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मोमोज भारत का सबसे पॉपुलर स्ट्रीट फूड बन गया है। आजकल गली मोहल्लो नुक्कड़ मार्केट पर सिल्वर के स्ट्रीमर में उबलते हुए मोमोज तीखी लाल मिर्च की चटनी के साथ खाते हुए मोमोज लवर आपको भारी संख्या में दिख जाऐंगे। वैसे तो मोमोज तिब्बत फूड है। भारत में एक दशक पहले आ गया था। मगर तीन-चार सालों में ये काफी पापुलर स्ट्रीट फूड बन गया। अक्सर शाम के समय मासूम युवा किशोर नहीं जानते वह मोमोज खा कर अपने स्वास्थ्य चरित्र को किस हद तक बर्बाद कर रहे हैं।
मोमोज मैदा के बने हुए होते हैं मैदा गेहूं का एक उत्पाद है जिसमें से प्रोटीन व फाइबर निकाल लिया जाता है मृत स्टार्च ही शेष रहता है। मैदे के प्रोटीन रहित होने से इसकी प्रकृति एसिडिक हो जाती है यह शरीर में जाकर हड्डियों के कैल्शियम को सोख लेता है । मैदा अच्छी तरीके से डाइजेस्ट नहीं होता और कई बार हमारी आंतों में जाकर चिपक जाता है और हमारी आंतो को ब्लॉक कर सकता है और तरह-तरह के बीमारियों को जन्म देता है।
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आपने गौर किया होगा कि घर में बनाए हुए मोमोज थोड़े पीले होते हैं जबकि मार्केट वाले बिल्कुल वाइट यह इसलिए होता है क्योंकि इन्हें वाइट और सॉफ्ट बनाने के लिए ब्लीच , क्लोरीन गैस बेंजोयल पराक्साइड ऐजो कर्बेमिड मिलाया जाता है। यह केमिकल हमारी किडनी और पेनक्रियाज को डैमेज करते हैं साथ ही डायबिटीज होने का खतरे को भी बढ़ाते हैं।
तीखी लाल मिर्च की चटनी उत्तेजक होती है, साथ ही लो क्वालिटी की होती है जिससे पाइल्स, गैस्ट्राइटिस, पेट तथा आंतों में ब्लीडिंग हो सकती हैं।
मोमोज बेचने वाले, मोमोज में मोनोसोडियम ग्लूटामैट नामक केमिकल मिलाते हैं ,जो इसके टेस्ट को बढ़ता है और इसे सुगंधित बनाता है इस एमएसजी से मोटापा बढ़ता है ब्रेन तथा नरवस की समस्या चेस्ट पेन हार्ट रेट तथा बीपी बढ़ने जैसे शिकायत हो होती है।
स्ट्रीट फूड वेंडर्स आमतौर पर मोमोज की स्टफिंग के लिए सस्ती सब्जियों जैसे- पत्तागोभी, गाजर आदि का इस्तेमाल करते हैं। इसमें भी इन सब्जियों की क्वालिटी भी बहुत अच्छी नहीं होती है और न ही ज्यादातर समय ये सब्जियां ताजी होती हैं, इसलिए ये आपके शरीर में फूड पॉयजनिंग का कारण बन सकते हैं।
कुछ जगह नॉन वेज मोमोज में डेड एनिमल्स के मीट को मिलाया जाता है तथा वेज मोमोज मे सड़ी गली सब्जियों को डाला जाता है..जिससे कोई तरह के और इंफेक्शन होते हैं।
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