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Ardhnarishwar: शिव के इस रूप की पूजा का है विशेष महत्व

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Ardhnarishwar; सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। भक्तगण सावन के महीने में शिव की पूजा-आराधना, जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करवाते हैं। मान्यता है शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करवाने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। हिन्दू धर्म में भगवान शिव के कई स्वरूपों का वर्णन मिलता है। इसी में शिव का एक स्वरुप है अर्धनारीश्वर जिसकी पूजा का विशेष महत्व है। जो व्यक्ति भगवान के अर्धनारीश्वर रूप की पूजा करता है उसे माता पार्वती और भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है। 

जानें शिव का अर्धनारीश्वर रूप :

अर्धनारीश्वर रूप में भगवान शिव और शक्ति का रूप देखने को मिलता है। शरीर के आधे भाग में भगवान शिव और आधे भाग में माता पार्वती का वाश होता है। भगवान का अर्धनारीश्वर रूप यह संकेत भी देता है कि स्त्री और पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं, दोनों एक दूसरे के बिना अधूरे हैं, सृष्टि की कल्पना किसी एक के बिना नहीं की जा सकती है।  स्त्री और पुरुष के मिलन से सृष्टि की सुन्दर रचना होती है। 

अर्धनारीश्वर रूप की वजह :

सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड जल मग्न था, ब्रह्मा जी को सृष्टि के निर्माण का जिम्मा दिया गया। उन्होंने सृष्टि की रचना तो कर दी लेकिन जिन प्राणियों का निर्माण किया वह जीवनोपरांत खत्म हो जानें वाले थे। ब्रह्मा जी को बार -बार सृष्टि का निर्माण करना पड़ रहा था। इससे वह काफी परेशान हो गए, ब्रह्मा जी शिवजी की आराधना करने लगे, ब्रह्मा जी की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव ने उन्हें अर्धनारीश्वर रूप में दर्शन दिए। जब शिव को ब्रह्मा जी ने अपनी दुबिधा बताई तो शिव और पार्वती एक दूसरे से अलग हुए और ब्रह्मा जी को प्रजननशिल प्राणी बनाने की प्रेरणा दी। 

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