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जाने आजादी से पहले ऐसा क्या बोला था महात्मा गांधी ने की डर गए अंग्रेज

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Independence day:– आज आजादी का हम 75 वां उत्सव मना रहे हैं। लेकिन साल 1947 का वो दौर एक ऐसा दौर था जब देश का हर नागरिक आजादी शब्द सुनने के लिए व्याकुल था। हर कोई आजादी का मतलब समझ चुका था अंग्रेजो की बेड़ियां सभी को काट रही थी। 8 अगस्त 1942 का दिन सभी आजादी दीवानों के लिए खास था लाखो लोग एक बूढ़े के भाषण को सुनने के लिए जब मुंबई की गोवालिया टैंक मैदान में इक्कठा हुए और जैसे ही उस बुजुर्ग ने अपने हाथ ऊपर उठाए सब यह समझ गए की यह बूढ़ा सभी को आगाह कर रहा है। 

बढ़े ने हाथ ऊपर करते हुए अपनी आवाज में जोर भरा और अपने भाषण की शुरुआत करो या मरो के नारे के साथ करदी। उस बूढ़े ने संकल्प लिया की या तो अब हम मृत्यु की भेंट चढ़ जायेगे या तो अब हम अपने देश को इन अंग्रेजों की बेड़ियों से आजाद करवा देंगे। क्योंकि अब भारत गुलामी नही सह सकता। भारत के हर नागरिक को अपनी जिंदगी अपने अनुसार जीने का अधिकार है। वो बुजुर्ग व्यक्ति कोई और नही महान स्वतंत्रता सेनानी मोहनदास करमचंद गांधी थे। गांधी जी के मुख से निकला एक एक शब्द लाखो लोगो के लिए पत्थर की लकीर बन गया। 
प्रत्येक व्यक्ति ने उस समय यह संकल्प लिया की वह गांधी जी के साथ खड़े होंगे और देश को आजादी करवाने की लड़ाई लड़ेंगे। इस नारे ने मुंबई में ढलते सूरज के साथ लोगो की आंखों में उम्मीद का ढहासा बांध दिया। लोगो ने यह प्रण ले लिया की अब हम गुलामी नही सह सकते। अब हमें आजादी चाहिए। भारत छोड़ो आंदोलन आजादी से पहले का सबसे बड़ा आंदोलन था इस आंदोलन में लाखों भारतीय महात्मा गांधी के समर्थन में उतर पड़े।
इस आंदोलन से जेल कैदियों से भर रही थी क्योंकि ब्रिटिश सरकार भारत के आंदोलकारियों पर अपना अत्याचार बढ़ा रही थी। उन्हें जेल में डाला जा रहा था। लेकिन आंदोलन नही थम रहा था। आंदोलन लगातार बढ़ता गया। इस आंदोलन ने विदेशियों की चिंता को बढ़ा दिया। विदेशियों के मन मे खौफ था। आंदोलन को देखकर विदेशों को यह अनुभव हो गया था कि अब भारत मे वह ज्यादा दिन राज नही कर पाएंगे। अब भारत के लोगो ने शायद आजादी का मतलब समझ लिया है और अब हमें जल्द ही भारत को छोड़ना पड़ेगा।

जाने कब शुरू हुआ आंदोलन:-

14 जुलाई 1942 को वर्धा में कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक हुई थी। इस बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब ब्रिटिशों को भारत को भारत के लोगो को सौंप देना चाहिए। इसके एक माह बाद 7 जुलाई को एक कांग्रेस कार्य समिति की बैठक हुई और 8 अगस्त को भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ। इस प्रस्ताव की घोषणा गोवालिया टैंक मैदान में हुई। इस सभा मे चार भाषण दिये गए यह सभा शाम 6 बजे समाप्त हुई।
भाषण की शुरुआत कांग्रेस के अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने की इनके बाद पंडित नेहरू ने कांग्रेस की कार्यसमिति के प्रस्ताव को पढ़ा. इसके बाद सरदार पटेल ने भाषण दिया और नेहरू के प्रस्ताव को मंज़ूरी दी और अंत मे महात्मा गांधी ने भाषण दिया। महात्मा गांधी ने इस सभा मे अपने तीन भाषण दिए। लाखो लोगो के बीच दिए इस भाषण ने आजादी की आग भारत के दिल मे धधका दी। भारत छोड़ो के नारे के साथ अंग्रेजों का देश मे विरोध होने लगा और स्वतंत्रता सेनानियों के संघर्ष से 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हो गया।

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