हमारे देश के आयकर कानून में कई जटिलताएं हैं। ये जरूरी नहीं है कि किसी शख्स को नौकरी से हो रही आय पर अगर वह टैक्स के दायरे में आ रही है तो टैक्स लगे। साल 2018-19 के बजट में इसे बदलने की कोशिश की गई है।
नॉन-कॉम्पीट पेमेंट्स यानी ‘वेतन’ और ‘वेतन के बदले में मुनाफा’ के दायरे में नहीं आते हैं इसलिए इस पर टैक्स नहीं लगता। इतना ही नहीं अब भारत में विदेशी इंटरनेट कंपनियों से भी टैक्स वसूलने की शुरुआत हो सकती है।
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क्या है ‘कॉम्पीट फी’
बिजनेस कंसल्टेंसी फर्म ईवाई इंडिया के निदेशक पुनीत गुप्ता के मुताबिक, बजट में दिए गए प्रस्ताव के अनुसार अगर किसी कर्मचारी को अपने एम्प्लायर के बदले किसी और (थर्ड पार्टी) से पेमेंट मिलता है तो उसे भी टैक्स के दायरे में लाया जाएगा।
इसे अगर दूसरे शब्दों में समझें तो टैक्स के दायरे में ऐसे मामले भी आएंगे, जिनमें पेमेंट देने वाले और लेने वाले के बीच एम्प्लायर-एम्प्लायी का रिश्ता नहीं है।
उदाहरण के लिए, अगर किसी विदेशी कंपनी की भारतीय सब्सिडियरी से नौकरी खत्म होने पर विदेशी कंपनी से मिलने वाले सेवेरेंस पेमेंट पर भी टैक्स लगेगा। वहीं कंपनियों के एक होने और अधिग्रहण होने जैसे मामले में भी अधिग्रहण करने वाली कंपनी से प्राप्त आय भी टैक्स दायरे में आ जाएगी।’
ये है नया कानून
फाइनेंस बिल के मेमोरेंडम के अनुसार, कई भुगतानों के टैक्स के दायरे में न होने की वजह से राजस्व की हानि होती थी। इसलिए ‘आयकर कानून’ के Section-56 में संशोधन करने का प्रस्ताव लाया गया है।
एम्प्लॉयमेंट के टर्मिनेशन पर नुकसान की भरपाई या किसी अन्य भुगतान को ‘दूसरे स्रोतों से इनकम’ माना जाएगा। साथ ही ऐसी इनकम पर स्लैब के मुताबिक टैक्स लगेगा।
बजट प्रस्तावों के अनुसार, एक करोड़ से ज्यादा की टैक्स योग्य इनकम पर अधिकतम 36% टैक्स लग सकता है। इस संशोधन में एम्प्लॉयर से पिंक स्लिप मिलने (नौकरी से हटाने) या VRS के मामलों को नहीं रखा गया है।
डिजिटल टैक्स
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बार बजट में उन विदेशी डिजिटल एंटिटिज को भी टैक्स के दायरे में लाने का प्रस्ताव रखा है जिनका देश में बड़ा यूजर बेस या बिजनेस है। लेकिन उनका यहां कोई अस्तित्व नहीं है।
जैसे कि फेसबुक, गूगल व नेटफ्लिक्स जैसी कंपनियों के भारत में लाखों यूजर्स हैं लेकिन इन कंपनियों को विदेशों से चलाया जाता है। हालांकि, इन कंपनियों के भारत में भी ऑफिस हैं।
लेकिन उनका ऑपरेशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर यहां नहीं है। ये पहली बार है, जब बजट में इस बात का जिक्र किया गया है कि केंद्र सरकार इनकम टैक्स एक्ट-9 में संशोधन कर ऐसी विदेशी डिजिटल कंपनियों से भी टैक्स वसूलने की की शुरुआत करने जा रही है।
सरकार द्वारा ये कदम उठाने के बाद न केवल गूगल, फेसबुक और नेटफ्लिक्स जैसी बड़ी कंपनियों पर असर पड़ेगा बल्कि भारत में कारोबार करनेवाली इंटरनेट आधारित छोटी विदेशी कंपनियां भी इसके दायरे में आएंगी।
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