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Sudhanshu Trivedi on Rahul Gandhi: ये गांधी की नही नेहरु की कांग्रेस है- सुधांशु त्रिवेदी

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Sudhanshu Trivedi

Sudhanshu Trivedi on Rahul Gandhi: उत्तरप्रदेश के जिला अयोध्या में 22 जनवरी को राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया है. कार्यक्रम का शामिल होने के लिए देश विदेश से मेहमान आ रहे हैं. देश के 8000 लोगों को सम्मान पूर्वक आमंत्रित किया गया है.बच्चा – बच्चा जय श्री राम के नारे लगा रहा है. घर-घर में राम गुणगान गाया जा रहा है.वही बीजेपी और कांग्रेस के मध्य राम मन्दिर को लेकर विवाद छिड गया है. कांग्रेस ने राम मन्दिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में जाने से इनकार कर दिया है. कांग्रेस का दावा है राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम बीजेपी और आरएसएस का कार्यक्रम है. हालाकि बीजेपी का दावा है कि यह सतयुग का कार्यक्रम है हमारे प्रभु श्री राम की अयोध्या में वापसी हो रही है. वही कांग्रेस के रवैया को लेकर BJP सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने जी न्यूज के एक कार्यक्रम में कहा- वह यानी कांग्रेस भगवान राम में भी राजनीति कर रही है. इसपर क्या ही कहा जा सकता है- वो कहते हैं न जा की रही भावना जैसी प्रभु मूरत सो देखी तैसी.

जानें क्या बोले सुधांशु त्रिवेदी:

जी न्यूज़ से संवाद करते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा-  नेहरू ने 1949 में अयोध्या के जिला अधिकारी को पत्र लिखकर विवादित ढांचे से मूर्तियां हटाने को कहा था. अभी जो कांग्रेस हमारे हमारे सामने है वह नेहरु की कांग्रेस है. यह लोग सरनेम तो गांधी का लगाते हैं लेकिन यह लोग नीति नेहरु की अपनाते हैं.गांधी तो स्वयं राम मन्दिर का उद्घोष चाहते थे. गांधी स्वयं राम के पक्ष में हैं.

वही जब एंकर ने उनसे पूछा क्या राम की वजह से सत्ता में आए हैं. तो सुधांशु कहते हैं राम सभी के हैं राम सबका भला करते हैं, राम का जो गुणगान करेगा उसको उसका लक्ष्य मिलेगा. आप सच्चे मन से राम का ध्यान कीजिये आपको आपकी मंजिल आसानी से मिल जाएगी. अगर कांग्रेस भी सच्चे मन से राम की शरण में आती है तो कांग्रेस के लिए भी उसका लक्ष्य हासिल करना कोई बड़ी बात नही है.

राहुल की समझ पर सुधांशु की प्रतिक्रिया:

सुधांशु त्रिवेदी कहते हैं- हम या हमारी पार्टी उनकी समझ पर सवाल नही उठाती .बल्कि उनकी पार्टी के नेता उनकी कुटिल नीति पर सवाल उठाते हैं और पार्टी छोड़ देते हैं. लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद आप अपने अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा दे देते हैं और फिर आप पीछे से पार्टी का नेतृत्व करते हैं.

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