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कड़ी धूप से बचाव: गर्मी से खुद को कैसे बचाएं

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कड़ी धूप से बचाव: गर्मी से खुद को कैसे बचाएं
कड़ी धूप से बचाव: गर्मी से खुद को कैसे बचाएं

गर्मी से होने वाली स्वास्थ्य समस्याएँ और बचाव के उपाय

गर्मी का अत्यधिक प्रभाव मानव शरीर पर बहुत गंभीर परिणाम ला सकता है। चेन्नई में हाल ही में हुए एयर शो में पाँच लोगों की मौत और कई अन्य के गंभीर रूप से बीमार होने के कारण इस बात की गंभीरता और समझ बढ़ी है। यह घटना दर्शाती है कि लंबे समय तक गर्मी के संपर्क में रहने से जानलेवा परिणाम हो सकते हैं। इस लेख में हम गर्मी के दुष्प्रभावों और उनसे बचाव के तरीकों पर चर्चा करेंगे।

गर्मी का शरीर पर प्रभाव

शरीर का तापमान नियंत्रण और गर्मी का असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, शरीर में गर्मी की मात्रा दो कारकों पर निर्भर करती है: पर्यावरणीय तनाव (जैसे उच्च तापमान, उच्च आर्द्रता) के कारण चयापचय प्रक्रियाओं से उत्पन्न आंतरिक गर्मी को समाप्त करने में असमर्थता और कपड़े जो गर्मी के नुकसान में बाधा डालते हैं और पर्यावरण से बाहरी गर्मी को बढ़ाते हैं। इन परिस्थितियों में शरीर के आंतरिक तापमान को नियंत्रित करने और गर्मी को समाप्त करने में असमर्थता से हीट एग्जॉस्टेशन और हीट स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। जब शरीर लगातार गर्मी के संपर्क में रहता है, तो शरीर का कोर तापमान बढ़ सकता है; रेक्टल तापमान 40.6 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है। इसे हीट स्ट्रोक कहा जाता है।

शरीर की प्रतिक्रियाएँ और लक्षण

शरीर का चयापचय 38 से 39 डिग्री सेल्सियस के विशिष्ट तापमान पर होता है। जब शरीर में तापमान बढ़ता है, तो चक्कर आना और बहुत पसीना आना सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है। लगातार गर्मी के संपर्क में रहने के कारण अत्यधिक पसीना आने से डिहाइड्रेशन हो सकता है। इसके परिणामस्वरूप, रक्त गाढ़ा हो जाता है, जिससे परिसंचरण में कठिनाई होती है। इससे रक्तचाप और संतृप्ति के स्तर में गिरावट आ सकती है। यदि शरीर का तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो यह एंजाइम-मध्यस्थ प्रतिक्रियाओं को प्रभावित कर सकता है। अंततः स्ट्रोक (मस्तिष्क या हृदय में रक्त का थक्का) हो सकता है। पसीना और द्रव की हानि से निर्जलीकरण होता है। निर्जलीकरण बढ़ने पर, शरीर में सोडियम की सांद्रता बढ़ जाती है, जिसके परिणामस्वरूप हाइपरनेट्रेमिया होता है, जो मस्तिष्क में रक्तस्राव का कारण बन सकता है। लगातार गर्मी के संपर्क में रहने से शरीर का चयापचय प्रभावित हो सकता है, जिससे शरीर में सोडियम, पोटेशियम और द्रव के स्तर पर प्रभाव पड़ता है। इससे एन्सेफैलोपैथी हो सकती है। प्रणालीगत भड़काऊ प्रतिक्रिया सिंड्रोम हो सकता है, और इस प्रक्रिया में कोई भी अंग प्रभावित हो सकता है। इससे तीव्र गुर्दे की क्षति हो सकती है।

हीट स्ट्रोक के लक्षण और उपचार

हीट स्ट्रोक एक गंभीर स्थिति है जिसमें शरीर का तापमान खतरनाक रूप से बढ़ जाता है। इसके लक्षणों में चक्कर आना, सिरदर्द, उल्टी, बेहोशी और भ्रम शामिल हो सकते हैं। बुजुर्ग और पहले से मौजूद बीमारियों वाले लोग हीट स्ट्रोक के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। यदि किसी व्यक्ति को हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देते हैं, तो उसे तुरंत ठंडे स्थान पर ले जाना चाहिए और उसके शरीर को ठंडा करने के उपाय करने चाहिए। ठंडा पानी या बर्फ से शरीर को पोंछना, और ठंडा तरल पदार्थ पिलाना इसमें मददगार हो सकते हैं। चिकित्सा सहायता तुरंत लेना बहुत ज़रूरी है। डॉक्टर शारीरिक तापमान को कम करने के लिए ठंडे सालिन का इंफ्यूजन और ठंडे कंबल का उपयोग कर सकते हैं।

गर्मी से बचाव के उपाय

निर्जलीकरण से बचाव

गर्मी के दौरान पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बेहद महत्वपूर्ण है। पानी के अलावा, आप इलेक्ट्रोलाइट्स से भरपूर पेय पदार्थ भी ले सकते हैं। अत्यधिक पसीने से शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स का नुकसान हो सकता है, जिसे पूरा करने के लिए ये पेय पदार्थ सहायक होते हैं।

सूर्य की तेज रोशनी से बचाव

गर्मी के दिनों में धूप में बाहर निकलने से बचें, खासकर दोपहर के समय जब सूर्य की किरणें सबसे तेज होती हैं। यदि आपको बाहर जाना ही पड़े, तो सनस्क्रीन का इस्तेमाल करें, हल्के रंग के और ढीले कपड़े पहनें और टोपी या छाता का इस्तेमाल करें।

शारीरिक गतिविधियों में सावधानी

गर्मी के मौसम में ज़्यादा ज़ोरदार शारीरिक गतिविधियों से बचें। यदि आप व्यायाम करते हैं, तो सुबह या शाम के समय करें, जब तापमान कम होता है।

संवेदनशील व्यक्तियों की विशेष देखभाल

बच्चों, बुजुर्गों और पहले से ही किसी बीमारी से ग्रस्त लोगों को गर्मी से अधिक सावधानी बरतने की आवश्यकता होती है। इन लोगों को गर्मी में अधिक समय तक धूप में नहीं रहना चाहिए और उन्हें नियमित रूप से हाइड्रेटेड रखना महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

गर्मी का अत्यधिक प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर गंभीर परिणाम डाल सकता है। हीट स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति है जिससे बचाव संभव है। पर्याप्त तरल पदार्थ का सेवन, धूप से बचाव, और ज़ोरदार शारीरिक गतिविधियों में सावधानी बरतना गर्मी से होने वाले स्वास्थ्य समस्याओं से बचने में मदद कर सकता है। संवेदनशील लोगों को विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है। गरमी से बचाव के उचित उपाय अपनाकर आप स्वयं को और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रख सकते हैं।

मुख्य बातें:

  • गर्मी शरीर के लिए हानिकारक है और इससे हीट स्ट्रोक जैसी जानलेवा स्थिति हो सकती है।
  • शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत ज़रूरी है।
  • धूप से बचाव के उपाय करें।
  • ज़ोरदार गतिविधियों से बचें या सुबह/शाम के समय करें।
  • संवेदनशील व्यक्तियों को विशेष देखभाल दें।
  • हीट स्ट्रोक के लक्षण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
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