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जानें गणेश जी की पूजा का सच

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गणेश जी हिंदू धर्म में देवताओं में से एक माने जाते हैं। वे विद्या, विजय, शुभकार्य, संपत्ति, ज्ञान और विवेक के देवता माने जाते हैं। उन्हें विघ्नहर्ता भी कहा जाता है क्योंकि वे हर तरह के विघ्नों और बाधाओं से रक्षा करते हैं। गणेश जी के शरीर का आकार भालू जैसा होता है और उनकी खूबियों में हाथी, मूषक और उद्धट भी शामिल होते हैं। उन्हें मुख्यतः दो छोटीं लम्बीं चढ़ीयां होती हैं और उनके हाथ एक विशिष्ट रूप से मोड़े रहते हैं।

गणेश जी को हिंदू धर्म में सबसे पहले पूजा किया जाता है, और उनकी पूजा के लिए अधिकतर धर्मी उपयोग करते हैं। उनके नाम के कई मंत्र भी होते हैं जो उनकी पूजा के दौरान उपयोग किए जाते हैं। गणेश चतुर्थी भारत में एक बहुत ही महत्वपूर्ण धार्मिक उत्सव है, जो गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

गणेश जी के जन्म का सच-

हिंदू धर्म में, गणेश जी का जन्म कथा बहुत प्रसिद्ध है। इसके अनुसार, माता पार्वती ने एक मिट्टी की मूर्ति बनाई और उसे प्राण दिए जिससे गणेश जी का जन्म हुआ। पार्वती ने अपने पुत्र के रूप में उन्हें आराधना करने के लिए बनाया था। एक बार गणेश जी को शिवजी ने रोका क्योंकि उन्हें अन्य देवताओं को आने की अनुमति नहीं थी। इससे गणेश जी ने शिवजी की सेवा से इनकार कर दिया जिससे शिवजी नाराज हो गए। इसके बाद, शिवजी के अनुयायी ने गणेश जी को उसकी पथिकता से रोका जिससे गणेश जी ने उसे मार डाला। शिवजी को इस घटना से बहुत दुःख हुआ तथा उन्होंने गणेश जी को फिर से जीवित कर दिया। यहीं से गणेश चतुर्थी का त्योहार उत्पन्न हुआ जो हर साल गणेश जी के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है।

गणेश पूजा विधि-

गणेश चतुर्थी के दौरान और अन्य अवसरों पर गणेश जी की पूजा का विधान निम्नलिखित है:

  1. शुभ मुहूर्त चुनें: पूजा के लिए शुभ मुहूर्त चुनें। गणेश जी की पूजा विधि के लिए प्रत्येक वर्ष अलग-अलग मुहूर्त होते हैं।

  2. पूजा स्थल की सजावट: गणेश जी की मूर्ति को शुभ समय में सजाएं और उसके आसपास पूजा स्थल को सजाएं।

  3. अगरबत्ती और दीपक: पूजा से पहले घर में अगरबत्ती जलाएं और दीपक जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।

  4. पूजा सामग्री: पूजा के लिए सामग्री जैसे फूल, पुष्प, धूप, दीपक, पान, सुपारी, नारियल और मिठाई इत्यादि की तैयारी करें।

  5. पूजा आरंभ करें: गणेश जी की मूर्ति के सामने बैठें और अपने मन में शुद्धता का भाव रखें। फिर गणपति आवाहन करें और मंत्रों का जाप करें।

  6. पूजा के दौरान ध्यान रखें: पूजा के दौरान ध्यान रखें कि आपका मन शुद्ध होता रहे और मंत्रों के जाप को विघ्न न हो।

गणेश जी के मंत्र-

गणेश जी के कुछ प्रसिद्ध मंत्र हैं जो उनकी पूजा के दौरान जप किए जाते हैं। ये मंत्र हैं:

  1. ॐ गं गणपतये नमः (Om Gan Ganapataye Namah)
  2. वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येषु सर्वदा॥ (Vakratunda Mahakaya)
  3. ॐ गणेशाय नमः (Om Ganeshaya Namah)
  4. ॐ श्री गणेशाय नमः (Om Shri Ganeshaya Namah)
  5. ॐ गजाननं भूतगणादिसेवितं कपित्थजंबूफलसारभक्षितम्। उमासुतं शोकविनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वर पादपङ्कजम्॥ (Gajananam Bhutaganadisevitam)

इन मंत्रों को गणेश चतुर्थी के अवसर पर जप किया जाता है और इसके अलावा भी अन्य अवसरों पर गणेश जी की पूजा के समय इन मंत्रों का उच्चारण किया जा सकता है।

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