img

मायावती ने यति नरसिंहानंद के कथित घृणा भाषण की निंदा की और कड़ी कार्रवाई की मांग की। उन्होंने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट कर कहा कि उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में दासना देवी मंदिर के महंत ने फिर से इस्लाम के खिलाफ घृणास्पद भाषण दिए हैं, जिससे पूरे क्षेत्र और देश के कई हिस्सों में अशांति और तनाव पैदा हो गया है। प्रदर्शनकारियों के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की, लेकिन मुख्य दोषियों को दंडित नहीं किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय संविधान धर्मनिरपेक्षता की गारंटी देता है, अर्थात सभी धर्मों के प्रति समान सम्मान। इसलिए, केंद्र और राज्य सरकारों की यह ज़िम्मेदारी है कि जो लोग इसका उल्लंघन करते हैं, उनके खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करें ताकि देश में शांति रहे और विकास में बाधा न आए।

यति नरसिंहानंद का विवादित भाषण और उसके परिणाम

घृणा भाषण और विरोध प्रदर्शन

यति नरसिंहानंद पर पैगंबर मुहम्मद के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां करने का आरोप है जिसके बाद गाजियाबाद और अन्य राज्यों में विरोध प्रदर्शन हुए। उनके भड़काऊ भाषणों के वीडियो ऑनलाइन आने के बाद शुक्रवार (4 अक्टूबर, 2024) की रात को जिला स्थित दासना देवी मंदिर के बाहर बड़ी भीड़ जमा हो गई थी। प्रदर्शन के बाद मंदिर परिसर के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी गई। इस घटना के बाद कई FIR दर्ज की गयी हैं और कई पुलिस वाले घायल हुए हैं. यह घटना देश में धार्मिक सहिष्णुता की स्थिति पर सवाल खड़े करती है।

कानूनी कार्रवाई और जाँच

नरसिंहानंद के खिलाफ पहले से ही कई मामले दर्ज हैं, जिनमें 2021 के दिसंबर में हरिद्वार में कथित रूप से घृणा भाषण देने का मामला भी शामिल है और वह जमानत पर बाहर थे। शुक्रवार को दासना मंदिर के बाहर हुए विरोध प्रदर्शन के संबंध में दासना पुलिस चौकी के प्रभारी उप-निरीक्षक भानु की शिकायत पर वेव सिटी पुलिस स्टेशन में 150 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। महाराष्ट्र के अमरावती शहर में भी शनिवार (5 अक्टूबर, 2024) को उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई, जहाँ उनकी टिप्पणियों के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए। इन प्रदर्शनों में 21 पुलिस कर्मी घायल हुए और 10 पुलिस वैन क्षतिग्रस्त हो गई। पुलिस ने कहा कि नरसिंहानंद के खिलाफ धारा 299, 302, 197 और अन्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है।

मायावती का बयान और धार्मिक सद्भाव की अपील

संविधान और धर्मनिरपेक्षता

मायावती ने अपने बयान में संविधान में निहित धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि सभी धर्मों का समान सम्मान होना चाहिए और किसी भी धार्मिक समूह के खिलाफ घृणा फैलाना अस्वीकार्य है। उन्होंने घृणा भाषण फैलाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की वकालत की। उनके अनुसार, केंद्र और राज्य सरकारों को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए जो धार्मिक सौहार्द को भंग करते हैं।

देश की शांति और विकास

मायावती ने कहा कि घृणा भाषण देश में शांति और विकास के लिए एक बड़ा खतरा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस तरह के कृत्यों से देश का माहौल खराब होता है और विकास की गति रुक जाती है। उन्होंने सभी राजनैतिक दलों से इस तरह के कृत्यों को रोकने के लिए एकजुट होने का आह्वान किया। यह मायावती द्वारा देश के धार्मिक सद्भाव और एकता को बनाए रखने की अपील भी है।

घृणा भाषण और इसके खतरे

समाज पर प्रभाव

घृणा भाषण समाज में अशांति और हिंसा को बढ़ावा देता है। यह विभिन्न धार्मिक और सामाजिक समूहों के बीच विद्वेष पैदा करता है। इसके गंभीर सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिणाम हो सकते हैं। देश के सामाजिक ताने-बाने को बरकरार रखने के लिए यह ज़रूरी है कि घृणा भाषण को बर्दाश्त न किया जाए।

कानून का अभाव नहीं, कार्रवाई का अभाव

भारत में घृणा भाषण के खिलाफ कानून मौजूद हैं, लेकिन अक्सर उनके प्रभावी क्रियान्वयन में कमी होती है। यह अक्सर राजनीतिक प्रभावों या जाँच एजेंसियों की सुस्ती के कारण होता है। ज़रूरत इस बात की है कि सभी घृणा भाषण के मामलों में तुरंत और प्रभावी कार्रवाई की जाए।

निष्कर्ष और सुझाव

यति नरसिंहानंद के कथित घृणा भाषण से उत्पन्न स्थिति ने एक बार फिर धार्मिक सहिष्णुता और शांति के विषय पर बहस छेड़ दी है। मायावती के द्वारा उठाई गई चिंताओं को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। सरकार और कानून प्रवर्तन एजेंसियों को घृणा भाषण पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि देश में धार्मिक सद्भाव बना रहे।

मुख्य बातें:

  • मायावती ने यति नरसिंहानंद के कथित घृणा भाषण की कड़ी निंदा की है।
  • उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
  • यति नरसिंहानंद के खिलाफ कई राज्यों में FIR दर्ज की गई है।
  • घृणा भाषण सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा है।
  • धार्मिक सहिष्णुता बनाए रखना आवश्यक है।