लोगों को उनके मृत रिश्तेदारों के हमेशा उनके साथ होने का अहसास दिलाने के लिए वैज्ञानिक रिश्तेदारों की आवाज की नकल तैयार करेंगे। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से तैयार होने वाली यह आवाज रोबोट को दी जाएगी। इसके जरिये रोबोट बिलकुल वैसी ही आवाज में लोगों से बात करेगा जैसे कि उनके रिश्तेदार करते थे।
मिल चुकी शक्ल और नागरिकता
हांगकांग की तकनीकी कंपनी हैनसन रोबोटिक्स ने 19 अप्रैल, 2015 में सोफिया नामक इंसानी शक्ल वाला रोबोट बनाया। यह रोबोट इंसानी चेहरे के 62 भाव प्रकट करने में माहिर है। उसे पिछले साल अक्टूबर में सऊदी अरब अपनी नागरिकता दे चुका है। किसी देश की नागरिकता पाने वाली यह पहला रोबोट है। जापान भी पिछले साल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस आधारित वचरुअल रोबोट शिबुआ मिराई को नागरिकता दे चुका है।
तकनीक पर पहले से हो रहा काम
कनाडाई-अमेरिकी कारोबारी और इंजीनियर एलन मस्क न्यूरा लेस नामक खास तकनीक विकसित करने के लिए न्यूरालिंक कंपनी स्थापित कर चुके हैं। इसके तहत व्यक्ति के मस्तिष्क में लगाई जा सकने वाली अति सूक्ष्म कंप्यूटर चिप विकसित करने की योजना है। इस चिप के प्रयोग से व्यक्ति मात्र सोचने मात्र से आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और उससे जुड़ी सभी वस्तुओं को नियंत्रित कर पाएगा। साथ ही इससे विचारों का ऑनलाइन स्वतः आदान-प्रदान भी संभव होगा। खामियों को दूर कर इसे बेहतर बनाया जा सकेगा।
डिजिटल जीवन भी
इंसान के मरने के बाद डिजिटल रूप में जीवित रखने के लिए भी शोध हो रहे हैं। अमेरिकी शोध संस्था टेरासेम मूवमेंट लोगों के दिमाग को डिजिटल रूप में रोबोट में संरक्षित करने पर काम कर रही है। लोग दिमाग में मौजूद सभी यादों को संरक्षित कर सकेंगे। इसके लिए 56 हजार लोग आवेदन भी कर चुके हैं।
जीता जागता अवतार
वैज्ञानिक मृत रिश्तेदारों की ही शक्ल का रोबोट तैयार करेंगे। इस रोबोट को देखने से लोगों को मृत रिश्तेदारों की कमी नहीं खलेगी। इसी रोबोट को एआइ की मदद से उनकी आवाज दी जाएगी। इससे यह पूर्णरूप से मृत रिश्तेदारों का जीता जागता अवतार बन जाएगा। इसे लोगों से बात करने लायक बनाया जाएगा। साथ ही यह कुछ सवालों का जवाब भी दे सकेगा। जैसे क्या समय हुआ है? मौसम कैसा है?
तकनीक मौजूद
लोगों से बात करने वाली और उनके सवालों का जवाब देने के लिए बोलने वाली तकनीक अभी भी मौजूद है। ई-कॉमर्स कंपनी अमेजन ने यह तकनीक अपने ग्राहकों को अमेजन एलेक्सा के रूप में दी हुई है। लोगों को अमेजन की वेबसाइट से कुछ भी खरीदने के लिए बस इसमें बोलने मात्र की जरूरत होती है। ऑर्डर अपने आप बुक हो जाता है। इसी तरह की तकनीक एप्पल सीरी एप और गूगल असिस्टेंट के रूप में भी मौजूद है।
किसी प्रियजन की मौत के बाद लोगों को जीवन भर उसकी कमी सालती रहती है। उसका बोलना, उसका व्यवहार सबको बहुत याद आता है। इस कमी को पूरा करने के लिए वैज्ञानिक अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) की मदद ले रहे हैं। स्वीडन के वैज्ञानिकों का यह शोध अगर कारगर रहा तो मरने के बाद भी अपने प्रियजन को रोबोट के रूप में साथ रखा जा सकेगा। वैज्ञानिक उसमें जान तो नहीं डाल पाएंगे लेकिन उसके रूप-रंग, बोली-भाषा, हाव-भाव और चाल-ढाल में उस व्यक्ति का अक्स देखा जा सकेगा।
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