यूपी सरकार ने मुस्लिम नेता आजम खान की नाक में दम कर दिया। जिन अपराधों में उनको दोषी पाया गया उनमे उन्हें सजा मिली। रामपुर के एमपी-एमएलए कोर्ट ने 18 अक्टूबर को दो जन्म प्रमाणपत्र मामले में अब्दुल्ला, आजम खान और उनकी पत्नी तंजीन को दोषी करार दिया। कोर्ट ने तीनों को सात वर्ष की सजा सुनाई। आजम खान के पक्ष में सपा नेता अखिलेश यादव ने मौन साध लिया। अखिलेश के मौन से मुस्लिम समाज समाजवादी पार्टी से खिन्न हो रहा है। मुस्लिम समाज का कहना है कि समाजवादी पार्टी को उनका वोट तो चाहिए लेकिन जब उनको मुस्लिम नेताओं के साथ खड़ा होना होता है तो वह पीछे हट जाते हैं। मुस्लिम नेताओं के इन बयाना से यह स्पष्ट है कि मुस्लिम समाज अपने लिए एक ऐसा विकल्प खोज रहा है जो सिर्फ उनका वोट न ले अपितु उनके पक्ष में खुलकर बोले।
वही कांग्रेस इसका लाभ उठाने के लिए आगे आ चुकी है। यूपी में कांग्रेस की स्थिति बेहद खराब है, कांग्रेस पुराने समय से प्रत्येक जाति समुदाय के लोगों के पक्ष में निष्पक्षता से अपना मत रखते आई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी अक्सर यह कहते पाए जाते हैं यह देश सभी का है यहाँ कोई एक धर्म या जाति नहीं है। हमें एकजुटता के साथ मिल जुलकर रहना है। बीजेपी के लोग भारत को खंडित करना चाहते हैं। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के इस तरह के बयानों से यह स्पष्ट है कि वह किसी एक धर्म या जाति तक कांग्रेस को सीमित नहीं रखना चाहते हैं वह जमीन से जुड़कर कांग्रेस को प्रत्येक वर्ग,समुदाय और धर्म की पार्टी बनाना चाहते हैं। वही अब सबसे बड़ा सवाल जो सियासी गलियारों में गोते लगा रहा है वह यह है कि कैसे यूपी में मुसलमान का साथ पाने के लिए कांग्रेस प्रयास कर रही है।
जानें यूपी में कैसे मुसलमान को अपने खेमे करेगी कांग्रेस:
1989 तक यूपी में कांग्रेस की स्थिति बेहतर थी। लेकिन 1992 के बाद से मुस्लिम वोट बैंक समाजवादी पार्टी की तरफ झुकाव दिखाने लगा। मुलायम सिंह यादव ने जमीनी स्तर पर अपनी पार्टी को मजबूत किया और यादव,मुस्लिम नेताओं को साथ लेकर यूपी में अपनी पार्टी का वर्चस्व स्थापित किया। उन्होंने बड़े मुस्लिम नेताओं को अपनी पार्टी का चेहरा बनाया। उनको महत्व दिया और अपनी राजनीति के पंख यूपी में पूर्ण रूप से फैला दिए। मुलायम के अस्तित्व में आने से कांग्रेस का वर्चस्व यूपी में कम होने लगा। मुलायम सिंह यादव ने देखते ही देखते कांग्रेस का यूपी में वोट बैंक खत्म कर दिया। वही अब जब समाजवादी पार्टी का नेतृत्व मुलायम के बेटे अखिलेश यादव के हाथ में गया और योगी राज में समाजवादी पार्टी के बड़े नेता सलाखों के पीछे पहुंच गए। तो अखिलेश ने उनका समर्थन करने की जगह अपने पैर पीछे खींच लिए।
अखिलेश यादव के इस व्यवहार से मुस्लिम समाज उनसे नाराज है। वह विकल्प की तलाश कर रहा है और कांग्रेस नेता जेल में बंद समाजवादी पार्टी के बड़े नेताओं से सम्पर्क साधने उनके मिलने की कवायद में हैं। कांग्रेस को भली भांति पता है कि यदि वह यह सब करेंगे तो उनकी छवि मुस्लिम समाज के बीच बेहतर बनेगी। मुस्लिम समाज उनकी तरफ झुकाव दिखायेगा और अखिलेश यादव के इस निगेटिव व्यवहार के बाद कांग्रेस को यूपी में स्वयं का वोट बैंक मजबूत करने का मौका मिलेगा।
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