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यह शख्स 45 सालों से कर रहा है आग से स्नान, कारण बताया बेहद चौंकाने वाला !

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वाराणसी। जिले के छताव गाँव के कैलाश सिंह उर्फ कल्लन सिंह एक ऐसा किसान है जिसने पिछले 45 सालों से स्नान नहीं किया। ना ही उसने अपनी दाढ़ी मुछे बनवाई। गर्मी हो या जाड़ा बदन पर स्वेटर डाले रहना इनका शौक है। अग्नि स्नान करना इनकी दिनचर्या में शुमार है। मुछे साढ़े 6 फुट व जटा साढ़े सात फिट लम्बी हो चुकी हैं।

मगर इसके साथ ही वो लगातार सामान्य तरीके से जिन्दगी जी रहे हैं। घरवालों की माने तो वो इनके ना नहाने और अजब गजब शौक से शुरुआत में बेहद परेशान थे लेकिन अब आदत बन गयी है। कल्लन के इस रूप धरने के पीछे कारण उनकी पुत्र रत्न की प्राप्ति की इच्छा बताई जाती है लेकिन वो खुद इस आरोप को निराधार बता रहे है।

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यह शख्स 45 सालों से कर रहा है आग से स्नान, कारण बताया बेहद चैकाने वाला !

वाराणसी के छताव गाँव में लड़कियों की शादी में रस्म रिवाज के साथ बैंड बाजा बजना कोई नया नहीं है. लोग सामाजिक बंदिशों के चलते वो सब करते हैं जो किया जाना जरूरी है। मगर इसी गाँव में कल्लन सिंह ऐसे शख्स है जिसने तमाम बंदिशों को तोड़ अलग ही रूप धर लिया।

इसके पीछे जो कारण बताया जाता है वो ये की कल्लन सिंह की सात संतानों में से कोई भी बेटा नहीं है। पुत्र रत्न की प्राप्ति के लिये इन्होने संकल्प लिया और मन्नत की थी की वो तभी स्नान ध्यान कर दाढ़ी मुछ बनवायेंगे जब बेटा इनके घर किलकारी लेगा. 45 साल का वक्त बीत गया मगर इनके घर बेटा नहीं हुआ।

45 सालों से अग्नि स्नान करने वाले बाबा कल्लन सिंह ने 45 सालों से जल स्नान नही किया ना ही दाढ़ी मुछ बनवाई। बताते हैं कि एकबार इनके पैरों में घुटने तक कींचड़ लग गया था मगर इन्होंने उसे पानी से नहीं धोया। जबकि एकबार बरसात के दिनों में नहर पर करना मजबूरी हो गया था मगर इन्होंने हार नहीं मानी और किसी व्यक्ति ने इन्हें कंधे पर नहर पर कराया। जिसके लिए बाबा ने उसे मजदूरी भी दिया था।

यही नहीं ये राखी सावंत की अजब देश की गजब कहानी पे भी भाग ले चुके हैं। कल्लन विदेशी मीडिया में भी काफी लोकप्रिय हैं। जिनके लिए आस्ट्रेलिया, जापान, कोरिया और इंग्लैंड जैसे देशों के पत्रकार डॉक्यूमेंट्री बना चुके हैं।

अब कैलाश सिंह उर्फ कल्लन सिंह सारी जिन्दगी यूँ ही गुजर जाने को लेकर भी गमजदा नहीं है। उनकी माने तो जिस दिन उनकी मनोवांछित इच्छा पूरी हो जायेगी वो इस रूप से बाहर निकल आयेंगे. मगर ग्रामीणों और घरवालों को अब इसकी उम्मीद नहीं है।

वो तो बस इतना ही चाहते हैं की अब चाहे जो भी रूप हो वो लम्बी उम्र पायें. यही तमन्ना है। मगर गाँव के लोगों की माने तो कैलाश के इस रूप से गाँव के बारे में भले ही लोगों ने जान लिया मगर उनका ये रूप कई बार उनके नाते रिश्तेदारों के बीच उपेक्षा का विषय भी बन जाता है।

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