Home राष्ट्रीय नहाय-खाय का महत्व और नियम

नहाय-खाय का महत्व और नियम

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एक अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व, छठ महापर्व, अब आरंभ हो चुका है, जो चार दिनों तक चलेगा। इस अवसर पर नहाय-खाय का पहला दिन है जिसे ‘उगते सूर्य का अर्घ्य’ देकर समाप्त किया जाता है। छठ पूजा महिलाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन महिलाएं संतान सुख, लंबी उम्र और उज्जवल भविष्य की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती हैं। 

नहाय-खाय: एक प्राचीन परंपरा:

यह परंपरा दीवाली के चौथे दिन, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मानाई जाती है। इस दिन घर की सफाई की जाती है और नहाने के बाद शाकाहारी भोजन ग्रहण किया जाता है।

महत्व और नियम:

नहाय-खाय के दिन घर को साफ़ और शुद्ध रखने का विशेष महत्व है। व्रती सिर्फ एक बार भोजन करते हैं और इसे बहुत ही पवित्र माना जाता है। इस अवसर पर घर के सभी सदस्यों को सात्विक और पवित्र भोजन करना चाहिए।

परंपराओं में गौरव की बातें:

यह परंपरा गौरव की बात है। इस दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान करते हैं, और भोजन के लिए कच्चे चावल का भात तैयार किया जाता है, जिसे बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना जाता है।

समाप्ति:

छठ पूजा के इस पावन अवसर पर, सभी अपने परिवार और समाज के साथ आस्था और प्रेम का जश्न मनाते हैं। नहाय-खाय के यह दिन परंपरा और सांस्कृतिक धारा को महत्त्वपूर्ण बनाता है, जो हमारे समाज की शान है।

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