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भारत की नदियों का अपना अलग इतिहास रहा है, एक बार जरूर देखने जाएं इनकी खूबसूरती

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घूमना ही है तो भारत की इन उन नदियों को देखने जाइये जिसको देखने के बाद कोई भी अपनी पलके न झपका सके। आज हम आपको देश की ऐसी नदियों के बारे में बताएंगे जिन्हें एक न एक बार आपको ज़रूर देखना चाहिए

हो सकता है कि सफर करते हुए इनमें से कुछ नदियों को आपने देखा भी होगा। जितनी नदियों को देख लिया है, उन्हें छोड़ दिया जाए पर हर नदी के ओवरव्यू की एक प्लेसिंग होती है। और अगर ये नहीं देखा तो मतलब है कुछ नही देखा। अलग-अलग शहरों और राज्यों से गुज़रते हुए यह नदियां लाखों ज़िंदगी को छूती हुई निकलती है। किसी के लिए ये आस्था का केंद्र है, कईयों के लिए व्यवसाय देने वाली नदियों का अपना एक अलग इतिहास होता है।

ऐसे में इनकी ख़ूबसूरती देखना तो बनता है। चलिए जानते हैं ऐसी नदियों के बारे में जो आपको अपनी ओर आकर्षित करती हैं। और समय निकालकर आपको इन्हें देखने जरूर जाना चाहिए।

ब्रह्मपुत्र – यह विशालकाय नदी ब्रम्ह के पुत्र के तौर पर भी जानी जाती है। सबसे मज़ेदार बात यह है कि ब्रम्हपुत्र नदी भारत की एकमात्र ऐसी नदी है, जिसे मेल या नर नदी के रूप में माना जाता है। इस नदी का उद्गम स्थल तिब्बत की मानसरोवर झील से है। 

उम्न्गोत – यह भारत की सबसे खूबसूरत और आज तक स्वच्छ बची हुई नदियों की सूची में शामिल है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इस नदी का पानी इतना साफ है कि नदी की गहराई में मौजूद चीज़ें आसानी से नज़र आती हैं। बारिश के मौसम में यह नदी अपने रौद्र अवतार में रहती है। यह नदी देखने आप मेघालय जा सकते हैं।

सिंधु – सिंधु घाटी सभ्तया से जुड़ी इस नदी का इतिहास हज़ारों साल से भी पुराना है। एशिया की बड़ी नदियों में से एक यह नदी इसलिए भी देखी जानी चाहिए, क्योंकि यह भारत, पाकिस्तान और चीन, तीनों ही देशों में मौजूद है। जून से अक्टूबर के बीच इस नदी को देखना अपने आप में एक अलग अनुभव होता है।

गंगा– भारत की पवित्र और पूजी जाने वाली नदियों में से एक गंगा हिमालय से धरती पर उतरती है। हिंदू धर्म में इस नदी का विशेष महत्त्व है। पूजा-पाठ से लेकर श्राद्ध तक में गंगा जल का इस्तेमाल होता है। ऐसे तो गंगा देश के कई राज्यों से होकर निकलती है, लेकिन इसकी भव्यता देखनी हो तो आप ऋषिकेश, हरिद्वार या बनारस में गंगा दर्शन के लिए जरूर जाएं।

चंबल – इस नदी का जुड़ाव महाभारत से बताया जाता है। चंबल को शापित नदी भी कहा जाता है। कौरवों और पांडवों के बीच इसी नदी के तट पर पासे खेले गए थे और वहीं द्रौपदी का चीरहरण भी हुआ था।  जिसके बाद द्रौपदी ने इस नदी को श्राप दिया था कि इसका पानी कोई नहीं पीएगा। इसको शार्पित नदी भी कहा जाता है।

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