आध्यात्मिक- आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) ने चाणक्य ग्रंथ(Chanakya granth) में लोगों के व्यवहार का वर्णन किया है। आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) का कहना है कि व्यक्ति का व्यवहार उसके जीवन की दिशा का निर्धारण करता है। आप जिस प्रकार का व्यवहार करते हैं अपना आचरण उसी के अनुरूप हो जाता है।
वहीं आचार्य चाणक्य(according to Acharya Chanakya) का कहना है कि अगर कोई व्यक्ति आपके सम्मुख किसी की निंदा करता है। वह अपके साथ रहता है और दूसरों की ईर्ष्या करता रहता है। उसका स्वभाव चांडाल का होता है। ऐसे लोग किसी के हितैषी नहीं होते हैं। यह लोग अपने स्वार्थ के लिए लोगों से जुड़ते हैं और दूसरों की तरक्की देखकर जलते रहते हैं।
आचार्य चाणक्य (, Acharya Chanakya statment)कहते हैं यह लोग अपने जीवन में कभी आगे नहीं बढ़ पाते और इनका सम्पूर्ण जीवन दूसरों की ईर्ष्या करने में ही व्यतीत होता रहता है।
आचार्य चाणक्य(Acharya Chanakya) का कहना है कि पक्षियों में कौवा सबसे नीच पक्षी होता है। पशुओं में कुत्ते के समान नीच कोई नहीं है। वहीं जो तपस्वी तप करता है और लोगों को अपने तप से छलता है। वह घिनौना होता है। वहीं जो व्यक्ति दूसरों की निंदा करता है। लोगों की तरक्की से जलता है। वह चांडाल स्वभाव का होता है।
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