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गाज़ा संकट: मानवता की चीख

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गाज़ा संकट: मानवता की चीख
गाज़ा संकट: मानवता की चीख

गाज़ा में इज़राइल के हमलों के बाद मरने वालों के शवों को आवारा कुत्तों ने खा लिया है, यह जानकारी सीएनएन को गाज़ा के उत्तरी हिस्से में आपातकालीन सेवाओं के प्रमुख, फ़ेरेस अफ़ना ने बुधवार को दी। उन्होंने आगे बताया कि गाज़ा में मारे गए लोगों के शवों को प्राप्त करने के बावजूद, कुछ शवों पर जानवरों द्वारा क्षत-विक्षत होने के निशान मिले हैं, जिससे अधिकारियों के लिए मृतकों की पहचान करना मुश्किल हो रहा है। अफ़ना ने कहा, “भूखे आवारा कुत्ते सड़क पर इन शवों को खा रहे हैं… इससे हमें शवों की पहचान करने में मुश्किल हो रही है।” उन्होंने यह भी बताया कि इस क्षेत्र के लोग पलायन करने या भूख और बमबारी का सामना करने के लिए मजबूर हैं। उन्होंने आगे कहा, “आप उत्तरी गाज़ा में लोगों पर भूख के निशान देख सकते हैं, इज़राइली सेना जीवन या जीवन के संकेतों का प्रतिनिधित्व करने वाली हर चीज़ को नष्ट कर रही है।”

गाज़ा में मानवीय संकट

भूख और विस्थापन

हज़ारों महिलाएँ और बच्चे इस क्षेत्र में फँसे हुए हैं, जबकि इज़राइल ने हवाई और जमीनी हमले किए हैं। इज़राइली सेना ने भोजन की तलाश में निकले भूखे निवासियों पर हमला किया। गाज़ा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को पुष्टि की कि पिछले दो हफ़्तों में इज़राइल ने हमलों को तेज कर दिया है, जिससे इस क्षेत्र में 65 फ़िलिस्तीनी मारे गए हैं। ये हमले न केवल जानलेवा हैं, बल्कि क्षेत्र के लोगों के जीवन को अस्तित्वहीन भी कर रहे हैं। भूख, पलायन और मौत का ये संयोग एक भयावह परिस्थिति को दर्शाता है। बुनियादी सुविधाओं के विनाश से जनसंख्या के सबसे कमज़ोर वर्ग, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों, के लिए जीवन और भी कठिन हो गया है।

इज़राइल की कार्रवाई और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया

संयुक्त राष्ट्र की फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए एजेंसी (UNRWA) के प्रमुख फिलिपे लाज़ारिनी ने दावा किया है कि इज़राइल ने इस क्षेत्र में बहुत सी लाल रेखाएँ पार कर ली हैं। उन्होंने कहा, “नागरिकों के पास या तो भूखे रहने या छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं है; गाज़ा में, बहुत सी लाल रेखाएँ पार की जा चुकी हैं। युद्ध अपराधों का गठन क्या हो सकता है, उसे अभी भी रोका जा सकता है।” यह एक गंभीर आरोप है जो अंतर्राष्ट्रीय जांच और कार्रवाई की मांग करता है। UNRWA की भूमिका इस संकट में अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्यूंकि यह शरणार्थियों को आवश्यक सहायता प्रदान करने का प्रयास कर रहा है। लेकिन सहायता की मात्रा वर्तमान जरूरतों के अनुरूप नहीं है।

गाज़ा में आने वाली चुनौतियाँ

भूख और कुपोषण का खतरा

गाज़ा की आबादी की कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली और आगामी मौसम को देखते हुए, लाज़ारिनी ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में इस क्षेत्र में अकाल जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। उन्होंने कहा, “आज एक वास्तविक खतरा है… कि हम ऐसी स्थिति में प्रवेश करते हैं जहाँ दुर्भाग्य से फिर से अकाल या गंभीर कुपोषण एक संभावना है।” यह चेतावनी गाज़ा की भयावह स्थिति को दर्शाती है, जहाँ न केवल मौत का खतरा मँडरा रहा है, बल्कि भूख और कुपोषण भी एक बड़ी चुनौती के रूप में सामने आ रहा है। तत्काल मानवीय सहायता की आवश्यकता इस स्थिति की गंभीरता को स्पष्ट करती है।

मृतकों की पहचान और शवों का प्रबंधन

अफ़ना की बात से यह भी पता चलता है कि मृतकों की पहचान करने और शवों का उचित प्रबंधन करने में चुनौतियां आ रही हैं। आवारा जानवरों द्वारा क्षत-विक्षत शवों की यह घटना किसी भी युद्धग्रस्त क्षेत्र में भयावहता को दर्शाती है और बेहद दुखद है। मानवता के प्रति सम्मान की दृष्टि से शवों का आदर पूर्वक निपटारा करना आवश्यक है और मृतकों की पहचान उनके परिजनों के लिए बेहद जरूरी है। यह भी संकट प्रबंधन की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित करता है।

निष्कर्ष

गाज़ा में मानवीय संकट गहराता जा रहा है, और तत्काल और व्यापक मानवीय सहायता की आवश्यकता है। इज़राइल की कार्रवाई के बारे में चिंताएँ उठाई जा रही हैं और अंतर्राष्ट्रीय जांच की मांग की जा रही है। भूख, विस्थापन और मृत्यु का यह संयोजन भयावह है, और गाज़ा के लोगों के लिए स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है।

मुख्य बातें:

  • गाज़ा में इज़राइल के हमलों के कारण हज़ारों लोग प्रभावित हुए हैं।
  • भूख और विस्थापन बढ़ रहे हैं।
  • मृतकों की पहचान करने में कठिनाइयाँ आ रही हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से तत्काल मानवीय सहायता की मांग की जा रही है।
  • इज़राइल पर युद्ध अपराधों के आरोप लगे हैं।
  • अकाल और कुपोषण का खतरा है।
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