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मधुमेह से बचाव: कम एजीई आहार का जादू

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मधुमेह से बचाव: कम एजीई आहार का जादू
मधुमेह से बचाव: कम एजीई आहार का जादू

भारत में मधुमेह के बढ़ते मामलों के पीछे उन्नत ग्लाइकेशन एंड उत्पादों (एजीई) से भरपूर आहार की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। हाल ही में इंटरनेशनल जर्नल ऑफ़ फूड साइंसेज़ एंड न्यूट्रिशन में प्रकाशित एक अभूतपूर्व नैदानिक परीक्षण के निष्कर्षों से यह बात सामने आई है। यह अध्ययन जैव प्रौद्योगिकी विभाग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित था। इस अध्ययन से पता चला है कि उच्च संसाधित और फ़ास्ट फ़ूड जैसे एजीई युक्त आहार के सेवन से शरीर में सूजन बढ़ती है, जो मधुमेह का एक मुख्य कारक है। इसके विपरीत, कम एजीई वाले आहार से इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार और सूजन के स्तर में कमी आई। यह अध्ययन भारत में पहली बार यह दर्शाता है कि कम एजीई आहार मधुमेह के जोखिम को कम करने में एक संभावित रणनीति हो सकता है।

एजीई: मधुमेह का एक छिपा हुआ खतरा

एजीई क्या होते हैं?

एजीई (उन्नत ग्लाइकेशन एंड उत्पाद) हानिकारक यौगिक हैं जो उच्च तापमान पर पकाने की प्रक्रियाओं जैसे तलने या भूनने के दौरान शर्करा के वसा या प्रोटीन के साथ प्रतिक्रिया करने से बनते हैं। ये यौगिक शरीर में सूजन पैदा करते हैं, जो मधुमेह सहित कई पुरानी बीमारियों का मुख्य कारण है। ज्यादा तला हुआ, भुना हुआ और बेक किया हुआ खाना एजीई से भरपूर होता है।

एजीई और मधुमेह का संबंध

इस अध्ययन में पाया गया कि एजीई युक्त आहारों के सेवन से शरीर में सूजन बढ़ती है, जिससे मधुमेह का खतरा बढ़ता है। ग्लाइकेशन नामक एक गैर-एंजाइमेटिक रासायनिक प्रक्रिया में शर्करा के अणु प्रोटीन या लिपिड अणुओं से जुड़ जाते हैं, जिससे शरीर में हानिकारक प्रतिक्रियाएँ होती हैं। यह प्रक्रिया शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को बढ़ाती है, जिससे कोशिका क्षति और सूजन होती है। अध्ययन में कम एजीई आहार को अपनाने के फायदे बताए गए हैं।

कम एजीई आहार: एक सुरक्षित विकल्प

कम एजीई आहार क्या है?

कम एजीई आहार में फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाला दूध शामिल होता है। इन खाद्य पदार्थों को उबालकर या भाप में पकाकर तैयार किया जाता है, जिससे एजीई का निर्माण कम होता है। यह आहार शरीर में ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस को कम करता है और सूजन को नियंत्रित करने में मदद करता है। इस प्रकार के आहार में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ, तले हुए खाद्य पदार्थ, बेकरी उत्पाद और मीठे पेय पदार्थों को सीमित करना या पूरी तरह से त्याग देना चाहिए।

कम एजीई आहार के लाभ

नैदानिक परीक्षण में, अधिक वजन वाले या मोटे लेकिन मधुमेह से ग्रस्त नहीं व्यक्तियों को दो समूहों में विभाजित किया गया था। एक समूह को 12 सप्ताह तक कम एजीई आहार दिया गया, जबकि दूसरे समूह को उच्च एजीई आहार दिया गया। 12 सप्ताह के अंत में, कम एजीई आहार समूह में इंसुलिन संवेदनशीलता में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जबकि उच्च एजीई आहार समूह में ऐसा नहीं हुआ। कम एजीई आहार समूह में भविष्य में टाइप 2 मधुमेह का खतरा भी कम पाया गया।

अध्ययन के निष्कर्ष और सिफारिशें

इस अध्ययन के परिणाम स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं कि कम एजीई आहार मधुमेह के जोखिम को कम करने में प्रभावी हो सकता है। अध्ययन में भाग लेने वाले विशेषज्ञों का मानना ​​है कि पश्चिमी देशों में पहले से ही हुए अध्ययनों के साथ यह अध्ययन, भारतीय संदर्भ में मधुमेह के जोखिम को कम करने के लिए कम एजीई आहार को अपनाने की सलाह देता है। मद्रास डायबिटीज रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ. वी. मोहन के अनुसार, हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, उबले हुए खाद्य पदार्थ और बेकरी उत्पादों तथा मीठे खाद्य पदार्थों को कम करके, आहार में एजीई की मात्रा को कम किया जा सकता है।

निष्कर्ष

यह अध्ययन भारत में मधुमेह के बढ़ते मामलों के लिए एक नई समझ प्रदान करता है। कम एजीई आहार, जिसमें फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाला दूध शामिल हैं, मधुमेह के खतरे को कम करने में प्रभावी रणनीति साबित हो सकती है। हमें अपने पारंपरिक, कम प्रसंस्कृत आहारों की ओर लौटना चाहिए और अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए स्वस्थ जीवनशैली को अपनाना चाहिए।

मुख्य बिंदु:

  • उन्नत ग्लाइकेशन एंड उत्पाद (AGEs) मधुमेह के बढ़ते जोखिम में योगदान देते हैं।
  • उच्च-तापमान वाले खाना पकाने के तरीके AGEs के निर्माण को बढ़ाते हैं।
  • कम-AGEs आहार इंसुलिन संवेदनशीलता में सुधार करता है और सूजन को कम करता है।
  • फल, सब्जियां, साबुत अनाज और कम वसा वाला दूध जैसे खाद्य पदार्थों पर केंद्रित आहार अपनाएँ।
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों, तले हुए खाद्य पदार्थों और मीठे पेय पदार्थों से बचें।
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