स्वास्थ्य के क्षेत्र में हुई प्रगति और चुनौतियाँ
यह लेख विभिन्न स्वास्थ्य संबंधी समाचारों और घटनाक्रमों पर प्रकाश डालता है, जिसमें चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार से लेकर भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधारों तक के विषय शामिल हैं। यह लेख स्वास्थ्य क्षेत्र की सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं को उजागर करता है और आगे के रास्ते की ओर संकेत करता है।
चिकित्सा में नोबेल पुरस्कार और अन्य महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ
माइक्रोआरएनए की खोज और इसका महत्व
२०२४ का नोबेल पुरस्कार फिजियोलॉजी या मेडिसिन में विक्टर एम्ब्रोस और गैरी रुवकुन को माइक्रोआरएनए की खोज और इसके पोस्ट-ट्रांस्क्रिप्शनल जीन रेगुलेशन में योगदान के लिए दिया गया। माइक्रोआरएनए विभिन्न कोशिकाओं में जीन अभिव्यक्ति की प्रक्रिया को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और चिकित्सा के क्षेत्र में अनेक संभावनाओं का द्वार खोलते हैं। इस खोज से कई बीमारियों के इलाज और रोकथाम में क्रांति आने की उम्मीद है।
भारत में जेनेरिक दवाओं का उत्पादन
भारतीय दवा कंपनियों ने अमेरिकी दवा निर्माता गिलियाड के साथ मिलकर एचआईवी की बहु-औषधि प्रतिरोधी दवा लेनाकापावीर का निर्माण और विपणन करने के लिए एक समझौता किया है। यह समझौता न केवल भारत में एचआईवी रोगियों के लिए किफायती इलाज उपलब्ध कराएगा बल्कि देश में जेनेरिक दवा उत्पादन को बढ़ावा देगा और भारतीय दवा उद्योग की वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करेगा।
अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नियामक मंच में भारत की सदस्यता
भारत ने अंतर्राष्ट्रीय चिकित्सा उपकरण नियामक मंच (IMDRF) के सहयोगी सदस्य के रूप में शामिल होकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। यह भारत के चिकित्सा उपकरण नियामक तंत्र को वैश्विक स्तर पर अनुरूप बनाने, घरेलू उद्योग की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान मजबूत करने में मदद करेगा। इससे देश में चिकित्सा उपकरणों की गुणवत्ता और सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सहायता मिलेगी।
कैंसर रोधी दवाओं की जालसाजी रोकने के प्रयास
कैंसर रोधी दवाओं की जालसाजी की समस्या से निपटने के लिए सरकार जल्द ही सभी शीशी और पट्टियों पर QR कोड लगाना अनिवार्य कर सकती है। यह कदम दवाओं की ट्रैकिंग और ट्रेसिंग को बेहतर बनाने और नकली दवाओं के बाजार में आने से रोकने में मदद करेगा। इससे रोगियों को मूल दवा प्राप्त करने और स्वास्थ्य सुरक्षा में वृद्धि सुनिश्चित होगी।
दुर्लभ रोगों का उपचार और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार
दुर्लभ रोगों के उपचार हेतु फ़ंड में वृद्धि की मांग
दिल्ली उच्च न्यायालय ने दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए 50 लाख रुपये की सीमा पर पुनर्विचार करने का केंद्र सरकार से अनुरोध किया है। यह फैसला दुर्लभ रोगों से पीड़ित लोगों के लिए एक बड़ी राहत है क्योंकि इस सीमा को कई मामलों में अपर्याप्त माना जाता रहा है।
वृद्धजनों और दिव्यांगों के लिए आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने का प्रयास
स्वास्थ्य मंत्रालय 70 वर्ष से अधिक आयु के नागरिकों को आयुष्मान भारत योजना में शामिल करने का प्रस्ताव बना रहा है। साथ ही, दिव्यांग व्यक्तियों ने बिना किसी आय या आयु मानदंड के योजना में शामिल किए जाने की मांग की है। यह कदम देश की स्वास्थ्य सेवाओं में पहुँच और समावेशिता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। ये प्रयास स्वास्थ्य सेवाओं को सभी वर्गों के लिए सुलभ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
संक्रामक रोगों से निपटने की चुनौतियाँ
इस सप्ताह, आरएसवी, बर्ड फ्लू, एमपॉक्स और भारत में तपेदिक रोगियों के लिए सहायता जैसे संक्रामक रोगों पर लेख प्रकाशित हुए। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने शिशुओं में आरएसवी को रोकने के लिए मातृ टीका और एंटीबॉडी शॉट की सिफारिश की है। वियतनाम में कैद बाघों और शेरों की बड़ी संख्या में मौत बर्ड फ्लू के कारण हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पहले एमपॉक्स डायग्नोस्टिक टेस्ट को भी मंजूरी दी है। सरकार ने तपेदिक रोगियों को मिलने वाली मासिक पोषण सहायता को दोगुना करके 1000 रुपये कर दिया है। ये प्रयास संक्रामक रोगों के प्रसार को रोकने और लोगों को उपचार प्रदान करने के उद्देश्य से किये जा रहे हैं।
जीवनशैली से जुड़े स्वास्थ्य मुद्दे
धूम्रपान से स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है। शोध बताते हैं कि धूम्रपान छोड़ने से पुरुषों में जीवन प्रत्याशा एक साल बढ़ सकती है। अक्टूबर में ब्रेस्ट कैंसर जागरूकता माह के दौरान BRCA परीक्षण के महत्व पर भी चर्चा की गई। भारत में मधुमेह और गर्भावस्था संबंधी मधुमेह की रोकथाम के लिए सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। अति-संसाधित और फास्ट फूड के सेवन से मधुमेह के बढ़ते मामलों पर भी ध्यान आकर्षित किया गया। ये लेख जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से बचाव और उपचार पर प्रकाश डालते हुए जागरूकता फैलाने का काम करते हैं।
निष्कर्ष
लेख में उल्लिखित सकारात्मक पहलुओं के अलावा, स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी अनेक चुनौतियाँ भी सामने आईं हैं। दुर्लभ रोगों के इलाज, संक्रामक रोगों का प्रसार और जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। भारत में स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार और सभी के लिए स्वास्थ्य देखभाल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार और सभी हितधारकों को मिलकर कार्य करने की आवश्यकता है।
मुख्य बातें:
- माइक्रोआरएनए की खोज ने चिकित्सा में नई संभावनाओं का द्वार खोला।
- भारत में जेनेरिक दवाओं के उत्पादन से किफायती इलाज उपलब्ध होगा।
- IMDRF की सदस्यता से भारत के चिकित्सा उपकरण नियामक तंत्र को मजबूती मिलेगी।
- QR कोड से कैंसर रोधी दवाओं की जालसाजी रोकी जा सकेगी।
- दुर्लभ रोगों के उपचार के लिए फ़ंड में वृद्धि की आवश्यकता है।
- आयुष्मान भारत योजना में वृद्धजनों और दिव्यांगों को शामिल करने का प्रयास सराहनीय है।
- संक्रामक रोगों से निपटने के लिए नए प्रयास किए जाने चाहिए।
- जीवनशैली में सुधार करके जीवनशैली संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है।
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