगी। उत्तर प्रदेश पुरातत्व विभाग, उत्तर प्रदेश राज्य अभिलेखागार और उत्तर प्रदेश संग्रहालय निदेशालय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत प्रदर्शनियों का आयोजन करेंगे। यह बहु-आयामी दृष्टिकोण राज्य की समृद्ध विरासत को विभिन्न तरीकों से प्रदर्शित करता है।
कुंभ शिखर सम्मेलन का महत्व
यह शिखर सम्मेलन महाकुंभ 2025 से पहले उत्सव का एक अग्रदूत के रूप में काम करेगा, और यह उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इससे न केवल राज्य की कला और संस्कृति का प्रदर्शन होगा, बल्कि यह युवा प्रतिभाओं को भी एक मंच प्रदान करेगा। इस शिखर सम्मेलन के माध्यम से पर्यटन को बढ़ावा मिलने और रोजगार के नए अवसर पैदा होने की भी उम्मीद है।
दीर्घकालीन प्रभाव
यह आयोजन राज्य की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने और उसे आगे बढ़ाने में योगदान देगा, साथ ही युवाओं को अपनी कला और संस्कृति के प्रति जागरूक करेगा। इसके माध्यम से कलाकारों को एक मंच मिलेगा, और पर्यटन को बढ़ावा मिलने से राज्य की अर्थव्यवस्था पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
मुख्य बातें:
- उत्तर प्रदेश सरकार राज्य के सभी 18 डिवीजनों में कुंभ शिखर सम्मेलन का आयोजन कर रही है।
- यह सम्मेलन विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करेगा, जिसमें 12,600 से अधिक कलाकार भाग लेंगे।
- विभिन्न विभागों और समन्वयकों को इस सम्मेलन के सफल संचालन के लिए जिम्मेदारी सौंपी गई है।
- यह शिखर सम्मेलन राज्य की सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देने और महाकुंभ 2025 के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
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