डेस्क। हिंदू पंचांग की माने तो प्रत्येक महीने की अंतिम तिथि पूर्णिमा की होती है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में भी दिखाई देता है। इस तरह साल में कुल 12 पूर्णिमा तिथि होती है।
इनमें से कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima 2022) बहुत ही खास मानी गई है। इस दिन देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 8 अक्टूबर, मंगलवार को मनाई जाएगा। वहीं इस दिन कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का संयोग भी बन रहा है। बता दें यह शाम 6.20 तक रहने वाला है। वहीं इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा से संबंधित शुभ कार्य भी किए जा सकेंगे।
इनमें से कार्तिक मास की पूर्णिमा (Kartik Purnima 2022) बहुत ही खास मानी गई है। इस दिन देव दीपावली का पर्व भी मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 8 अक्टूबर, मंगलवार को मनाई जाएगा। वहीं इस दिन कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्रग्रहण का संयोग भी बन रहा है। बता दें यह शाम 6.20 तक रहने वाला है। वहीं इसके बाद कार्तिक पूर्णिमा से संबंधित शुभ कार्य भी किए जा सकेंगे।
जानिए क्या है देव दीपावली का महत्व (Significance of Dev Deepawali)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, कार्तिक पूर्णिमा को देव दीपावली भी कहा जाता हैं। वहीं मान्यता के अनुसार, इस तिथि पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के राक्षस का वध भी किया था। साथ ही प्रसन्न होकर देवताओं ने उत्सव भी मनाया था। वहीं साथ ही इस दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लेकर सृष्टि को बचाया भी था। इस वजह से इस तिथि को देव दीपावली भी कहते हैं।
पूर्णिमा पर दीपदान का होता है विशेष महत्व
पुराणों में कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का विशेष महत्व बताया जाता है। वैसे तो इस पूरे महीने में ही दीपदान का महत्व होता है लेकिन जो लोग ऐसा न कर पाएं, वे सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा पर भी दीपदान करें तो भी पूरे महीने दीपदान करने का पुण्य उन्हें प्राप्त होता है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
पुराणों में कार्तिक पूर्णिमा पर दीपदान का विशेष महत्व बताया जाता है। वैसे तो इस पूरे महीने में ही दीपदान का महत्व होता है लेकिन जो लोग ऐसा न कर पाएं, वे सिर्फ कार्तिक पूर्णिमा पर भी दीपदान करें तो भी पूरे महीने दीपदान करने का पुण्य उन्हें प्राप्त होता है। इससे घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
तुलसी के सामने जरूर लगाएं शुद्ध घी का दीपक
कार्तिक मास में तुलसी पूजा करने से हर तरह की परेशानी से भी बचा जा सकता है। शाम को तुलसी के पौधे के सामने गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाएं और तुलसी नामाष्टक का पाठ भी करें। बता दें इससे भगवान विष्णु की कृपा आप पर बनी रहेगी। ऐसा करने से सभी व्रत का पुण्य फल भी प्राप्त किया जा सकता है और अपने पितरों को आप आसानी से प्रसन्न भीं कर सकते हैं।
पवित्र नदी में करें स्नान
वैसे तो कार्तिक पूर्णिमा पर पूरे दिन नदी में स्नान करने की परंपरा है पर इस बार चंद्र ग्रहण के चलते ऐसा नहीं हो पाएगा। वहीं चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद ही यानी शाम को 6.20 के बाद किसी नदी में स्नान करें। और ऐसा न कर पाएं तो घर में ही स्नान कर मंत्र बोलते हुए नहा लें। इससे भी आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
वैसे तो कार्तिक पूर्णिमा पर पूरे दिन नदी में स्नान करने की परंपरा है पर इस बार चंद्र ग्रहण के चलते ऐसा नहीं हो पाएगा। वहीं चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद ही यानी शाम को 6.20 के बाद किसी नदी में स्नान करें। और ऐसा न कर पाएं तो घर में ही स्नान कर मंत्र बोलते हुए नहा लें। इससे भी आपको शुभ फल की प्राप्ति होगी।
दान करने से मिलता है शुभ फल
कार्तिक पूर्णिमा पर दान का विशेष महत्व है। शाम को चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद जरूरतमंदों को कपड़े, अनाज और भोजन का दान जरूर करें। इससे कार्तिक पूर्णिमा से संबंधित शुभ फल तो मिलेंगे ही, साथ ही ग्रहण का अशुभ प्रभाव भी कम हो जाएगा।
कार्तिक पूर्णिमा पर दान का विशेष महत्व है। शाम को चंद्र ग्रहण समाप्त होने के बाद जरूरतमंदों को कपड़े, अनाज और भोजन का दान जरूर करें। इससे कार्तिक पूर्णिमा से संबंधित शुभ फल तो मिलेंगे ही, साथ ही ग्रहण का अशुभ प्रभाव भी कम हो जाएगा।
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