अतिरिक्त आजीविका विकल्पों के माध्यम से तटीय आबादी को सशक्त बनाने के उद्देश्य से, आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) ने देश के तटीय राज्यों में समुद्री कृषि गतिविधियों को बढ़ावा देने की योजना तैयार की है। सीएमएफआरआई के निदेशक ए. गोपालकृष्णन ने सीएमएफआरआई में शोधकर्ताओं और शिक्षाविदों के लिए समुद्री संवर्धन पर एक सत्र में इसकी घोषणा की।
उन्होंने कहा- सीएमएफआरआई ने प्रति वर्ष 2.13 मिलियन टन की उत्पादन क्षमता के साथ भारतीय तटीय रेखा के साथ समुद्र में 10 किमी के भीतर सी केज फामिर्ंग (समुद्री पिंजरे की खेती) के लिए 146 संभावित स्थलों की पहचान की है और भू-संदर्भ दिया है। इनमें केरल से लगभग 1300 हेक्टेयर क्षेत्र में चार स्थल हैं। सीएमएफआरआई ने भारतीय तटीय और खुले पानी के लिए उपयुक्त स्वदेशी समुद्री पिंजरा तकनीक का विकास और मानकीकरण किया है। औसतन, 8 महीने की अवधि के भीतर 6-व्यास के पिंजरे में 3 टन तक मछली का उत्पादन किया जा सकता है। सीएमएफआरआई ने अनुमान लगाया है कि किसान प्रत्येक फसल से उगाई जाने वाली प्रजातियों के आधार पर 1.5 से 2.5 लाख रुपये तक का आर्थिक लाभ कमा सकते हैं।
सीएमएफआरआई के निदेशक ने भारत के समुद्री कृषि की स्थिति का हवाला देते हुए कहा कि भारत से वर्तमान समुद्री उत्पादन 4 से 8 मिलियन टन की अनुमानित क्षमता के मुकाबले प्रति वर्ष 0.1 मिलियन टन से कम है। उन्होंने कहा, देश में अंतर्देशीय और खारे पानी की जलीय कृषि के सफल विस्तार को चरणबद्ध तरीके से समुद्री कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए पूंजीकृत किया जा सकता है।
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